बुधवार, 2 अप्रैल 2025

छावा के बाद सिकंदर की धूम

 

ज्योतिषियों के परामर्श पर आज तुला राशि के जातकों को वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए ।  इसलिए मै आज सीधे-सीधे सियासत पर  कोई  बात नहीं कर रह।  मै आज बात कर रहा हूँ  फिल्म सिकंदर की ।  ये फिल्म छावा की तरह किसी एजेंडे के तहत नहीं बनी ।  और इस फिल्म का नायक इतिहास पुरुष नहीं बल्कि हमारे-आपके बीच का एक युवक है लेकिन उसका पीछ भी सियासत नहीं छोड़ रही। 

सिकंदर का नायक वही सलमान खान है जो लारेंस विश्नोई के साथ ही देश के नामचीन्ह हिंदूवादियों के निशाने पर रहता है। सलमान खान चाहे बजरंगी भाई बनाएं या सिकंदर उनके अंदर  का अभिनेता दर्शकों को हिला देता है ।  एक अभिनेता जैसी ताकत हमारे देश के किसी भी राजनेता के पास नहीं है ,और है तो वो जनता से ज्यादा से ज्यादा तालियां बजवा सकता है ,फूल बरसवा सकता है। नेता और अभिनेता  में यही मूलभूत अंतर् है। एक किरदार में डूब कर उसे असली जैसा बना देता है और दूसरा खुद किरदार बनने की कोशिश करता है लेकिन कामयाब नहीं हो पाता। छावा फिल्म का छावा विक्की   कौशल छावा नहीं था लेकिन उसने छावा के किरदार को ज़िंदा कर दिया। अक्षय  खन्ना औरंगजेब नहीं हैं किन्तु उन्होंने   औरंगजेब को ज़िंदा कर दिया। हमारे नेताओं ने भी औरंगजेब को कब्र से बाहर निकाला लेकिन अपने फायदे के लिए ,जनता के मनोरंजन के लिए नहीं। 

फिल्म सिकंदर में राजकोट के राजा संजय के किरदार में सलमान खान नजर आए। फिल्म की शुरुआत में ही दिखाया गया कि उन्होंने फ्लाइट में एक राजनेता के बेटे अर्जुन (प्रतीक बब्बर) को पीट दिया। दरअसल, वह वहां पर मौजूद एक महिला का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा था। इसके बाद मिनिस्टर सलमान खान के किरदार से बदला लेने की हर संभव कोशिश करता है। पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए घर जाती है, लेकिन राजा होने के कारण सलमान के किरदारों को लोगों का बेशुमार प्यार मिलता है और वह उसकी रक्षा करने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच जाते हैं। खैर, मिनिस्टर के गुंडे सिकंदर के पीछे पड़ जाते हैं और इस लड़ाई के कारण उन्हें अपनी पत्नी साईंश्री (रश्मिका मंदाना) को खोना पड़ता है।

फिल्म सिकंदर ईद के दिन रिलीज हुई थी। इसी दिन देश के 32  लाख गरीब मुसलमानों को सौगात -ऐ-मोदी  मोदी भी दी गयी ,लेकिन ये सौगात -ऐ -मोदी 'सौगात सिकंदर के शोर में कहीं दबकर रह गयी। बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान की फिल्म 'सिकंदर' प्रसिद्ध निर्देशक एआर मुरुगदॉस के निर्देशन में बनी है। मुरुगदॉस इससे पहले आमिर खान की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'गजनी' बना चुके हैं, जो बॉलीवुड की पहली 100 करोड़ क्लब में शामिल होने वाली फिल्मों में से एक थी। 'सिकंदर' में सलमान खान के साथ पहली बार रश्मिका मंदाना नजर आ रही हैं। दोनों की जोड़ी को लेकर दर्शकों में खासा उत्साह है। फिल्म में प्रतीक बब्बर, काजल अग्रवाल, सत्यराज और शरमन जोशी जैसे शानदार कलाकार सहायक भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं। कहानी एक ऐसे शख्स की है, जो भ्रष्ट सिस्टम से त्रस्त होकर इसके खिलाफ आवाज उठाने का फैसला करता है। फिल्म में जबरदस्त एक्शन, इमोशन और मनोरंजन का तड़का देखने को मिलेगा।

अब भ्रस्ट सिस्टम के खिलाफ आम जनता नहीं लड़ती ,फिल्मों का नायक लड़ता है ,जबकि ये लड़ाई आम जनता की है। जनता अपनी ओर से फ़िल्मी नायकों को लड़ते देख ही खुश हो लेती है। आम जनता भूल गयी है कि-स्वर्ग खुद के मरने पर ही मिलता है। फ़िल्मी  परदे की लड़ाई से भ्रस्ट सिस्टम का,जहरीली सियासत का मुकाबला नहीं किया जा सकता। सिकंदर फिल्म भी सिस्टम के खिलाफ लड़ाई को उस तरह तेज नहीं कर पायेगी जिस तरह की छावा ने नफरत फ़ैलाने में कामयाब हुई।  कुछ फ़िल्में राजनीति का मकसद पूरा करने में कामयाब हो जातीं हैं  ,कुछ नही।  सिकंदर एक मनोरंजन प्रधान फिल्म है इसलिए उसे कामयाबी दिलाने के लिए किसी खादीधारी प्रमोटर  की जरूरत नहीं है। सिकंदर की टीम के साथ कोई फकीर फोटो खिंचवाए या न खिंचवाए, ये फिल्म चल पड़ी है और करोड़ों कमाकर ही दम लेगी।  फिल्म 'सिकंदर' ने पहले दिन 30.06 करोड़ रुपये की कमाई की है।

