तानसेन न्यू कॉलोनी में मुनिश्री विहर्ष सागर के प्रवचन
ग्वालियर कोरोना के तांडव में हर मानव को त्यागी बनकर अपनी धन-संपत्ति का सदुपयोग करना चाहिए। जीव बचेंगे तो जगत बचेगा और जगत बचेगा तो जीवन बचेगा। गृहस्थ वर्ग यदि संपूर्ण परिग्रह का त्यागी नहीं बन सकता, तो परिग्रह की मूर्छा का त्याग करें। वर्तमान समय में हर व्यक्ति को परिग्रह के पीछे अंधी दौड़ न दौड़कर अपनी पुण्यवानी बढ़ाने का कार्य करना चाहिए। उक्त उद्गार राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने तानसेन नगर स्थित न्यू कालोनी में धर्म भक्तामर एवं तत्वसूत्र शास्त्र वचन में व्यक्त किए। मुनिश्री विजयेश सागर महाराज एवं क्षुल्लक विश्वोत्तर महाराज मोजूद थे।
मुनिश्री ने कहाकि पुण्य की उपस्थिति में किया गया थोड़ा सा पुरुषार्थ भी व्यक्ति को मालामाल कर देता है। पुण्य और पुरुषार्थ की युगलबंदी से जुड़कर जीवन और जगत की हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा आर्थिक असमानता और अनावश्यक वस्तुओं का अनुचित संग्रह समाज में अराजकता पैदा करता है। इससे एक मनुष्य, दूसरे मनुष्य का शोषण करता है। इस आर्थिक असमानता का उपचार भी अपरिग्रह से होगा। पदार्थ की पकड़ और अर्थ की अकड़ को जो शिथिल कर लेता है, वह मानव ही महामानव बन सकता है।
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