शुक्रवार, 13 जून 2025

शेष नल-जल योजनाओं का काम जल्द से जल्द पूर्ण करें -विवेक कुमार

ग्वालियर 13 जून ।  जिले में शेष नल-जल योजनाओं का काम जल्द से जल्द पूर्ण कराने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विवेक कुमार ने शुक्रवार को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर जिले के 70 ग्रामों में जल जीवन मिशन के तहत निर्माणाधीन नल-जल योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने ग्रीष्म ऋतु को ध्यान में रखकर नल-जल योजनाओं को युद्ध स्तर पर पूर्ण करने के निर्देश दिए। 

बैठक में जिला पंचायत के डीपीआरओ, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री व उपयंत्री तथा संबंधित ग्राम पंचायतों के सरपंच व सचिव मौजूद थे। खासतौर पर रेड व ओरेंज जोन में चिन्हित की गई जिले की ग्रामीण नल-जल योजनाओं की समीक्षा बैठक में की गई। बैठक में मौजूद सरपंचों व सचिवों से कहा गया कि वे नल-जल योजनाओं पर व्यक्तिगत नजर रखें। सरकार की मंशा के अनुरूप गाँव के हर घर में नल से जल पहुँचना चाहिए। 


13 जून 2025, शुक्रवार का पंचांग

आप का दिन मंगलमय हो

*सूर्योदय :-* 05:24 बजे  

*सूर्यास्त :-* 19:18 बजे 

श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : ग्रीष्म ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज *आषाढ़* माह कृष्ण पक्ष *द्वितीया तिथि* 15:18 बजे तक फिर तृतीया तिथि।

💫 *नक्षत्र आज* पूर्वाषाढ़ नक्षत्र 23:20 बजे तक फिर उत्तराषाढ़ नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *शुक्ल* है।

*करण*  :-आज  *गर* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक, भद्रा, गंडमूल नहीं है।

*🔥अग्निवास*: आज  पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज                          पश्चिम दिशा में है।

*🌚राहूकाल* :आज  10:37 बजे से 12:21

 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:51 बजे से 12:45 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।

*पर्व त्यौहा*:- कोई नहीं 

*मुहूर्त* : -  नामकरण है अन्य नहीं है। 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-वृष , चन्द्र-धनु, मंगल-सिंह, बुध-मिथुन, गुरु-मिथुन, शुक्र-मेष, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

चर 05:24 - 07:08 शुभ

लाभ 07:08 - 08:53 शुभ

अमृत 08:53 - 10:37 शुभ

काल 10:37 - 12:21 अशुभ

शुभ 12:21 - 14:06 शुभ

रोग 14:06 - 15:50 अशुभ

उद्वेग 15:50 - 17:34 अशुभ

चर 17:34 - 19:18 शुभ

*🌘चोघडिया, रात*

रोग 19:18 - 20:34 अशुभ

काल 20:34 - 21:50 अशुभ

लाभ 21:50 - 23:06 शुभ

उद्वेग 23:06 - 24:21*अशुभ

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

अकल्पनीय होता है हवा में हर हादसा

 

अहमदाबाद में एयर इंडिया के वोइंग विमान के क्रेश होने की खबर जब वायरल हुई उस समय में एक सुपरफास्ट रेल में सफर कर रहा था. हादसे की खबर सुनकर मै सिहर उठा. थोडी ही देर में हादसे की तस्वीरें भी आना शुरू हो गई ं जिन्हे देख कुछ देर के लिए लगा जैसे सांस रुक रही है. बोइंग में 242यात्री थे और जीवित बचा सिर्फ 1.इसे चमत्कार कहा जाए तो कम नहीं होगा.

हर हादसा एक त्रासदी होता है और हर मौद दुखद लेकिन कोई भी हवाई त्रासदी सबसे दुखद होती है, क्योंकि हवाई हादसों में किसी के भी बचने की संभावना नगण्य होती है.

बात 12 जून 2025 की है.अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास मेघानीनगर इलाके में एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 (बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर) टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह विमान अहमदाबाद से लंदन (गैटविक) जा रहा था और इसमें 242 लोग सवार थे, जिनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली, और 1 कनाडाई नागरिक शामिल थे। हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी समेत 204 लोगों की मौत की पुष्टि हुई, जबकि दीव के रमेश विश्वास कुमार एकमात्र जीवित बचे।

विमान ने दोपहर 1:38 बजे रनवे 23 से उड़ान भरी और तुरंत MAYDAY संदेश भेजा, जिसके बाद एटीसी से संपर्क टूट गया।यह  विमान मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल बिल्डिंग से टकराया, जिससे आग लग गई और घना काला धुआं उठा। मलबा 1.5 किमी तक फैला।प्रारंभिक जांच में इंजन की तकनीकी खराबी, पायलट की गलती, या टेकऑफ के दौरान बाधा को संभावित कारण बताया गया।बचाव और राहत कार्य:एनडीआरएफ, बीएसएफ, सेना, और फायर ब्रिगेड की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। 7 दमकल गाड़ियों ने आग बुझाने का काम शुरू किया।घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, और ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।अहमदाबाद हवाई अड्डा अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया, जिससे यात्रियों को परेशानी हुई। रेलवे ने विशेष ट्रेनें शुरू कीं।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू और गृह मंत्री अमित शाह अहमदाबाद पहुंचे। जांच के लिए डीजीसीए और अन्य एजेंसियां सक्रिय हैं।प्रधानमंत्री भी संभवतः मौके पर जाएंगे.टाटा ग्रुप ने मृतकों के परिजनों के लिए 1 करोड़ रुपये मुआवजे की घोषणा की। इस हवाई हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया। पीएम मोदी, सीएम भूपेंद्र पटेल, और अन्य नेताओं ने शोक व्यक्त किया।सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दुर्घटना की भयावहता दिखी। कुछ यात्रियों ने हादसे से पहले विमान में खामियों की शिकायत की थी, जिसकी जांच की मांग उठी।।