सिकंदर  की कामयाबी का संकेत साफ़ है कि फ़िल्में केवल मनोरंजन और शुभ के सन्देश के साथ बनाई जाना चाहिये ।  फ़िल्में राजनीतिक एजेंडे के तहत बनेंगी तो इस माध्यम का दुरूपयोग समझा जाएगा। वैसे सिकंदर नाम ही कामयाबी का है।  असली सिकंदर ने 32  साल की उम्र में दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य स्थापित कर लिया था। आज दुनिया में कोई सिकंदर जैसा नहीं है ।  लोग विश्वगुरु बनने के फेर में बूढ़े हो गए लेकिन अपना खुद का सम्राज्य नहीं सम्हाल पा रहे।  

बहरहाल मै सिकंदर की कामयाबी के लिए सलमान खान और सिकंदर फिल्म की पूरी टीम को मुबारकबाद देता हूँ। सलमानखान की फ़िल्में अक्सर ईद के दिन ही तोहफे के रूप में आतीं हैं और कामयब भी होतीहै। सनातनियों को भी चाहिए की वे भी अपनी फ़िल्में होली,दीपावली या रामनवमी को रिलीज किया करें। जैसे राजनीति का धर्म से गहरा नाता बना दिया गया है वैसा ही फिल्मों  का भी धर्म से सीधा नाता है। कुछ लोग मंदिरों पर धनवर्षा करते हैं तोकुछ लोग सिनेमाघरों पर,जिन्हें  अब मल्टीप्लेक्स कहा जाता है।मल्टीप्लेक्स मनी को मल्टीप्लाई करता है ठीक वैसे ही जैसे कोई भी मंदिर मनी को मल्टीप्लाई करता ह।  मनी को मल्टीप्लाई करने की ताकत किसी मस्जिद में नहीं है। ताजमहल इसका अपवाद है। 

@ राकेश अचल

2 अप्रैल 2025, मंगलवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:11 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:38 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2082* शाके-1947 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज चैत्र माह शुक्ल पक्ष *पंचमी तिथि*  23:49 बजे  तक फिर षष्ठी तिथि चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज* कृतिका नक्षत्र 08:49 बजे  तक फिर रोहिणी नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *आयुष्मान*  है। 

 *करण*  :-आज  *बव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा, गंडमूल नहीं है।

*🔥अग्निवास*: आज पाताल में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज उत्तर दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 12:25 से 13:58 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:00 बजे से 12:50 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा*:- श्री पंचमी , भगवान अजीत नाथ जी मोक्ष

*मुहूर्त* : नामकरण, अन्नप्राशन, अज्ञोपवीत है अन्य कोई नहीं 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मीन, चन्द्र-वृष,मंगल-मिथुन, बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-मीन, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

लाभ 06:11 - 07:45 शुभ

अमृत 07:45 - 09:18 शुभ

काल 09:18 - 10:51 अशुभ

शुभ 10:51 - 12:25 शुभ

रोग 12:25 - 13:58 अशुभ

उद्वेग 13:58 - 15:32 अशुभ

चर 15:32 - 17:05 शुभ

लाभ 17:05 - 18:38 शुभ

*🌘चोघडिया, रात*

उद्वेग 18:38 - 20:05 अशुभ

शुभ 20:05 - 21:31 शुभ

अमृत 21:31 - 22:58 शुभ

चर 22:58 - 24:24*शुभ

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

मंगलवार, 1 अप्रैल 2025

जिले के सरकारी स्कूलों में मनाए गए प्रवेशोत्सव

नव प्रवेशी बालिकाओं का पुष्पाहारों से स्वागत कर उन्हें पाठ्य पुस्तकों के सैट सौंपे

ग्वालियर 1 अप्रैल । स्कूल चलें अभियान के तहत अप्रैल माह के पहले दिन ग्वालियर जिले के सरकारी स्कूलों में भी प्रवेशोत्सव कार्यक्रम आयोजित हुए। मुरार स्थित शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रवेशोत्सव में पूर्व विधायक श्री मुन्नालाल गोयल एवं कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान शामिल हुईं। इस अवसर पर उन्होंने विद्यालय की नव प्रवेशी बालिकाओं का पुष्पाहारों से स्वागत कर उन्हें पाठ्य पुस्तकों के सैट सौंपे। 

पूर्व विधायक श्री मुन्नालाल गोयल ने इस अवसर पर छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि लक्ष्य निर्धारित करें और आत्मविश्वास रखकर लक्ष्य प्राप्ति के लिये कड़ी मेहनत करें। ऐसा करने से सफलता अवश्य मिलेगी। उन्होंने छात्राओं का आह्वान किया कि ऊँचे सपने देखो और उन्हें हासिल करने के लिये अनुशासन के साथ प्रयास करें। 

