फ़्रांस के टॉलोस शहर के रहने वाले पलारेस पैट्रिस अपनी पत्नी वर्जीनी, दो बेटियों और एक बेटे के साथ फ़रवरी से ही भारत की यात्रा पर निकले थे. 21 मार्च को उनका नेपाल जाने का कार्यक्रम था और वो नेपाल की सीमा में जब प्रवेश करने वाले थे, उसके अगले दिन जनता कर्फ़्यू था. उस दिन ये लोग महराजगंज के लक्ष्मीपुर ब्लॉक के कोल्हुआ गांव में एक मंदिर में रुक गए.
दो दिन बाद ही लॉकडाउन घोषित कर दिया गया और सभी अंतरराष्ट्रीय सीमाएं सील कर दी गईं, जिसके बाद इन लोगों को यहीं रुकना पड़ा.
"प्रशासन की ओर से इन लोगों को खाने-पीने का सामान उपलब्ध कराया जा रहा है और उनकी जांच भी कराई गई. सभी लोग जांच में स्वस्थ पाए गए. हम लोगों ने इनसे अनुरोध किया कि कहीं बेहतर जगह रुकने की व्यवस्था कर दी जाए लेकिन इनका कहना था कि यहां उन्हें अच्छा लग रहा है. ये लोग जंगल के पास बने मंदिर के पास ही रुके हुए हैं. प्रशासन के लोग नज़र रखे हुए हैं कि किसी तरह की असुविधा न हो इन्हें. हालांकि गांव के लोगों से इन्हें काफ़ी सहयोग मिल रहा है."
यह फ़्रांसीसी परिवार पिछले कई महीने से अपने ही विशेष वाहन से कई देशों के भ्रमण पर निकला है. पैट्रिस बताते हैं कि एक मार्च को वो वाघा सीमा पार करके पाकिस्तान से आए थे. वो कहते हैं, "पंजाब, यूपी होते हुए अब नेपाल जाना था. इसके बाद म्यांमार, इंडोनेशिया और मलेशिया होते हुए वापस फ़्रांस जाने की योजना थी. लेकिन अब देखते हैं कि यहां से कब निकलना होता है."
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