मै पिछले दो दशक में सैकडों घंटे की हवाई यात्रा का साक्षी हूँ. हवा में तीस चालीस हजार फीट ऊपर घंटों तक उडना जान हथेली पर रखने जैसा होता है, किंतु उन्नत तकनीक और घोर प्रशिक्षण से गुजरे अनुभवी पायलट हर विमान यात्री के लिए देवदूत जैसे होते हैं. विमान बवंडर में फंसे या बादलों में प्राण कंठ में आ जाते हैं. आपदा के समय बताए जाने वाले तमाम सुरक्षात्मक उपाय उस समय धरे रह जाते हैं जब कोई भी विमान हादसे का शिकार होता है.. ऐसे हादसों के बाद लाल बहादुर शास्त्री और माधवराव सिंधिया जैसे मंत्री नैतिकता के चलते अपने पदों से इस्तीफे तक दे देते हैं. लेकिन ये गुजरे जमाने की बात हो चुकी है..

टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान हादसे सबसे आम हैं, वर्ष 2023 के वैश्विक आंकड़ों (109 हादसों में 37 टेकऑफ के दौरान) से पता चलता है।यह एक दुखद घटना है, और जांच से हादसे के सटीक कारणों का पता चलने की उम्मीद है।हाल के आंकड़ों के अनुसार, हवाई यात्रा को परिवहन का सबसे सुरक्षित साधन माना जाता है, लेकिन दुर्घटनाओं का प्रतिशत समझने के लिए कुछ तथ्य महत्वपूर्ण हैं:एविएशन सेफ्टी नेटवर्क के अनुसार, 2017 से 2023 के बीच दुनियाभर में 813 विमान हादसे हुए, जिनमें 1,473 यात्रियों की मौत हुई। यह संख्या कुल उड़ानों की तुलना में बहुत कम है। 2023 में, इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक, 3.7 करोड़ से अधिक उड़ानें हुईं।एसोसियेशन का दावा है कि यदि कोई व्यक्ति 1,03,239 साल तक हर दिन विमान में सफर करे, तो एक घातक दुर्घटना की संभावना होगी। 

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी  के एक अध्ययन (2018-2022) के अनुसार, 1.34 करोड़ यात्रियों में से केवल 1 को घातक दुर्घटना का जोखिम है। 2024 में, चार घातक दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2023 (कोई घातक हादसा नहीं) से अधिक थीं। फिर भी, कुल उड़ानों की संख्या के आधार पर दुर्घटना दर कम रही।पिछले पांच सालों में भारत में केवल एक घातक विमान हादसा हुआ, जिसमें यात्रियों की मौत हुई। 2017-2023 के बीच भारत में 14 हादसे दर्ज किए गए। सबसे ज्यादा हादसे टेक-ऑफ (37%) और लैंडिंग (30%) के दौरान होते हैं। अर्थात हवाई यात्रा की दुर्घटना दर अन्य परिवहन साधनों (जैसे सड़क, रेल) की तुलना में बहुत कम है। सड़क हादसों में भारत में 2022 में 61,000 से अधिक मौतें हुईं, जबकि हवाई हादसों में यह संख्या नगण्य थी। सख्त नियम, उन्नत तकनीक, और प्रशिक्षण के कारण हवाई यात्रा सुरक्षित बनी हुई  है.लेकिन हवाई दुर्घटना सबसे भयावह होती है अहमदाबाद की दुर्घटना क तरह.

@राकेश अचल

गुरुवार, 12 जून 2025

न्यायिक आतंकवाद पर टिप्पणी के निहितार्थ

 

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के तेवर देखकर लगता है कि वे अपने छह माह के कार्यकाल में कुछ न कुछ ऐसा कर जाएंगे जिस पर लंबे अरसे तक बहस होती रहेगी. जस्टिस गव ई ने हाल ही में न्यायिक आतंकवाद के मुद्दे पर बडी साफगोई से अपनी बात कही है. उन्होने संविधान को 'स्याही में लिखी एक शांत क्रांति' बताया है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी ताकत है जो न केवल अधिकार देती है, बल्कि ऐतिहासिक रूप से दबे हुए लोगों को ऊपर उठाती है।

 पिछले दिनों ऑक्सफोर्ड यूनियन में 'फ्रॉम रिप्रेजेंटेशन टू रियलाइजेशन: एम्बॉडिंग द कॉस्टिट्यूशनंस प्रॉमिस' विषय पर बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश गवई ने 'न्यायिक सक्रियता' से 'न्यायिक आतंकवाद' की ओर बढ़ने को लेकर चेतावनी दी और कहा कि हमें ऐसी चीजों से बचना चाहिए.