आरंभ में अतिथियों ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर प्रवेशोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी श्री अजय कटियार, सहायक संचालक स्कूल शिक्षा श्रीमती पुष्पा ढोंड़ी, राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल से आए श्री आशीष भारती तथा विद्यालय के शिक्षकगण व विभिन्न कक्षाओं की बालिकायें मौजूद थीं।  स्कूलों में भी प्रवेशोत्सव कार्यक्रम आयोजित हुए। मुरार स्थित शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रवेशोत्सव में पूर्व विधायक श्री मुन्नालाल गोयल एवं कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान शामिल हुईं। इस अवसर पर उन्होंने विद्यालय की नव प्रवेशी बालिकाओं का पुष्पाहारों से स्वागत कर उन्हें पाठ्य पुस्तकों के सैट सौंपे। 

पूर्व विधायक श्री मुन्नालाल गोयल ने इस अवसर पर छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि लक्ष्य निर्धारित करें और आत्मविश्वास रखकर लक्ष्य प्राप्ति के लिये कड़ी मेहनत करें। ऐसा करने से सफलता अवश्य मिलेगी। उन्होंने छात्राओं का आह्वान किया कि ऊँचे सपने देखो और उन्हें हासिल करने के लिये अनुशासन के साथ प्रयास करें। 

आरंभ में अतिथियों ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर प्रवेशोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी श्री अजय कटियार, सहायक संचालक स्कूल शिक्षा श्रीमती पुष्पा ढोंड़ी, राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल से आए श्री आशीष भारती तथा विद्यालय के शिक्षकगण व विभिन्न कक्षाओं की बालिकायें मौजूद थीं। 

1 अप्रैल 2025, मंगलवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:12 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:37 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2082* शाके-1947 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज चैत्र माह शुक्ल पक्ष *चतुर्थी तिथि*  26:32 बजे  तक फिर पंचमी तिथि चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज* भरणी नक्षत्र 11:06 बजे  तक फिर कृतिका नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *विष्कुंभ*  है। 

 *करण*  :-आज  *वणिज* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक, गंडमूल नहीं है।

*🔥अग्निवास*: आज पाताल में है भद्रा 16:बजे से शुरू है ।

☄️ *दिशाशूल* : आज उत्तर दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 15:31 से 17:05 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:00 बजे से 12:50 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा*:- श्री गणेश दमनक चतुर्थी

*मुहूर्त* : - कोई नहीं 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मीन, चन्द्र-मेष ,मंगल-मिथुन, बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-मीन, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

रोग 06:12 - 07:46 अशुभ

उद्वेग 07:46 - 09:19 अशुभ

चर 09:19 - 10:52 शुभ

लाभ 10:52 - 12:25 शुभ

अमृत 12:25 - 13:58 शुभ

काल 13:58 - 15:31 अशुभ

शुभ 15:31 - 17:05 शुभ

रोग 17:05 - 18:38 अशुभ

*🌘चोघडिया, रात*

काल 18:38 - 20:05 अशुभ

लाभ 20:05 - 21:31 शुभ

उद्वेग 21:31 - 22:58 अशुभ

शुभ 22:58 - 24:25*शुभ

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

उत्तराखंड के नए नामदेव धामी

 

उत्तराखंड यानि देवभूमि। यहां के मुख्यमंत्री को भी हम देवता ही मानते हैं और हमें आज लगा कि  उनका नाम पुष्कर धामी नहीं बल्कि नामदेव धामी होना चाहिए।  वे राजनीति की उस वंश परम्परा से आते हैं जो इतिहास बनाने के बजाय उसे बदलने की होड़ में शामिल है। मुगलों कि बाद सबसे पहले नाम बदलने का शौक चर्राया था बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो बहन मायावती को ,लेकिन बाद में इसे भाजपा ने हडपलिया। भाजपा का हर मुख्यमंत्री अपने-अपने सूबे में ' नाम बदलो 'अभियान का सूत्रपात कर  चुका है ,और अब धामी साहब ने एक साथ डेढ़ दर्जन ठिकानों के नाम बदलकर अपने सभी वरिष्ठों को इस अभियान में पीछे छोड़ दिया है। 

धामी साहब वैसे भी किसी काम के मुख्यमंत्री नहीं है।  वे आम कठपुतलियों की तरह दिल्ली के इशारे पर नर्तन करते है। उनके पास करने के लिए कुछ है भी नहीं,क्योंकि उत्तराखंड में जो करते हैं वो सब देवता करते हैं वो भी दिल्ली कि देवता । नेता तो हाँ में हाँ मिलाते है।  मुमकिन   है कि  थोक में नाम बदलने का आदेश भी धामी जी को ख्वाब में किसी देवता ने दिया हो। पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और उधमसिंह नगर जनपद में स्थित विभिन्न स्थानों के नाम में परिवर्तन की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि  जनभावना और भारतीय संस्कृति व विरासत के अनुरूप ये नामकरण किए जा रहे हैं। इससे लोग भारतीय संस्कृति और इसके संरक्षण में योगदान देने वाले महापुरुषों से प्रेरणा ले सकेंगे।

धामी नकलची वानर की तरह है।  उन्होंने ' सौगाते मोदी ' की नकलकर उत्तराखंड के मुसलमानों को 'सौगाते धामी' के नाम से ठीक ईद के दिन मुस्लिम शासकों द्वारा बसाये गए तमाम शहरों के नाम बदलने का तोहफा दिया है। जैसे अब हरिद्वार जिले का औरंगजेबपुर- शिवाजी नगर गाजीवाली- आर्य नगर,चांदपुर- ज्योतिबा फुले नगर,मोहम्मदपुर जट- मोहनपुर जट ,खानपुर कुर्सली- अंबेडकर नगर,इदरीशपुर- नंदपुर,खानपुर- श्री कृष्णपुर,अकबरपुर फाजलपुर- विजयनगर के नाम से जाने जायेंगे। 

