नई दिल्ली । कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच थोड़ी राहत देने वाली खबर है। दुनियाभर के आंकड़ों को देखें तो भारत में कोरोना के मरीज अमेरिका के मुकाबले जल्दी ठीक हो रहे हैं। अमेरिका में जहां महज पांच फीसदी लोग बीमारी से उबरकर घर लौटे हैं तो वहीं भारत में सात फीसदी से ज्यादा मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है।
ज्यादातर का घर में उपचार संभव : अमेरिकी एजेंसी 'सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन' के अनुसार, अब तक जो तथ्य आए हैं उससे पता चलता है कि ज्यादातर मरीजों का सिर्फ घर में ही रहने से उपचार हो सकता है। गंभीर लक्षणों वाले मरीज को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है।
शिकागो की 'रश मेडिकल यूनिवर्सिटी' में डॉक्टर बाला होता का कहना है कि आंकड़ों से पता चलेगा कि मरीजों में इस वायरस से लड़ने की कितनी क्षमता विकसित हो रही है। यह भी पता चलेगा कि किस तरह के मरीज को कितनी देर क्वारंटाइन में रखने की जरूरत है ताकि वह क्वारंटाइन का समय पूरा कर काम पर लौट सके। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि मरीज को कितने दिन अलग रखना सही होगा। अलग-अलग शोध से अलग-अलग आंकड़े आए हैं।
किसी ने कहा है कि लक्षण 4 से 14 दिन तक दिख सकते हैं। चीन के एक शोध के मुताबिक, बीमारी ठीक होने के 37 दिन बाद तक मरीजों में लक्षण देखे गए हैं। इसलिए अभी सतर्क रहना ज्यादा जरूरी है।
संक्रमण कितना खतरनाक:
14 फीसदी लोगों में संक्रमण के गंभीर लक्षण दिखे। सांस लेने में दिक्कत और जल्दी-जल्दी सांस लेने जैसी समस्या आई
6 फीसदी लोग कोरोना से बीमार हुए। इससे लोगों के फेफड़े फेल हो गए और सेप्टिक शॉक आया और अंगों ने काम करना बंद कर दिया।
80 फीसदी लोगों में संक्रमण के मामूली लक्षण दिखे। जैसे बुखार-खांसी।
कहां कितने मरीज अस्पताल से घर लौटे
भारत- 7.34
जर्मनी-34.89
अमेरिका-5.40
स्पेन- 29.58
इटली- 17.33
चीन-93.60
ईरान-40.5
फ्रांस- 17.60
द. कोरिया-64.40
स्विटजरलैंड-37.0
इन्हें ज्यादा खतरा
रिपोर्ट के अनुसार, बुजुर्गों और पहले से ही सांस की बीमारी (अस्थमा) से परेशान लोगों, मधुमेह और हृदय रोग जैसी परेशानियों का सामना करने वालों के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका अधिक है। भारत में भी 86 फीसदी मौत के मामलों में लोगों को डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी और दिल से जुड़ी बीमारियां थीं।
इलाज का तरीका
अभी तक इस वायरस का कोई वास्तविक इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। दुनिया में कोरोना से पीड़ित लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टर सिर्फ इस कोशिश में हैं कि वह मरीज के शरीर को सांस लेने में मदद कर सकें और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति का शरीर खुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए। hundustan
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