जेयू के फिजिक्स विभाग में हुए व्याख्यान में एक्सपर्ट ने कहा
ग्वालियर।यह कंप्यूटेशन का जमाना है। बदलते समय में इक्कीसवीं सदी में कंप्यूटेशन ईकोसिस्टम का हिस्सा बन चुका है, क्योंकि लगभग हर काम में कंप्यूटर का उपयोग होता है। यदि बात माइक्रोस्कोपी की जाए तो सामान्यतः माइक्रोस्कोपी द्वारा कोशिका के बराबर के एटम को आसानी से देखा जा सकता है, लेकिन स्केनिक टनलिंग माइक्रोस्कोपी(एसटीएम) के माध्यम से अधिक बारीक कणों को भी आसानी से देखा जा सकता है। पहले इसे दूसरे देश से खरीदा जाता था, लेकिन अब इसे हमारे देश में ही बनाया जा रहा है और इसका फायदा कई स्टूडेंट्स को मिल रहा है। यह बात आईआईटी कानपुर के पूर्व प्रोफेसर प्रो. देशदीप सहदेव ने कही। वह जीवाजी यूनिवर्सिटी भौतिकी अध्ययनशाला में अब्दुल कलाम लेक्चर सीरीज के तहत हुए व्याख्यान में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने अपने द्वारा बनाई गई माइक्रोस्कोपी के बारे में भी जानकारी दी। इस अवसर पर विभाग की ओर से प्रो. नीरज जैन, डॉ. पी राजाराम, प्रो. डीसी गुप्ता और प्रो. यूपी वर्मा मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. आरके तिवारी ने की।
बारीक कणों को आसानी से देख सकता है
चाहे बात नैनो टेक्नोलॉजी की हो, मटेरियल साइंस की, कैमिस्ट्री की या फिजिकस की इन सबमें एसटीएम का उपयोग काफी होता है। इसके माध्यम से किसी एटम के 25वें हिस्से को आसानी से देखा जा सकता है
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