देहरादून जिले में मियांवाला- रामजीवाला,पीरवाला- केसरी नगर ,चांदपुर खुर्द- पृथ्वीराज नगर,अब्दुल्लापुर- दक्षनगर कहे जायेंगे। नैनीताल जिला

का नवाबी रोड- अटल मार्ग ,पनचक्की से आईटीआई मार्ग- गुरु गोवलकर मार्ग ,उधम सिंह नगर जिलाकी नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी- कौशल्या पूरी कही जाएगी। नाम बदलने से न मुसलमानों का कुछ बिगड़ना है और न हिन्दुओं का। क्योंकि जिसकी गर्भनाल जहां जमीदोज है उसे तो धामी जी उखड़वा नहीं सकते।  नाम बदलने को मुगलिया संस्कृति मानता हूँ ।  मुगलों ने किसी जगह का नाम क्यों बदला ये बताने वाला कोई मुगल सम्राट ज़िंदा नहीं है ,लेकिन मैंने जितना इतिहास पढ़ा है उससे मैं ये समझा है कि  वे जहाँ भी महीना-दो महीना अपना लश्कर रोकते थे उसे नया नाम दे जाते थे। उन्होंने समोने में भी नहीं सोचा होगा की भारत में पांच सौ साल बाद कोई उन्हीं की तरह नकल करते हुए फिर से उनके बसाये,बसाये  शहरों का नाम बदल देगा। 

मेरी समझ में नहीं आता कि भाजपाई हों या बसपाई,सपाई हों या कांग्रेसी ये नयी बसाहट करने कि बजाय पुरानी बसाहटों कि नाम क्यों बदलते हैं।  कांग्रेस कि ज़माने  में हमारे मध्यप्रदेश में कांग्रेस कि एक नेता माधवराव सिंधिया कि नाम से [साडा ] ने एक शहर ग्वालियर में तीस साल पहले बसने की कोशिश की थी लेकिन बेचारा आज तक नहीं बस पाया। क्योंकि नया शहर बसना आसान काम नहीं है। मुगलों ने ये काम कैसे कर लिया  राम ही जानें ? भाजपा की सरकार भी देश में 10  साल से है लेकिन मोदी जी ने एक भी नया नगर नहीं बसाया। ऐसे में वे मुगलों से केवल नफरत कर सकते हैं,मुकाबला नहीं। नया नगर बसने की कुब्बत उत्तर प्रदेश कि मुख़्यमंत्रो योगी आदित्यनाथ में भी नहीं है ।  वे भी इलाहबाद को प्रयागराज कर पाए। नया नगर नहीं बसा पाये । इलाहबाद है कोर्ट का नाम आज भी इलाहबाद है कोर्ट ही है।  हमारे मध्यप्रदेश में भी होशंगाबाद का नाम बदला गया ।  हबीबगंज स्टेशन को रानी  कमलापत कर दिया गया ,क्योंकि ये आसान काम है। 

किसी बसाहट या संस्था का नाम बदलना ,उसकी बदलियत बदलने जैसा अक्षम्य अपराध नहीं है ,किन्तु होना चाहिए। किन्तु   भाजपा सरकार तो ये काम करने से रही ।  वैसे ये अपराध किस राजनीतिक दल ने नहीं किया ? कांग्रेस के लबे कार्यकाल में किसी बसाहट की बल्दियत बदली गयी हो तो सुधि पाठक मुझे भी बताने की कृपा करें।  नाम को व्याकरण में संज्ञा कहते हैं। संज्ञा बदली नहीं जाती लेकिन भाजपाई कुछ भी बदल सकते हैं।  मेरा मश्विरा है कि वे देश में रहने वाले करोड़ों मुसलमानों को तो देशनिकाला दे नहीं सकते  सो क्यों न मुसलमानों की बिरादरी का नाम बदलकर किसी भाजपा नेता कि नाम उसे नया नाम दे दें। हमेशा कि लिए रट्टा ही खत्म हो जाये।

जहाँ तक मुझे याद आता है कि  मोदीजी के राज में एक संसद भवन नया जरूर बना है ।  इसके लिए उन्हें साधुवाद।  कांग्रेस ये सुकृत्य नहीं कर पायी जबकि पचास साल से ज्यादा सत्ता में रही। अब ये बात और है कि नया संसद भवन पहली ही बरसात में टपकने लगा। क्या ही बेहतर हो कि  पुराने को पुराना रहने दिया जाये और नया ही कुछ किया जाये। नया करना ही पुरुषार्थ है ।  ये नहीं कि  किसी स्टेडियम पर कोई अपना नाम चस्पा कार दे और इतिहास पुरुष बन जाये। बहरहाल पुष्कर धामी को बधाई की वे भी नामदेव बन गये । 

@ राकेश अचल

सोमवार, 31 मार्च 2025

तरण पुष्कर 1अप्रैल से शुरू होगा, पूर्व सांसद शेजवलकर ने पहली छलांग लगाकर तैराकी का शुभारंभ किया

