महंगाई पर रोक के लिए नीतिगत कदम उठाना आवश्यक

अभिव्यक्ति  संस्था द्वारा बजट पर परिचर्चा का आयोजन 

 ग्वालियर। अभिव्यक्ति  सामाजिक संस्था द्वारा हाल ही में पेश किए गए बजट पर एक परिचर्चा का आयोजन गत दिवस किया गया। जिसमें बजट को लेकर अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट ने अपनी राय प्रकट की। इससे पूर्व संस्था के अध्यक्ष और मप्र के पूर्व मंत्री बालेन्दु शुक्ला ने संस्था के क्रियाकलापों की विस्तृत जानकारी दी और बताया कि अभिव्यक्ति  संस्था रचनात्मक मार्ग से प्रत्येक क्षेत्र में सुधार की पक्षधर है। विषय प्रर्वतन करते हुए परिचर्चा का संचालन कर रहे डॉ.योगेन्द्र मिश्र ने बजट को लाभकारी बताया और कहा कि बजट में सभी वर्ग के लोगों का ध्यान भाजपा की केन्द्र सरकार ने रखा है।  इस बजट से देश को हरसंभव लाभ पहुंचेगा।  परिचर्चा के मुख्य वक्ता सीए आशीष पारेख ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस इस बजट के दूरगामी परिणाम सही नहीं हैं। बजट में आम आदमी के हितों का ध्यान नहीं रखा गया है। इससे मध्यम वर्गीय परिवार प्रभावित होंगे। किचन का ध्यान नहीं रखा गया। खाने-पीने की वस्तुओं पर टैक्स में कोई खास छूट नहीं दी। सरकार ने बड़े लोगों के हितों को ध्यान में रखकर बजट पेश किया है। वहीं टैक्स के दायरे को एक ही रखा जाना चाहिए था। भारत देश हमेशा से ही कैश इकॉनामी वाला रहा है ऐसे में डिजीटल पेमेंट लोगों को ज्यादा रास नहीं आ रहा है। परिचर्चा के विषय विशेषज्ञ डॉ.सुरेश सचेदवा प्रो.अर्थशास्त्र एमएलबी कॉलेज ने कहा कि सरकार पहले खर्च की बात करती है फिर बचत की बात करती है उन्होंने कहा कि किसी भी देश की इकॉनामी उसका बजट होता है। युवाओं के लिए बजट में कई घोषणाएं तो कर दी गई हैं, मगर ऐसा लगता नहीं कि उससे युवाओं को कोई फायदा होने वाला है। 

उन्होंने कहा कि देश में खरीदी क्षमता भी कम हो रही है। परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए पूर्व आईपीएस श्याम सुंदर शुक्ला ने कहा कि यह बजट उम्मीदों पर बिल्कुल भी खरा नहीं उतरा है। इस बजट से नौकरीपेशा लोगों को झटका ही लगा है। सरकार बेरोजगारी पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि देश ऑनलाइन भुगतान के लिए अभी तैयार नहीं है वहीं नोटबंदी से भी ज्यादा नुकसान हुआ है। श्री शुक्ला ने कहा कि हमारे देश का कल्चर क्या है उसके हिसाब से देश को चलना चाहिए। बजट से कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। एक तरह से यह बजट मायूस करने वाला ही है। पूर्व मंत्री बालेन्दु शुक्ला ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने देश के हितों को ध्यान में रखकर बजट पेश किया है। टैक्स के दायरे में जिन लोगों को रखा गया है। उन्हें सम्मान करना चाहिए। टैक्स मिलेगा और मेडिकल, शिक्षा, सड़क आदि की सुविधा बढ़ेगी। लोग टैक्स देने से कतराते हैं। जबकि फिजूल खर्ची पर पैसा बहाते हैं। देश की तरक्की के लिए टैक्स देना चाहिए। बजट बेहद अच्छा है। इससे न केवल देश का विकास होगा ,बल्कि आम आदमी को भी हर क्षेत्र में सुविधा प्राप्त होगी। बजट पर परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए संपादक और समाजसेवी प्रकाश नारायण शर्मा ने अपनी राय स्पष्ट की कि आम बजट में वित्त मंत्री ने घर खरीदारों को राहत देते हुए ब्याज पर दी जा रही छूट एक वर्ष के लिए बढ़ा दी। ऐसे में खरीदे गए घर के कर्ज को लौटाने के लिए पिछले बजट में छूट डेढ़ लाख थी, जिसे बढ़ाना मध्यम वर्ग के लिए तोहफा होगा। शिक्षा की योजना भी ठीक है,इससे देश के हर वर्ग को लाभ मिलेगा। शिक्षा, चिकित्सा व रक्षा देश की पहली जरूरत होती है। वहीं टैक्स में राहत करोड़ों देशवासियों के लिए लाभदायक साबित होगी। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश सम्राट ने कहा कि बजट ने देश के किसानों और नौजवानों को निराश किया है। बजट में नई पीढ़ी के सपनों को पूरा करने के लिए क्या है इनके पास। कहां है नौकरी, रोजगार और इन्वेस्टमेंट। पेश किए गए बजट में संभावनाएं नहीं हैं। समाजसेवी राकेश शर्मा ने कहा कि यह वो बजट है जिसकी शुरूआत मनमोहन सरकार ने पूर्व में की थी। मैं इस बजट से कतई खुश नहीं हूं। देश में छोटी बचत अब समाप्त हो गई है। पत्रकार जावेद खान ने कहा कि बजट निराशा से भरा है। गरीबों के लिए ऐसी कोई जनयोजना नहीं है जिसे सराहा जाए। 

 

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