भारत में न्यायिक सक्रियता हमेशा से सवालों के घेरे मे रही है. जस्टिस गवई से भी इसे लेकर सवाल किया गया. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायिक सक्रियता भारत में जरूरी है। लेकिन, हमें ऐसी जगह पर नहीं जाना चाहिए, जहां न्यायपालिका को नहीं जाना चाहिए। सीजेआई गवई ने जोर देकर कहा,कि भारत में'न्यायिक सक्रियता बनी रहेगी। लेकिन, न्यायिक सक्रियता को न्यायिक आतंकवाद में नहीं बदलना चाहिए। कभी-कभी, आप सीमाएं पार करने की कोशिश करते हैं और ऐसी जगह पर प्रवेश करते हैं, जहां न्यायपालिका को नहीं जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि अगर विधायिका या कार्यपालिका लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहती है, तो न्यायपालिका हस्तक्षेप करेगी। लेकिन, न्यायिक समीक्षा की शक्ति का उपयोग बहुत ही कम मामलों में किया जाना चाहिए। 

सीजेआई गवई  'न्यायिक समीक्षा का प्रयोग बहुत ही सीमित क्षेत्र में  करने के पक्षधर हैं वे कहते हैं कि बहुत ही असाधारण मामलों में इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जैसे कि, कोई कानून संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है, या यह संविधान के किसी भी मौलिक अधिकार के साथ सीधे संघर्ष में है, या यदि कानून इतना स्पष्ट रूप से मनमाना, भेदभावपूर्ण है... तो अदालतें इसका प्रयोग कर सकती हैं, और अदालतों ने ऐसा किया है।' जाहिर है कि उनका संकेत वक्फ बोर्ड कानून की ओर रहा होगा.

आपको याद होगा कि इसी साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार यह तय किया कि राष्ट्रपति को राज्यपाल की ओर से उनके विचार के लिए आरक्षित विधेयकों पर ऐसी सिफारिश मिलने की तारीख से तीन महीने के भीतर निर्णय लेना चाहिए। एक महीने बाद, राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट को लिखा और पूछा कि क्या इस तरह की समय सीमा लगाई जा सकती है। राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट की राय मांगी। यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को कानूनी मुद्दों या सार्वजनिक महत्त्व के मामलों पर अदालत से सलाह लेने की शक्ति देता है।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू तक ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा था कि 'क्या राज्यपाल भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत उनके समक्ष प्रस्तुत विधेयक पर सभी उपलब्ध विकल्पों का प्रयोग करते समय मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सहायता और सलाह से बंधे हैं?' 

मुख्य न्यायाधीश के तेवरों से सरकार सकते में है. सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड कानून पर अभी फैसला सुनाया नहीं है. फैसला सुरक्षित है. लगता है कि सुप्रीमकोर्ट फैसले को सुनाने के लिए सही समय का इंतजार कर रहा है. यदि फैसला अभी आता तो मुमकिन है कि उसके ऊपर भी सिंदूर के छींटे पड जाते. मुमकिन है कि ये फैसला संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले आए ताकि संसद में एक बार फिर इस कानून पर बहस हो सके. सरकार अभी न्याय  से रार लेने की स्थिति में नहीं है. मुमकिन है कि फैसला पक्ष में न आने पर किसान कानूनों कीज्ञहीक्षतरह वक्फ बोर्ड कानून को भी ठंडे बस्ते में डाल दे.

@राकेश अचल

12 जून 2025,गुरुवार का पंचांग

आप का दिन मंगलमय हो

*सूर्योदय :-* 05:24 बजे  

*सूर्यास्त :-* 19:18 बजे 

श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : ग्रीष्म ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज *आषाढ़* माह कृष्ण पक्ष *प्रतिपदा तिथि* 14:27 बजे तक फिर द्वितीया तिथि।

💫 *नक्षत्र आज* मूल नक्षत्र 21:46 बजे तक फिर पूर्वाषाढ़ नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *शुभ* है।

*करण*  :-आज  *कौलव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक, भद्रा, गंडमूल नहीं है।

*🔥अग्निवास*: आज  पाताल में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज                        दक्षिण दिशा में है।

*🌚राहूकाल* :आज  14:05 बजे से 15:50

 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:51 बजे से 12:45 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।

*पर्व त्यौहा*:- कोई नहीं 

*मुहूर्त* : -  विद्यारंभ है अन्य नहीं है। 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-वृष , चन्द्र-धनु, मंगल-सिंह, बुध-मिथुन, गुरु-मिथुन, शुक्र-मेष, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

शुभ 05:24 - 07:08 शुभ

रोग 07:08 - 08:53 अशुभ

उद्वेग 08:53 - 10:37 अशुभ

चर 10:37 - 12:21 शुभ

लाभ 12:21 - 14:05 शुभ

अमृत 14:05 - 15:50 शुभ

काल 15:50 - 17:34 अशुभ

शुभ 17:34 - 19:18 शुभ

*🌘चोघडिया, रात*

अमृत 19:18 - 20:34 शुभ

चर 20:34 - 21:50 शुभ

रोग 21:50 - 23:05 अशुभ

काल 23:05 - 24:21*अशुभ

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

बुधवार, 11 जून 2025

संत शहीदों की स्मृति में गंगादास जी की बड़ी शाला में भागवत कथा आरंभ।

रविकांत दुबे जिला प्रमुख 

ग्वालियर ।प्रथम स्वाधीनता संग्राम मे वीरांगना लक्षमी बाई की पार्थिव देह की रक्षा करते हुये बलिदान हुये  पूरणबैराठी सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला के ब्रह्मलीन 745 संत  शहीदों की पावन स्मृति में प्रतिवर्ष आयोजित  होने बाली श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ बड़ी शाला के सभागार में पूर्ण वैदिक विधि विधान से हुआ। कथा प्रारम्भ होने से पहले श्रीमद भागवत जी की शोभायात्रा कलश यात्रा के रूप में शाला परिसर में निकाली गई। मंदिर में पूजा अर्चना के बाद संत समाधियों और गद्दी का पूजन होकर व्यासपीठ और श्रीमद् भागवत जी का पूजन हुआ। इस बर्ष कथा के पारीक्षित श्री हनुमान जी महाराज होने से पूजन सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर श्री महंत श्री राम सेवक दास जी महाराज ने भक्त जनों के साथ किया। 