ग्वालियर  31 मार्च ।  गर्मी के मौसम में शहरवासियों के लिए राहत देने के नगर निगम द्वारा संचालित तरण पुष्कर 1 अप्रैल से आमजन के लिए खोला जाएगा । तरण पुष्कर में पूर्व सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने पहली छलांग लगाकर तैराकी का शुभारंभ किया।

नोडल अधिकारी एवं उपायुक्त सत्यपाल सिंह चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि तरण पुष्कर स्विमिंग पूल पर आज संगीत मय सुंदरकाड का पाठ कर विधि विधान से पूजा अर्चना की, इस मौके पर श्री विवेक शेजवलकर पूर्व सांसद, सभापति श्री मनोज तोमर, वरिष्ठ भाजपा नेता रामेश्वर भदोरिया, धर्मेन्द्र राणा, एवं निगमायुक्त श्री संघ प्रिय, उपायुक्त श्री सत्यपाल चौहान, सहायक खेल अधिकारी श्री जीतेंद्र यादव, श्री अयोध्याशरण शर्मा, सुश्री विजेता चौहान एवं तरण पुष्कर स्टाफ  मौजूद था

तैराकी के बैच सुबह 6 से 10 एवं शाम 5 से 8 तक रहेंगे, प्रत्येक वैच 45 मिनट का रहेगा, मुख्य कोच अयोध्या शरण शर्मा ने तैराकी आने वाले सभी सदस्यों से अपनी अपनी स्विमिंग कोस्टूम साथ लाने अनुरोध किया है, वगैर कोस्टूम तैराकी नहीं कर सकेंगे, एवं प्रथम दिवस निर्धारित समय प्रवेश कार्ड अनुसार समय से 10 मिनट पूर्व आने की सलाह दी है।

तापमान बढने के कारण 1अप्रैल से स्कूलों का समय बदला

 ग्वालियर 31 मार्च ।  ग्रीष्म ऋतु के दौरान बढ़ते हुए तापमान को ध्यान में रखकर जिले में बच्चों के हित में स्कूलों के संचालन के समय में बदलाव किया गया है। कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी श्री अजय कटियार ने इस आशय का आदेश जारी कर दिया है। 

जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार जिले में अब प्ले ग्रुप से दूसरी कक्षा तक के लिये प्रात: 9 बजे से दोपहर एक बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। इसी तरह तीसरी से बारहवीं तक की कक्षाएँ प्रात: 8 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक संचालित होंगीं। परीक्षायें यथावत संचालित रहेंगीं। यह आदेश एक अप्रैल से प्रभावशील होगा और जिले की सभी शासकीय-अशासकीय और अनुदान प्राप्त शालाओं पर लागू होगा। 

मोदी जी का संघं शरणम गच्छामि

 

प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र दामोदर  दास मोदी जी के 12  साल बाद संघ की शरण में जाने के लोग अलग-अलग अर्थ निकाल रहे हैं र  । संघी कुछ कहते हैं और विपक्ष कुछ और ।  लेकिन मुझे इसमें  कोई भी नयी बात नजर नहीं आती। संघ आख़िरकार मोदी जी का दीक्षास्थल है और संघ की कृपादृष्टि से वे 2014  में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और फिर लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। 

माननीय मोदी जी का संघ यानि राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के नागपुर मुख्यालय पहुंचना ठीक वैसा ही जैसा की किसी की घर वापसी होती है। कहतें हैं कि चाहे बाघ हो, चाहे नाग अंतिम  समय में अपनी गुफा या बिल में प्रवेश करके ही शांति अनुभव करता है। माननीय मोदी जी तो मनुष्य हैं ',नान -बायलोजिकल मनुष्य' उन्हें भी अंतिम समय में अपनी मांद की ,बिल की,घर की याद आना स्वाभाविक है।  मोदी जी को अब शायद कोई चुनाव नहीं लड़ना है, इसलिए वे संघ को उसके तमाम अस्त्र-शस्त्र ,कवच,कुंडल वापस करने गए हों ताकि संघ उन सबको मोदी जी के नए  उत्तराधिकारी के लिए धो-मांजकर  तैयार कर ले। आखिर मोदी जी कब तक प्रधानमंत्री पद पर टिके रह सकते है।  इससे पहले कि जनता उन्हें हटाए, संघ खुद उन्हें घर बुला लेना श्रेयस्कर समझेगा। 

जहाँ तक मैं संघ को जानता और समझता हूँ उसके मुताबिक संघ अपने विस्तार में बाधक   किसी भी अवरोध को दूर करने में कोई संकोच नहीं करता।  संघ ने देख लिया है ,जान लिया है कि मोदी जी अब 2029  के आम चुनाव के काम के नहीं रहे ।  वे तीसरी बार प्रधानमंत्री जरूर बन गए लेकिन उन्हें    उन दलों से बैशाखियाँ लेना पड़ीं जिनका चाल,चरित्र और चेहरा संघ और भाजपा से कतई मेल नहीं खाता। संघ की कोशिश भी है और शायद योजना भी कि मोदी जी को स-सम्मान घर बुला लिया जाये।  संघ मोदी जी को आडवाणी  गति प्रदान नहीं करना चाहता ,क्योंकि मोदी जी ने मनसा,वाचा ,कर्मणा संघ  की  कार्यसूची पर अमल करते हुए देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की दिशा में निशि-याम काम किया है। मोदी जी राष्ट्रनिर्माण में इतने व्यस्त रहे की वे 12  साल में न मणिपुर जा पाए और न नागपुर। 

