ऑनलाइन हुई महिला काव्य मंच की गोष्ठी

ग्वालियर। हो संबधों का ऐसा स्नेहिल अनुबंध। तन पुलकित,मन में रहे न कोई द्वंद्व। डॉ. ज्योत्सिना सिंह की इन पंक्तियों के साथ महिला काव्य मंच की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आरंभ हुआ। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ. मधुलिका सिंह ने रचना पढ़ी- मैं तो अपने जुनून के लिए मरना जानती हैंसच तो ये है कि मै हयात.को जीना जानती हूंमुख्य अतिथि गिरिजा कुलश्रेष्ठ एवं विशिष्ट अतिथि डॉ प्रतिभा त्रिवेदी थींइसमें डॉ. निशी भदौरिया, सीता चौहान, मनीषा गिरि, डॉ. ज्योति उपाध्याय, लीना परिहार, प्रेरणा परमार आदि ने भाग लिया।


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