कथा के प्रथम दिन कथा व्यास जी ने श्रीमद् भागवत महा पुराण के महत्व का बर्णन करते हुये कहा कि रामायण व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाती है वहीं श्रीमद् भागवत कथा व्यक्ति की मृत्यु को आनन्दमय बना देती है व्यक्ति के अन्दर से मृत्यु के भय को मिटा देती है अपनी मृत्यु के भय से भयभीत राजा पारीक्षित भागवत कथा सुनने के बाद प्रशन्नता पूर्वक अपनी मृत्यु का वरण करता है 

कथा का प्रथम दिन होने से कथा संक्षिप्त रूप से पूरी की। आज कथा के दूसरे दिन शाम चार बजे कथा प्रारम्भ होगी। प्रथम दिवस की आरती में संत समाज के अलावा श्रीदस जी,नागाभजन जी,श्री नागा भगत दास जी,श्री राम दास जी,श्री सिया दुलारी शरण जी, घनश्याम दास जी पुजारी कैलाश नारायण जी,,श्री ब्रह्मदत्त दुबे जी, श्री पुरषोत्तम दास जी, अमित दुबे जी, श्रीमती मोनिका दुबे जी, श्रीमती प्रीति श्रीमती ममता कटारे जी ,श्री मोरली श्रीवस्त श्रीमती बबली शर्मा, मंजुला सिंह काँता कपरौलीया, आदि ने भाग लिया। बड़ी शाला के सभागार में कथा शाम चार बजे से रात्रि आठ बजे तक हौगी।

बिहार : टिमटिमाते चिराग में रोशनी नहीं


अपने जमाने के मौसम विज्ञानी रानीतिज्ञ कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान के पुत्र लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान  बिहार की राजनीति में अपना चिराग जलाना चाहते हैं. चिराग ने  2025 बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की पुष्टि  कर दी है.बिहार की राजनीति में चिराग की घोषणा से हलचल तो हुई है लेकिन बिहार की चुनावी आंधी में अपनी लोकप्रियता का चिराग जला पाएंगे ये कहना बहुत कठिन है 

डत रविवार को  चिराग पासवान बिहार के आरा  पहुंचे.दरअसल चिराग की रणनीति, बिहार की बदलती राजनीतिक परिदृश्य और एनडीए गठबंधन की आंतरिक राजनीति को लेकर पशोपेश बढाने वाली है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से कोई ठोस आश्वासन दिया होगा, अन्यथा चिराग अपना मुँह नहीं खोलते. . आज हर कोई यह सोचने को विवश है कि चिराग पासवान केंद्र में मिले हुए मंत्री पद को छोड़कर बिहार की अनिश्चित राजनीति में आखिर क्यों आना चाहते हैं? हालांकि विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्हें मंत्री पद छोड़ने की कोई जरूरत वैसे तो नहीं है. पर यदि वाकई में अगर उन्हें बिहार में विधायक बनकर राजनीति करनी है तो उनकी संवैधानिक मजबूरी होगी कि वे अपना मंत्री पद और सांसदी दोनों ही छोड़ दें.

सब जानते हैं कि भाजपा महाराष्ट्र की तर्ज पर अपनी सहयोगी जेडीयू को चकमा देकर बिहार में अपनी सरकार बनाने की फिराक में है.भाजपा ने महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को आखिर मुख्यमंत्री पद से हटाकर ही दम लिया था.

लेकिन, सवाल  ये  है कि क्या बीजेपी ऐसा चाहेगी? और ये भी महत्वपूर्ण है कि बदले में चिराग पासवान से बीजेपी की क्या अपेक्षा होगी?

बीजेपी के लिए गठबंधन सहयोगी क्या मायने रखते हैं, थोड़ा पीछे जाकर ट्रैक रिकॉर्ड देखा जा सकता है. चिराग पासवान खुद भी पांच साल पुराने भुक्तभोगी हैं. 

देखा जाये तो वो भी कुर्बानी जैसी ही रही है. एक दौर था जब वो उद्धव ठाकरे और शरद पवार की ही तरह पार्टी से भी हाथ धो बैठे थे, दिल्ली के सरकारी बंगले से भी बेदखल होना पड़ा था - और काफी इंतजार के बाद धीरे धीरे चीजें मिल पाईं. जब नीतीश कुमार को बर्बाद करने के लिए इतना झेलना पड़ा, तब तो नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी बनने के लिए तो और भी बड़ी कुर्बानी देनी पड़ेगी. और बड़ी कुर्बानी तभी मानी जाएगी जब चिराग पासवान अपनी पार्टी दान में दे दें, लेकिन किसी और को नहीं, सिर्फ बीजेपी को. मतलब, बीजेपी में ही विलय कर लें. ऐसे प्रयासों की चर्चा जेडीयू को लेकर भी रही है, और वो भी दोनों तरफ से. लेकिन क्या चिराग पासवान भी तैयार होंगे? 

ये तो पूरी तरह साफ है कि यदि भाजपा ने चिराग पासवान को मोहरा बनाया तो राजद के तेजस्वी यादव की राजनीति बुरी तरह प्रभावित होगी,. तेजस्वी या तो भाजपा के साथ ही चिराग को रास्ते से हटाएं अन्यथा उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनने के लिए लंबा इंतजार और कड़ा संघर्ष भी करना होगा.

तेजस्वी यादव के लिए ये चुनाव ऐसा मौका है, जब नीतीश कुमार की उम्र और राजनीति दोनों ही ढलान पर है. जाति जनगणना भी होने जा रही है. बीजेपी की तरफ से कोई मजबूत दावेदार भी सामने नहीं आया है - और सर्वे में मुख्यमंत्री पद के सबसे पसंदीदा चेहरा बन चुके हैं.  ऐसे माहौल में चिराग पासवान को नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी बना दिया जाता है, तो तेजस्वी यादव के लिए नये सिरे से शुरुआत करनी होगी.