मोदी की कर्तव्यनिष्ठा पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा सकता। लक्ष्य प्राप्ति के लिए संघ का एक प्रचारक जितना निर्मम हो सकता है मोदी जी ने अपने आपको उससे कहीं ज्यादा निर्मम प्रमाणित किया है।आज मोदीजी कि वजह से ही देश का अल्पसंख्यक मुसलमान पहली बार सड़कों पर ईद कि नमाज नहीं पढ़ सका।   मोदी जी से पहले माननीय अटल बिहारी वाजपेयी भी देश के प्रधानमंत्री  बने लेकिन वे भी देश में  हिंदुत्व का इतना तीव्र भूडोल नहीं  ला  सके थे।  वे सत्ता में जरूर आये थे लेकिन न वे जम्मू-कश्मीर से धारा 370  हटा पाए थे और न राम मंदिर बनवा पाए थे। वे तीन तलाक विधेयक भी  पारित नहीं करा पाए थे, उनके खाते में महिला शक्ति  वंदन विधेयक भी दर्ज नहीं है। हालाँकि वाजपेयी जी के मुकाबले मोदी जी पासंग भी नहीं हैं किन्तु उनके खाते  में वे तमाम उपलब्धियां दर्ज हैं ,जो वाजपेयी जी के खाते में नहीं है। 

मोदी जी पक्के शाखामृग हैं। संघ से  मोदी का दिल  का रिश्ता है। संघ के लिए वे गौतम बुद्ध की तरह अपनी पत्नी तक का त्याग कर चुके हैं। संघ के साथ उनका रिश्ता  दशकों पुराना है।  मोदी जी यदि  1972 में संघ की शरण में न आते तो वे कभी भी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते थे,संघ ने उन्हें चाय बेचने के श्रमसाध्य धंधे से बाहर निकाला। सन 1972 में नरेंद्र मोदी संघ  में शामिल हुए थे  प्रचारक बने. फिर संघ के मार्फत ही उन्हें भाजपा में प्रवेश मिला। गुजरात में संगठन की जिम्मेदारी मिली और बाद में वे  2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने ,लेकिन वर्ष 2023 के आम चुनाव में संघ और मोदी जी की भाजपा के सुर अचानक बदले ।  मोदी ने संघ परिवार के समानांतर अपना मोदी परिवार बनाया  । उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्ढा के मुंह से कहलवाया की अब भाजपा को संघ की जरूरत नहीं है।बावजूद इसके मोदी जी कि समझ में आ गया कि वे संघ से बड़े कभी नहीं हो सकते।  

संघ ने अपने अपमान का ये घूँट चुचाप पपी लिया यहां तक की संघ का शताब्दी वर्ष भी इसीलिए धूमधाम से नहीं मनाया। किन्तु समय रहते मोदी जी को अपनी गलतियों का आभास  शायद हो गया और वे अंतत: संघ की शरण में लौट आये।  संघ भी यही चाहता है कि  मोदी जी अब सिंहासन   खाली करें।  स-सम्मान करें तो बेहतर अन्यथा संघ को मोदी जी की शाखा लगाने में कोई देर होने वाली नहीं है। आज भी भाजपा में 70  फीसदी संघी ही है।  मोदी जी ने हालाँकि भाजपा का कांग्रेसीकरण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन संघियों ने प्रवासी यानि दलबदलू कांग्रेसियों को ज्यादा भाव नहीं दिया।  केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे बिभीषण आज भी संघियों के लिए अस्पृश्य ही है। 

कुल मिलाकर मोदी जी के संघ की शरण में वापस लौटने से भाजपा का नेतृत्व नयी पीढ़ी के हाथ में जाने के शुभ संकेत मिले हैं। मुझे लगता है कि अब भाजपा का नया अध्यक्ष  और देश का नया पंत प्रधान भी शीघ्र घोषित कर दिया जाएग।  मोदी जी 2029  के लिए सलामी लेने के लिए हमने शायद उपलब्ध  न हों। 

@ राकेश अचल

रविवार, 30 मार्च 2025

जिले के सभी बूथों पर सुना गया मन की बात कार्यक्रम

जिलाध्यक्ष सरोज राजपूत ने गिनाई वन नेशन वन इलेक्शन की जनता के हित में उपयोगिता

Aapkedwar news –अजय अहिरवार 

 टीकमगढ़। आज जिले के सभी बूथों पर सुना गया मन की बात कार्यक्रम। भाजपा मीडिया प्रभारी स्वप्निल तिवारी ने बताया कि आज जिले के सभी 808 बूथों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात कार्यक्रम का 120 वां संस्करण सुना गया, जिसमें मुख्य रूप से भाजपा जिलाध्यक्ष श्रीमती सरोज राजपूत ने भाजपा पदाधिकारियों आशुतोष भट्ट, रोहित खटीक , मनोज देवलिया, इंजी अभय प्रताप सिंह यादव, सुशीला राजपूत, पुष्पा यादव, अंशुल व्यास, पंकज प्रजापति ,शुभम व्यास, स्वप्निल तिवारी,धर्मेंद्र बुंदेला आदि के साथ कार्यक्रम को सुना, वहीं अन्य बूथों पर भाजपा पदाधिकारियों, मंडल अध्यक्षों व कार्यकर्ताओं द्वारा मन की बात कार्यक्रम सुना गया। 

