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भगवान जाति-पद के नहीं, भावना के वशीभूत होते हैं: गोपाल शरण महाराज

भगवान जाति, पद के नहीं बल्कि भावनाओं के वशीभूत होते हैं। हिरण्यकश्यप द्वारा प्रहलाद को अनेकों यातनाएं दी गईं। लेकिन प्रहलाद का भाव भगवान के लिए पूरी तरह से निस्वार्थ भाव से समर्पित था। इसलिए उसकी विजय हुई। यह सही है कि जो व्यक्ति निष्फल कार्य करता है, अंत में उसकी विजय होती है।केंद्रीय कारागार में जारी श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन प्रहलाद चरित्र का सुंदर वर्णन गोपाल शरण महाराज द्वारा किया गया।


 आरती एवं कथा पूजन में सांसद विवेक नारायण शेवालकर, पूर्व साडा अध्यक्ष राकेश जादौन, रामू तोमर, नगर निगम सभापति राकेश माहौर, भागवत कथा के यजमान जेल अधीक्षक मनोज कुमार, रश्मि साहू, संयोजक परमानन्द साहू , उपअधीक्षक प्रभात कुमार, सहायक जेल अधीक्षक महावीर सिंह, सहायक जेल अधीक्षक विपिन दंडोतिया समेत अन्य लोग मौजूद रहे।


गुरुवाणी सेवा ट्रस्ट द्वारा आयोजित भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन भागवताचार्य ने स्वच्छता का संदेश दिया। महाराज जी ने कहा कि राम मनुष्य गंगा नदी है, राम मर्यादा पुरुषोतम कहलाए और रामनाम की शक्ति से असुरों पर विजय पाई। आज भी जो राम के नाम का जप करते हैं, उनकी बुद्धि और विवेक काफी बलशाली होती है। इसी तरह गंगाजल में स्नान करने से तन की शुद्धि होती है। जो शरीर की कई तरह की बीमारियों को दूर कर शरीर को निरोगी बनती है। इसलिए राम और गंगा बुद्धि और शरीर को स्वच्छ रखती है। आप सभी अपने आसपास के क्षेत्र को साफ स्वच्छ रखें। जिससे किसी भी प्रकार की नकारात्मक उर्जा आपके पास फाटक न पाए।


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