क्रोध की अग्नि में हमारे खून के रिश्ते जलकर भस्म हो जाते हैं: मुनिश्री


ग्वालियर।क्रोध आत्मा के लिए बुखार के समान है। जिस प्रकार बुखार होने पर शरीर टूट जाता है या कमजोर हो जाता है, उसी प्रकार क्रोध करने से आत्मा कमजोर हो जाती है। अग्नि में जो भी चीज डाली जाती है, जल जाती है। इसी प्रकार क्रोध की अग्नि में हमारे खून के रिश्ते जलकर भस्म हो जाते हैं। यह विचार राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने तानसेन नगर स्थित न्यू कॉलोनी में धर्मचर्चा में व्यक्त किये। मुनिश्री विजयेश सागर महाराज भी मौजूद थे।


मुनिश्री ने कहाकि एक घंटा क्रोध 24 घंटे तनाव पैदा रखता है। कोई भी कार्य करने का मन नहीं करता। किसी से प्यार स्नेह करेन का मन नहीं करता और खाने की रुचि भी कम हो जाती है अब आपही देखो कितना खतरनाक होता है क्रोध।आज घर परिवार इस क्रोध की अग्नि के कारण भस्म होते जा रहे हैं।


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