चिराग पासवान राजद के तेजस्वी के हम उम्र हैं. लेकिन उनका रास्ता इतना निरापद भी नहीं है. यदि भाजपा चिराग की रोशनी में सत्ता सिंहासन हासिल करने की कोशिश करती है तो जीतन माझी भी चुप बैठने वाले नहीं हैं. वे भी मुमकिन है कि एन वक्त पर भाजपा का साथ छोडकर राजद के साथ खडे हो जाए्. माझी यदि भाजपा को मझधार में छोडकर जाते हैं तो भाजपा की मुश्किल और बढ सकती है.सवाल ये है कि क्या वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी सब कुछ मौन होकर देखते रहेंगे?

सब जानते हैं कि नीतीश के पेट में दाढी है. उन्हे एकनाथ शिंदे की तरह मूषक बनाना आसान नहीं है. वे भाजपा द्वारा बिछाए गंये जाल को कुतर कर भाग भी सकते हैं. नीतीश की बैशाखी के सहारे केंद्र में टिकी सरकार को अस्थिर नही करना भाजपा की जरुरत भी है और मजबूरी भी. भाजपा का सिंदूर खेला कुछ भी दाव पर लगा सकता है क्योंकि भाजपा ढाई दशक से बिहार की सत्ता हासिल करने का सपना देखरही है.

@  राकेश अचल 


11 जून 2025, बुधवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 05:24 बजे  

*सूर्यास्त :-* 19:17 बजे 

श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : ग्रीष्म ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज *ज्येष्ठ* माह शुक्ल पक्ष *पूर्णिमा तिथि* 13:13 बजे तक फिर प्रतिपदा तिथि।

💫 *नक्षत्र आज* ज्येष्ठा नक्षत्र 20:10 बजे तक फिर मूल नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *साध्य* है।

*करण*  :-आज  *बव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक, भद्रा, गंडमूल नहीं है।

*🔥अग्निवास*: आज  पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज  उत्तर में है।

*🌚राहूकाल* :आज  12:21 बजे से 14:05

 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:51 बजे से 12:45 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।

*पर्व त्यौहा*:- ज्येष्ठ पूर्णिमा,कबीर जयंती, वट सावित्री व्रत पारणा 

*मुहूर्त* : -  मुंडन है अन्य नहीं है। 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-वृष , चन्द्र-वृश्चिक, मंगल-सिंह, बुध-मिथुन, गुरु-मिथुन, शुक्र-मेष, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 🌞चोघडिया, दिन*

लाभ 05:24 - 07:08 शुभ

अमृत 07:08 - 08:52 शुभ

काल 08:52 - 10:37 अशुभ

शुभ 10:37 - 12:21 शुभ

रोग 12:21 - 14:05 अशुभ

उद्वेग 14:05 - 15:49 अशुभ

चर 15:49 - 17:34 शुभ

लाभ 17:34 - 19:18 शुभ

*🌘चोघडिया, रात*

उद्वेग 19:18 - 20:34 अशुभ

शुभ 20:34 - 21:49 शुभ

अमृत 21:49 - 23:05 शुभ

चर 23:05 - 24:21*शुभ

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

मंगलवार, 10 जून 2025

क्योंकि सभी के पास हैं आजकल ' ठंडे बस्ते '

जैसे सरकारी दफ्तरों में फाइलों पर बंधा एक लालफीता होता है, ठीक वैसे ही हमारी सरकारों, राजनीतिक दलों और निर्णायक संस्थाओं के पास एक ठंडा बस्ता होता है. इस ठंडे बस्ते में वे गर्म मुद्दे डाले जाते हैं जिनसे मुल्क में, समाज में आग लगने की आशंका होती है.

"ठंडा बस्ता " एक हिंदी मुहावरा है, जिसका अर्थ है किसी काम, योजना, या मुद्दे को अनिश्चितकाल के लिए टाल देना या उसे नजरअंदाज करना। जब कोई चीज "ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है," तो इसका मतलब है कि उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही और वह प्राथमिकता से हट चुकी है।ठंडे बस्ते का इस्तेमाल हर सरकार करती है. फिर चाहे सरकार किसी भी दल की हो. सरकारों की देखादेखी ठंडे बस्ते का चलन हर संस्था में बढ गया है. हमारी कार्यपालिका, विधायिका, और न्यायपालिका तक में ठंडे बस्ते को पूरा पूरा सम्मान मिलता आया है. 

ठंडे बस्ते के आविष्कारक का पता नहीं है. इस पर शोध होना बाकी है. लगता है इस काम को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.ठंडा बस्ता दो शब्दों से मिलकर बनता है. एक शब्द है ' ठंडा ' और दूसरा है ' बस्ता'. ठंडा को हिंदी में शीतल कहते हैं. और ब, बस्ते को पटका. ठंडे बस्ते के शब्द को लेकर गफलत है. कोई इसे हिंदी का शब्द मानता है तो कोई उर्दू का. लेकिन मैं इसे हिंदुस्तानी शब्द मानता हूं.. मै ठंडे बस्ते की 'कूलिंग 'क्षमता का मुरीद हूँ. मेरी अखंड मान्यता है कि यदि हमारे पास ठंडा बस्ता न होता तो लोकतंत्र खतरे में पड जाता.

