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मध्य प्रदेश में विकास के लिए बजट के अलावा वैकल्पिक वित्तीय स्रोतों पर चर्चा

भोपाल। भोपाल के मिंटो हॉल में सीएम कमलनाथ और योजना आयोग के पूर्व अध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने ऑल्टरनेट प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग वर्कशॉप का शुभारंभ किया।मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि निजी निवेशक तभी आएगा जब उसे भरोसा होगा, इसके लिए पीपीपी मॉडल ही सबसे बेस्ट विकल्प है। केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर इसके लिए कानून बनाना चाहिए ताकि उन्हें भरोसा निर्मित हो। उन्होंने आंध्र प्रदेश का उदाहरण देते हुए बताया कि जब वहां पर राजनीतिक स्थितियां बदलीं तो यह एक निजी एजेंसी ने पैसा लगाकर मेगा सिटी बनाई थी। दूसरी सरकार ने आकर उस फैसले को पलट दिया ऐसे में निजी निवेशक निवेश करने से पहले कई बार सोचता है। पीपीपी मॉडल का रूप अभी फाइनल नहीं हुए हैं, हर राज्य अपने अपने हिसाब से इसको देखते हैं और काम करते हैं। पीपीपी मॉडल मेंं पारदर्शिता की जरूरत है। सभी अधिकारियों को यह सोचना होगा कि वह किस आधार पर काम करें, निजी निवेशक चाहता है कि सरकार उसके लोन की गारंटी ले ले, लेकिन इसमें यदि निवेशक चला जाता है तो फिर पूरी लायबिलिटी सरकार के ऊपर आ जाती है। 20 साल के रीपेमेंट का तरीका भी हो सकता है।
मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने क्लाइमेट चेंज को लेकर भी कहा कि यह सही है कि इसमें बजट लगता है लेकिन यदि रिटर्न नहीं है तो भी चिंता करने की बात नहीं है। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश वाटर मैनेजमेंट के मामले में टॉप पर है, फॉरेस्ट कवर भी है। उन्होंने सुनामी का उदाहरण देते हुए कहा कि अंडमान निकोबार में 97% फॉरेस्ट कवर था वहां कुछ पेड़ काटकर बसाहट के लिए जगह बनाने की बात आई तो सरकार ने मना किया। सभी राज्यों को भी इसी तरीके से करना चाहिए।


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