'भूखे मरने से अच्छा है अपने गांव जाकर ही मरें...


सरकार भले ही दावा कर रही है कि मजदूरों को घर भेजना उसकी जिम्मेदारी है लेकिन अभी भी कई मजदूर इस भीषण गर्मी भी पैदल चलकर अपने गांव जाने को मजबूर हैं.


ऐसी ही कहानी है भोपाल के भानपुर इलाके में काम करने वाले गिरधारी की, जो 22 मार्च के बाद से ही काम बंद होने के कारण परेशान थे और आखिरकार शुक्रवार को अपने परिवार के साथ छत्तीसगढ़ के मुंगेली की ओर पैदल निकल पड़े.


भोपाल से मुंगेली की दूरी करीब 590 किलोमीटर है. 'आजतक' की टीम को ये जत्था भोपाल-रायसेन रोड पर 11 मील के पास इनसे मिला. मजदूरों के इस जत्थे में 5 श्रमिक, (गिरधारी का परिवार) छत्तीसगढ़ के, 1 मंडला का और एक छिंदवाड़ा का था.


मजदूरों का आरोप है कि इन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार के हेल्पलाइन नम्बर और मध्यप्रदेश सरकार के हेल्पलाइन नंबर पर फोन लगाया लेकिन जब वहां से कोई जवाब नहीं मिला तो पैदल ही भोपाल से छत्तीसगढ़ के लिए निकल पड़े. शुक्रवार सुबह करीब 4 बजे ये लोग भोपाल के भानपुर इलाके से चले. इनके पास खाने-पीने का भी समान नहीं है लिहाजा सड़क पर मददगार लोग इनकी मदद भी कर रहे हैं.


मजदूरों का कहना है कि अब ये अपने गांव में भी कोई काम धंधा ढूंढ लेंगे लेकिन वापस नहीं आएंगे. हाईवे पर चलते समय इन लोगों ने वहां से गुजरने वाले कई वाहन चालकों से लिफ्ट भी मांगी लेकिन किसी ने भी इनके लिए अपना वाहन नहीं रोेका.



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