लोकतंत्र को खतरे से बचाने के लिए हमारे यहाँ इमरजेंसी का इस्तेमाल किया गया, लेकिन दांव उलटा पडा. लोगों ने इमरजेंसी को ही लोकतंत्र के लिए खतरा मान लिया और इसके खिलाफ जनादेश दिया, लेकिन ठंडे बस्ते के साथ ऐसा नहीं है.

देश में पिछले 11साल में ऐसे दर्जनों नजीरें सामने आईं हैं जहाँ लोकतंत्र बचानेक्षके नाम पर इमरजेंसी के बजाय ठंडे बस्ते का इस्तेमाल किया गया और  एक भी जनादेश ठंडे बस्ते के खिलाफ नहीं आया. ठंडे बस्ते का सर्वाधिक इस्तेमाल हमारे लोकप्रिय नेता और सरकारें करतीं हैं. आपको याद होगा कि देश में किसानों ने सालों साल चलने वाला एक आंदोलन 3कृषि कानूनों के खिलाफ किया था. आंदोलन में 700से ज्यादा किसान शहीद हुए थे. हारकर सरकार ने तीनों कानूनों को वापस लेकर ठंडे बस्ते में डाल दिया और आजतक उन्हे बाहर नहीं निकाला. सरकार जो भी नया कानून बनाती है उसमें से अधिकांश को ठंडे बस्ते में जाना ही पडता है. जो कानून और जो फैसले ठंडे बस्ते में नहीं जाते उन्हे बाद में मुसीबतों का सामना करना पडता है.

सरकार की तरह देश की तमाम छोटी बडी अदालतें  भी ठंडे बस्ते का इस्तेमाल करतीं हैं. अदालतों में तमाम मामलों में सुनवाई पूरी होने के बाद फैसले सुरक्षित रख लिए जाते हैं. ये फैसले ठंडे बस्तों में ही तो रखे जाते हैं. ताजा फैसला वक्फ बोर्ड कानून का है. आप सरकार हो या अदालत किसी को भी ठोडा बस्ता खोलने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. ये सभी निर्णायक संस्थाओं का संवैधानिक अधिकार है. अभी तक इस अधिकार को किसी अदालत में चुनौती नहीं दी गई. इसीलिए ठंडे बस्ते वजूद में हैं.

हमारे यहाँ जितनी भी छोटी बडी जांच एजेंसियां हैं वे ठंडे बस्तों का इस्तेमाल करतीं हैं. पुलिस, ईडी, सीबीआई सभी को ठंडे बस्ते प्रिय हैं. ये जांच एजेंसियां देश काल, परिस्थिति के अनुरूप ठंडे बस्तों का इस्तेमाल करती आई हैं. आगे भी करतीं रहेंगी. देश के ठंडे बस्ते हमेशा सार्थक साबित होते हैं. ठंडे बस्तों को बांधना और खोलना भी एक ललित कला है. कब किस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालना और कब, किस मुद्दे को ठंडे बस्ते से निकालना है.

 भारत में ऐसे कई मामले हैं, जिनमें आपराधिक, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, और सामाजिक मुद्दों से जुड़े मामले शामिल हैं।1984 सिख विरोधी दंगों के कई मामले आज भी पूरी तरह सुलझे नहीं हैं। कई पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिला, और कुछ प्रमुख आरोपी कानूनी प्रक्रिया की जटिलताओं के कारण सजा से बचते रहे।हाई-प्रोफाइल हत्याएं जेसिका लाल हत्याकांड (1999) और प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड (1996), लंबे समय तक लंबित रहे। हालांकि इनमें अंततः सजा हुई, लेकिन देरी ने सिस्टम की कमियों को उजागर किया।नदिमार्ग नरसंहार (2003) के मामले में, 2022 में जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने फिर से सुनवाई शुरू करने के निर्देश दिए, क्योंकि यह मामला लंबे समय तक ठंडे बस्ते में रहा। बोफोर्स घोटाला (1980-90): बोफोर्स तोप सौदे में कथित रिश्वत के मामले की जांच दशकों तक चली, लेकिन कोई बड़ा दोषी सजा नहीं पाया। यह मामला समय के साथ ठंडा पड़ गया।2जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2008): इस बड़े भ्रष्टाचार मामले में कई आरोपियों को अंततः बरी कर दिया गया, और जांच की धीमी गति ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।कोयला घोटाला (कोलगेट): कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितताओं के मामले में कई जांचें शुरू हुईं, लेकिन अधिकांश मामलों में ठोस परिणाम नहीं मिले।

आतंकवाद और सुरक्षा से जुड़े मामले जैसे 1993 मुंबई बम धमाके के मामले में हालांकि कुछ मुख्य आरोपियों को सजा हुई, कई सह-आरोपी अभी भी फरार हैं, और कुछ पहलुओं की जांच अधूरी है।पठानकोट हमले (2016)  की जांच में कई सवाल अनुत्तरित रहे, और मामला धीरे-धीरे सुर्खियों से बाहर हो गया.

