असमंजस में कपड़ा व्यापारी


व्यापारियों के सामने कपड़ा बेचने की दिक्कत और खड़ी होने वाली है। क्योंकि जब इन्होंने कपड़ा मंगवाया था, उस समय मौसम और था अब दो महीने बाद जब दुकानें खुलेंगी तो स्थिति दूसरी होगी। हालांकि, कुछ कपड़ा एक साल तक व्यापारी रखने की बात कर रहे हैं। वहीं, प्रिंट वाले कपड़ों को कम कीमत या सेल लगाकर बेचने की बात व्यापारियों ने कही है। नए स्टॉक के बारे में व्यापारियों का कहना है कि जिस तरह का माहौल है, ऐसे में नया स्टॉक ऑर्डर करना बेहद मुश्किल है। रेडीमेड गारमेंट के व्यापारी नीरज लुहाडिय़ा ने बताया कि जो ऑर्डर वाले कपड़े आने के बाद उनको कम कीमत पर बेचना ही विकल्प है। यदि कुछ महीने उन कपड़ों को और रोक लिया तो कोई खरीदने का भी नहीं। वहीं, जयपुर होलसेल टेक्सटाइल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल भौंमिया का कहना है कि हालातों को देखते हुए व्यापारी 25 से 30 फीसदी तक ही ऑर्डर क रेगा राहत पैकज की मांग राजस्थान रेडिमेड वस्त्र निर्माता एवं विक्रेता संघ ने केंद्र सरकार से राहत पैकेज की मांग की है। केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखकर संघ के अध्यक्ष राजेंद्र सेठी ने मांग की है कि ब्याज मुक्त दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध करवाया जाए, पहले से लिए गए व्यवसायिक ऋण की किश्तों को फरवरी, 2021 तक स्थगित किया जाए और एक वर्ष के लिए जीएसटी से मुक्त किया जाए। महामंत्री योगेश बिंदल ने कहा कि यदि रेडीमेड वस्त्र उत्पादक इकाइयों को सहयोग नहीं मिला तो ये बंद होने की कगार पर आ जाएगीं।



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