भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी सम्पदा वन सम्पदा है और प्रदेश को अपनी वन सम्पदा पर गर्व है। इसे संरक्षित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी वनों से जुडे लोगों और वन विभाग के प्रत्येक सदस्य पर है। मुख्यमंत्री शनिवार को आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी में आईएफएस मीट (वानिकी सम्मेलन) को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिगड़े वनों को हरा-भरा बनाना सबसे बड़ी चुनौती है। वन भारतीय संस्कृति से गहरे जुड़ा है और वन से ही भविष्य जुड़ा है। ऐसे में वनों को संरक्षित, सुरक्षित और इसका बेहतर उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अब प्राथमिकताएं बदल रही हैं। उन्होंने बांस और छोटे अनाज का उदाहरण देते हुए कहा कि अब यह आर्थिक महत्व की फसल बन रही है। वन विभाग को सहयोगी की भूमिका निभाना होगी। बिगड़े वन क्षेत्रों में सुधार लाने के सभी उपाय अपनाना होंगे। उन्होंने कहा कि वन से जुड़े लोगों और राज्य के हित में तनाव और टकराहट से बचते हुए वन संरक्षण को आगे जारी रखना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन अधिकारियों और मैदानी अधिकारियों के सक्रिय सहयोग से ही वन संरक्षण संभव है। उन्होंने वन संरक्षण से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे वन संरक्षण अधिनियम के उद्देश्यों को आत्मसात करें। जब 1980 में वन संरक्षण अधिनियम बना था तब की परिस्थितियों और वर्तमान परिस्थितियों में जमीन-आसमान का अंतर है। तब लोगों की अपेक्षाएं और आशाएं कम थी। राष्ट्रीय उद्यान बनाना आसान था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश की जैव विविधता अत्यंत समृद्ध है। इस पर कई अनुसंधान हो रहे हैं। अब दुनिया तेजी से रसायन आधारित फार्मास्युटिकल दवाओं से रसायन मुक्त फार्मास्युटिकल दवा निर्माण की तरफ बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि वनोपज भविष्य के लिए महत्वपूर्ण सम्पदा है। वन विभाग को इन आधार पर अपनी सोच-समझ बढ़ाते हुए आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि वन विभाग को एक दिशा में काम न करते हुए समान उद्देश्य के लिए बहुआयामी रणनीति के साथ कार्य करना होगा।
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आईएफएस मीट:मध्यप्रदेश की वन सम्पदा पर है हमें गर्व है-मुख्यमंत्री
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