राजस्थान और अन्य राज्यों में दलितों के खिलाफ अत्याचार के कई मामले, जैसे करौली में दलित युवती की हत्या (2023), अभी तक पूरी तरह सुलझे नहीं हैं।महिलाओं के खिलाफ अपराध: कई बलात्कार और हिंसा के मामले, जैसे निर्भया केस के बाद के कुछ मामले, जांच और सुनवाई में देरी के कारण लंबित रहते हैं।

भारत में इंटरनेट शटडाउन के कई मामले, जैसे कश्मीर में 2019 के बाद हुए शटडाउन, कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन कई याचिकाएं कोर्ट में लंबित हैं।दिल्ली शराब घोटाला (2021-22): इस मामले में कुछ आरोपियों को राहत मिली, लेकिन जांच अभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई।ठंडे बस्ते में जाने के कारणन्यायिक प्रक्रिया में देरी: भारत में कोर्ट में लाखों मामले लंबित हैं। 2023 तक, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स में करीब 50 लाख मामले पेंडिंग थे।जांच एजेंसियों की सुस्ती: सीबीआई, एनआईए जैसी एजेंसियों पर संसाधनों की कमी और राजनीतिक दबाव के आरोप लगते हैं।साक्ष्यों का अभाव: कई मामलों में साक्ष्य एकत्र करने में देरी या गवाहों का सहयोग न मिलना।राजनीतिक हस्तक्षेप: कुछ मामलों में राजनीतिक प्रभाव के कारण जांच रुक जाती है।वर्तमान स्थितिकई संगठन और कार्यकर्ता इन मामलों को फिर से उठाने की कोशिश करते हैं। उदाहरण के लिए, 2024 में दलित और आदिवासी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण से जुड़े फैसले के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया, जिससे कुछ पुराने मुद्दों पर फिर से ध्यान गया।

यानि ठंडे बस्तों की कथा अनंत है, अनादि है. मै इसे यहीं समाप्त करता हूँ यानि ठंडे बस्ते में डालता हूँ. शुक्र मनाइये कि लालफीताशाही की तरह अभी देश में ठंडा बस्ताशाही जैसी कोई चीज मुहावरा नहीं बनी है.

@ राकेश अचल

10 जून 2025, मंगलवार का पंचांग

आप का दिन मंगलमय हो

*सूर्योदय :-* 05:24 बजे  

*सूर्यास्त :-* 19:17 बजे 

श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : ग्रीष्म ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज *ज्येष्ठ* माह शुक्ल पक्ष *चतुर्दशी तिथि* 11:35 बजे तक फिर पूर्णिमा तिथि।

💫 *नक्षत्र आज* अनुराधा नक्षत्र 18:01 बजे तक फिर ज्येष्ठा नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *सिद्धि* है।

*करण*  :-आज  *वणिज* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक नहीं भद्रा 11:35 बजे से गंडमूल 18:08 बजे से है।

*🔥अग्निवास*: आज  पाताल में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज                       उत्तर में है।

*🌚राहूकाल* :आज  15:49 बजे से 17:33

 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:51 बजे से 12:45 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।

*पर्व त्यौहा*:- सत्यनारायण व्रत, वट सावित्री व्रत पूर्णिमा पक्ष

*मुहूर्त* : -  नहीं है। 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-वृष , चन्द्र-वृश्चिक, मंगल-सिंह, बुध-मिथुन, गुरु-मिथुन, शुक्र-मेष, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

रोग 05:24 - 07:08 अशुभ

उद्वेग 07:08 - 08:52 अशुभ

चर 08:52 - 10:37 शुभ

लाभ 10:37 - 12:21 शुभ

अमृत 12:21 - 14:05 शुभ

काल 14:05 - 15:49 अशुभ

शुभ 15:49 - 17:33 शुभ

रोग 17:33 - 19:17 अशुभ

*🌘चोघडिया, रात*

काल 19:17 - 20:33 अशुभ

लाभ 20:33 - 21:49 शुभ

उद्वेग 21:49 - 23:05 अशुभ

शुभ 23:05 - 24:21*शुभ

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

सोमवार, 9 जून 2025

डीएमके को क्यों नहीं हरा सकती भाजपा?

 

राजनीति में महात्वकांक्षा का बडा महत्व है और इस समय भाजपा देश की सबसे बडी महात्वाकांक्षी राजनीतिक दल है. भाजपा रोडमैप बनाकर राजनीति करती है और भाजपा ने अभी से मान लिया है कि भाजपा बिहार भले जीत ले लेकिन तमिलनाडु को नहीं जीत सकती. भाजपा के लिए तमिल अस्मिता को सिंदूरी रंग में रंगना आसान नहीं है. इसीलिए भाजपा के चाणक्य कहिये या भामाशाह यानि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मान लिया है कि डीएके को हराना भाजपा के बूते की बात नहीं है लेकिन शाह को भरोसा है कि तमिल जनता ही डीएमके को हराएगी.

अमित शाह के हाव-भाव, बोलचाल से मैं रत्तीभर पसंद नहीं करता किंतु मै उनकी हाडतोड मेहनत और  दृढ इच्छाशक्ति का मुरीद हूँ. किसी दूसरे दल के पास अमित शाह जैसा मेहनती नेता नहीं है. शाह दूर की कौंडी लेकर चलते हैं. आलोचनाओं से घबडाते नहीं हैं. तमिलनाडु को लेकर भी उन्होने जमीनी हकीकत जान ली है लेकिन तमिलनाडु में सत्ता हासिल करने का लक्ष्य नहीं छोडा है.

अमित शाह के सपनों वाले तमिलनाडु की राजनीति के बारे में जान लीजिये. तमिलनाडु में अगले साल 2026में विधानसभा चुनाव हैं.तमिलनाडु का राजनीतिक परिदृश्य 2025 में द्रविड़ विचारधारा, क्षेत्रीय अस्मिता, और केंद्र-राज्य संबंधों पर केंद्रित है। तमिलनाडु में प्रमुख राजनीतिक दलद्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम यानि डीएमके वर्तमान में सत्तारूढ़ पार्टी है. एम.के. स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री हैं। आपको याद होगा कि वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में डीएमके ने 10 साल बाद सत्ता हासिल की थी , जिसका कारण एआईएडीएमके की सत्ता-विरोधी लहर और गठबंधन रणनीति थी। डीएमके तमिल अस्मिता, भाषाई गौरव, और सामाजिक न्याय पर जोर देती है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति  2020 के त्रिभाषा फॉर्मूले का विरोध करती है, इसे हिंदी थोपने की साजिश मानते हुए हाल ही में  डीएमके ने केंद्र सरकार पर परिसीमन और जनगणना 2027 को लेकर तमिलनाडु के संसदीय प्रतिनिधित्व को कम करने का आरोप लगाया है।

अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम प्रमुख विपक्षी दल है.जिसका नेतृत्व एडप्पादी के. पलानीस्वामी  कर रहे हैं। 2021 में सत्ता गंवाने के बाद से ही एआईएडीएमके 2026 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में सक्रिय है। हाल ही में केंद्र में बीजेपी के साथ गठबंधन करने का ऐलान किया है  अमित शाह इस गठबंधश के योजनाकार हैं. हालांकि इस गठबंधन को लेकर दोनों दलों में कुछ मतभेद भी हैं।, खासकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई इन मतभेदों की जड हैं. आपको पता ही है कि भारतीय जनता पार्टी का तमिलनाडु में  प्रभाव सीमित रहा है, लेकिन के. अन्नामलाई के नेतृत्व में पार्टी ने वोट शेयर को 3.66 फीसदी से बढ़ाकर 11.1 फीसदी किया है।

तमिलनाडु में द्रविड़ दलों की मजबूत जड़ों के कारण बीजेपी को सत्ता में आने के लिए कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।बीजेपी ने तमिल संस्कृति और रामसेतु जैसे प्रतीकों के जरिए अपनी पैठ बनाने की कोशिश की, लेकिन हिंदी विरोध और द्रविड़ अस्मिता जैसे मुद्दों ने इसे मुश्किल बनाया।तमिलगा वेट्री कझगम तमिल सुपरस्टार विजय ने 2024 में अपनी राजनीतिक पार्टी शुरू की, जिसे 2026 के विधानसभा चुनाव में एक नया विकल्प माना जा रहा है।विजय की पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही, लेकिन क्षेत्रीय मुद्दों और सामाजिक कल्याण पर जोर दे रही है। सर्वे में विजय को 18 फीसदी लोगों की पसंद बताया गया, जो डीएमके के बाद दूसरा स्थान है। 

तमिलनाडु में हिंदी विरोध का लंबा इतिहास रहा है, जो 1937 से शुरू हुआ।2025 में डीएमके ने नयी शिक्षा नीति के त्रिभाषा फॉर्मूले को हिंदी थोपने की कोशिश करार दिया, जिसे केंद्र ने खारिज किया। ।स्टालिन ने इसे तमिल अस्मिता और द्रविड़ गौरव से जोड़कर "भाषा युद्ध" की बात कही।परिसीमन और जनगणना 2027 के मुद्दे पर भी स्टालिन भाजपा पर हमलावर हैं.स्टालिन ने केंद्र पर आरोप लगाया कि 2027 की जनगणना और परिसीमन से तमिलनाडु की लोकसभा सीटें कम हो सकती हैं, जिससे दक्षिण भारत की राजनीतिक ताकत कमजोर होगी।केंद्र ने इन आशंकाओं को निराधार बताया और गृह मंत्री अमित शाह ने भरोसा दिया कि दक्षिणी राज्यों को नुकसान नहीं होगा।तमिलनाडु सरकार और केंद्र के बीच टकराव के तमाम मुद्दे है.

स्टालिन ने प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई को, खासकर  तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन मामले में, राज्य के अधिकारों में दखल बताया। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की कार्रवाई पर अस्थायी रोक लगाई, इसे संघीय ढांचे का उल्लंघन माना।डीएमके ने केंद्र पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया, जबकि बीजेपी इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई बताती है.तमिलनाडु की राजनीति में द्रविड़ विचारधारा और तमिल भाषा का गौरव केंद्रीय मुद्दा रहा है। डीएमके और एआईएडीएमके दोनों इस अस्मिता को मजबूत करने में लगे हैं।तमिलनाडु का नाम "तमिझगम" करने का प्रस्ताव भी विवाद का कारण बना, जब राज्यपाल आरएन रवि ने इसे समर्थन दिया, जिसे डीएमके ने राष्ट्रीय एकता के खिलाफ माना।

सत्तारूढ़ दल के रूप में डीएमके को अपनी सामाजिक कल्याण योजनाओं और तमिल अस्मिता के मुद्दे पर भरोसा है, लेकिन कर्ज का बोझ और भ्रष्टाचार के आरोप चुनौतियाँ हैं.हालांकि  एआईएडीएमके-बीजेपी गठबंधन 2026 में मजबूत चुनौती पेश कर सकता है, लेकिन अन्नामलाई और पलानीस्वामी के बीच तनाव गठबंधन की एकजुटता को प्रभावित कर सकता है। नवगठित टीवीके के नेता विजय की लोकप्रियता और युवा समर्थन नई राजनीतिक गतिशीलता ला सकता है, लेकिन संगठनात्मक अनुभव की कमी एक चुनौती होगी। आपको पता ही होगा कि सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि तमिलनाडु में द्रविड़ आंदोलन का गहरा प्रभाव है, जो 1916 में गैर-ब्राह्मण घोषणापत्र से शुरू हुआ।डीएमके और AIADMK दोनों द्रविड़ विचारधारा से निकले हैं, लेकिन छोटे दल जैसे पीएमकेवीसीकेऔर एमडीएमके भी जातीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर प्रभाव रखते हैं।तमिल भाषा और संस्कृति के प्रति संवेदनशीलता राजनीतिक रणनीतियों का आधार रही है। अब देखना ये है कि भाजपा तमालनाडु में खेला कर पाती है या नहीं?

@ राकेश अचल

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