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'माता के व्यवहारखानपान और विचार से गर्भस्थ शिशु में पैदा होती है शक्ति'

 ग्वालियर । गायत्री परिवार द्वारा चल रहे आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी अभियान के अंतर्गत शनिवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कैम्ब्रिज से आए डॉ. कर्पर शेल्डर ने कहा कि माता के व्यवहार, खानपान और विचारों से गर्भस्थ शिशु में शक्ति पैदा होती है। बच्चे के मानसिक विकास में माता के सकारात्मक विचार काफी मदद करते हैं। इसलिए जरूरी है कि माता को 9 माह तक अपनी दिनचर्या पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। इस अवसर पर डॉ. बीआर श्रीवास्तव ने कहा कि विश्व में सबसे अधिक शोध इस बात पर हो रहे हैं कि गर्भस्थ शिशु को किस तरह समाज के लिए अनुकूल बनाया जाए। इस अवसर पर अभियान की राष्ट्रीय संयोजक डॉ. गायत्री शर्मा ने कहा कि संतान को संस्कारवान बनाने के लिए माता के व्यवहार, सोच, स्वास्थ्याय, दैनिक क्रियाकलाप की तैयारी गर्भधारण से पूर्व करना जरूरी है। इसके लिए हावर्ड एंड केंब्रिज विश्वविद्यालय में भी बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए शोध किए जा रहे हैं। गर्भस्थ शिशु का शारीरिक विकास डॉक्टर की मदद से कर लिया जाता है लेकिन मानसिक विकास रह जाता है। आज के दौर में बच्चे गर्भ से ही बीमारियां लेकर पैदा हो रहे हैंअतः गर्भ में ही संस्कार की जरूरत होती है। कार्यशाला में डॉ. आरपी बांदिल, डॉ. संजय गुप्ता, डॉ. पंकज साहू आदि उपस्थित थे। कार्यशाला का संचालन डॉ. श्रद्धा सक्सेना ने किया।


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