भाजपा जिलाध्यक्ष श्रीमती सरोज राजपूत ने मुख्य रूप से उपस्थित रहे सुनील कटारे, मनोज बाबू चौबे व मुन्नी लाल यादव के साथ सभी समाज सेवा में लगे जिले में सक्रिय एनजीओ व जन अभियान परिषद के निमित्त जिले में सक्रिय समाजसेवियों को संबोधित करते हुए कहा कि एक साथ चुनाव राजनीतिक आस्थिरता को कम करने में मदद करेगा , जिस नीति निर्माण में स्थिरता और दीर्घकालिक दृष्टिकोण सुनिश्चित होगा। देश हित में होने वाले इस निर्णय का हम सभी को आगे बढ़कर प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक अपना समर्थन पहुंचाना है, जिससे हमारी आम जनता तक सदुपयोग के लिए भविष्य में राशि पहुंच पाए। 

 वहीं मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए बताया कि आज हो रहे भारत में त्योहारों में विविधता में भी एकता नजर आती है इसी एकता को हमें निरंतर मजबूत करना है। हर साल की तरह इस साल भी कैच डा रेन, से जल संरक्षण व संचय के लिए उपयोगी कार्य शुरू हो गए हैं।भारत में कई टेक्स टाइल स्टार्ट अप ने वेस्ट क्लॉथ पर काम शुरू कर इस चुनौती को एक सकारात्मक अवसर में बदला है।

चैत्र माह में चेतने का मौक़ा देती है प्रकृति

हिंदी का नया साल चैत्र मास से शुरू होता है। मेरे लिए ये महीना बहुत महत्वपूर्ण है। मेरी दादी बताया करतीं थीं   कि  मै चैत्र मास में ही अवतरित हुआ था। इसी महीने में चेतुओं की किस्मत चेतती है।  दादी निरक्षर थीं लेकिन पंचांग के बारे में उन्हें पता नहीं कहाँ से पता चल जाता था। वे बताती थीं कि  चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इसी  दिन से चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व का शुभारंभ भी होता है। इस बार चैत्र मास 30 मार्च 2025 यानी आज से शुरू हुआ तो दादी की बहुत याद आयी। वे पक्की सनातनी थीं किन्तु मैंने उन्हें कभी व्रत -उपवास करते नहीं देखा ,जबकि ठीक उनके विपरीत मेरी माँ को तीज-त्यौहार,व्रत,उपवास में गहरी दिलचस्पी थी। उनकी देखा-देखी मैंने भी अनेक बार चैत्र मास में 9 दिन के न सिर्फ व्रत किये बल्कि दो मर्तबा गवालियर से करौली तक 208  किमी की लम्बी और कठिन पदयात्रा भी की। 

आज का पंचांग बता रहा है कि इस तिथि पर रेवती नक्षत्र और ऐन्द्र योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है। इसके अलावा यह दिन हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2082 के रूप में आया है, जिसमें सूर्य और चंद्र देव दोनों मीन राशि में मौजूद हैं।आज के ही दिन देश-दुनिया में ईद का त्यौहार भी मनाया जा रहा है लेकिन  भारत में तमाम पाबंदियों के साथ। कहते हैं न कि  -जिसकी लाठी,उसकी भैंस। आज लाठी हमारे हाथ में हैं। इसलिए भैंस भी हमारी है। हमारी भैंस  के आगे बीन बजाने का कोई फायदा नहीं ,क्योंकि वो ससुरी खड़ी-खड़ी पगुराती रहती है ।  बीन की धुन पर नाचना उसे आता ही नहीं है।उसे न मणिपुर कि जलने से कोई फर्क पड़ता है और न कुणाल कामरा काण्ड से।  

आप कहेंगे कि  नया साल और नए साल का पहला  दिन में ये भैंस कहाँ से आ गयी। तो आपको बता दें कि  भैंस  से हमारा सनातन नाता है,ये बात अलग है कि  हम किसी भैंस को अपनी माता नहीं कहते,जबकि भैंस ,गौमाता से जायदा  दूध देती है,ज्यादा गोबर देती है और ज्यादा मांसाहार भी देती है। दुर्भाग्य ये है  कि  हमारे यहां भैंसपुत्र   केवल बलि के लिए इस्तेमाल किये जाते है।  किसी जमाने में भैंसे पंचायतों ,नगर निगमों में कचरा गाडी खींचने के काम भी आते थे किन्तु अब तो बेचारे सिर्फ  कटते हैं और लोगों के पेट भरने के काम आते हैं। भैंसों के नाम परदुनिया के  किसी देश में कोई राजनीती नहीं होती ।  कम से कम हमारे देश में तो नहीं होती ।  हमारे यहां गायों के नाम पर राजनीति भी होती है और लिंचिंग भी। दुर्भाग्य ये है कि  भारत में अभी तक किसी ने भैंसशाला नहीं खोली  इसीलिए भैंसे अक्सर सड़क पर आवारगी करते देखी जा सकतीं हैं।  

मै कट्टर सनातनी हूँ, फिर भी इन ज्योतिषियों की वजह से हमेशा परेशान रहते है।  ये हर त्यौहार को सुलभ के बजाय दुर्लभ बताकर ऐसा उन्माद पैदा करते हैं कि  आधा देश महाकुम्भ में नहाने जा धमकता है ,दीवाली पर ऐसा पुष्य योग बताते हैं कि  आधा देश भले कटोरा लिए खड़ा रहे लेकिन बाकी देश सर्राफा बाजार या मोटरकार   बाजार में खड़ा नजर आता है।  ज्योतिषी इस बार भी नहीं माने। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक लगभग 100 वर्षों बाद नवरात्रि के प्रथम दिन पंचग्रही योग का निर्माण भी हो रहा है. इसके साथ ही पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि ,इंद्र, बुद्धदित्य ,शुक्रदित्य, लक्ष्मी नारायण जैसे शुभ योग का निर्माण हो रहा है.।  हमारा   सौभाग्य है या दुर्भाग्य कि  ये ज्योतिषी हमारे पास ही सबसे जायदा है।  दूसरे मजहबों में भी हैं लेकिन वे इतने शातिर नहीं हैं जितने किहमारे हैं। हम पढ़े-लिखे हों या अनपढ़  सब के सब ज्योतिषियों के इशारों पर नाचते हैं। 

कभी-कभी मै सोचता हूँ कि  हमारे पास भले ही वैज्ञानिक कम हों किन्तु  ज्योतिषी इफरात में है। काश ऐसे ही ज्योतिषी म्यांमार वालों के पास होते ।  कम से कम वे ये तो बता देते कि  वहां  जो भूकमंप आया है वो किस दुर्लभ योग में आया है और उसके क्या लाभ-हानि है। किस राशि के जातकों के लिए भूकंप जानलेवा साबित होगा और कौन सा  महफूज रहेगा ? म्यांमार वालों के साथ हमारी गहन संवदना है ।  हमारी सनातनी सरकार ने म्यांमार के भूकंप पीड़ितों की इमदाद के लिए  लेफ्टिनेंट कर्नल जगनीत गिल के नेतृत्व में शत्रुजीत ब्रिगेड मेडिकल रिस्पॉन्डर्स की 118 सदस्यीय टीम आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और आपूर्ति के साथ शीघ्र ही म्यांमार के लिए रवाना हुई. यह टीम जरूरी चिकित्सा उपकरणों और आपूर्ति के साथ एयरबोर्न एंजल्स टास्क फोर्स के रूप में तैनात की जा रही है, ये फोर्स आपदा-प्रभावित क्षेत्रों में उन्नत चिकित्सा और सर्जरी सेवाएं देने के लिए प्रशिक्षित है। 

हम शुक्रगुजार   हैं भारत सरकार की दरियादिली के, कि  उसने कम से कम चैत्र मास में कोई तो पुण्यकार्य किया ! अन्यथा मुमकिन था कि  हमारे गृहमंत्री अड़ जाते कि - नहीं  ! म्यांमार में राहत भेजने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वहां  के रोहिंग्या मुसलमान भी इस राहत का फायदा उठाएंगे। हमारी सरकार को मुसलमानों से खासी चिढ है,फिर चाहे वे हिन्दुस्तानी हों या बांग्लादेशी या म्यांमारी। हमारे यहां मुसलमान ही हैं जो सड़क पर नमाज नहीं पढ़ सकते,सड़क तो छोड़िये अपने घर की छत पर नमाज नहीं पढ़ सकते।  मुसलमानों को छोड़ दुसरे मजहबों का कोई भी आदमी कुछ भी कर सकता है। उसके लिए कोई पाबन्दी नहीं है। 

इस नवरात्रि पर मै भी 9  दिन के व्रत रख रखा हूँ ।  मेरी देवी में भारी आशक्ति है ।  मेरी कामना है कि  देवी माँ भारत की पुण्य भूमि पर पैदा होने वाले हर हिंदुस्तानी का कल्याण करें ।  मुझे उम्मीद है कि  ऐसा होगा भी ,क्योंकि हमारी देवियाँ नेताओं की तरह हिन्दू-मुसलमान नहीं देखतीं कल्याण करते वक्त। हमने जितनी भी किम्वदंतियां या लोक कथाएं पढ़ी हैं उनमें  किसी में भी किसी देवी ने किसी खान  साहब का वध नहीं किया। उन्होंने महिषासुर को मारा। मुसलमानों में भी शैतान के बच्चे पैदा होते हैं जो आतंकवादी हो जाते हैं लेकिन उनका नाश करने के लिए देवियों ने दूसरी व्यवस्था की है। हिन्दुओं में भी शैतान होते हैं ,वे भी आदमी तो आदमी इमारतों और कब्रों तक को जमीदोज कर देते हैं ,लेकिन उनका इलाज हमारी देवियों के पास नहीं  है। 

चूंकि  हमारे सनातनियों को अब विक्रम सम्वत में आस्था है इसलिए उन्हें इस नववर्ष की बधाइयां ,चूंकि आज ही ईद है इसलिए मुसलमानों को ईद मुबारक और म्यांमार के भूकंप पीड़ितों को अपनी हार्दिक संवेदनाएं देते हुए मै अपने आपको खुशनसीब समझता हूँ क्योंकि आज से 9  दिन तक मुझे शक्ति की आराधना की छूट है।  मै कमरे में ,घर की छत पर या सड़क पर ,कहीं भी आराधना कर सकता हू।  तमाम पाबंदियां  तो विधर्मीयों  के लिए हैं।  वे भारतीय होकर भी हमारे लिए प्रवासी हैं। 

@ राकेश अचल

30 मार्च रविवार 2025 का पंचांग




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