ऑफसेट प्रिंटिंग प्रेसें बर्बादी की कगार पर

 ग्वालियर। कोविड-19 के कारण उद्योगों को लाखों करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। इसी कड़ी में ग्वालियर में स्थापित ऑफसेट प्रिंटिंग प्रेस व्यवसाय बर्बादी की कगार पर आ गया है। लॉकडाउन के कारण पिछले 50 से अधिक दिनों से प्रिंटिंग प्रेस पूरी तरह से बंद पड़ी हुई हैं। ज्ञात हो कि प्रिटिंग प्रेसें इतने लम्बे समय से बंद होने के कारण मशीनों की रनिंग नहीं हो पाई है। मशीनें बंद होने के कारण इस व्यवसाय को करने वालों को डर सता रहा है कि हमारी मशीनें किस हालत में होंगी। एक-एक मशीन को दोबारा रनिंग एवं मेंटीनेंस करने में लाखों रुपए का खर्च आएगा।



उधर कर्मचारी भी बेधंधे घर बैठे हुए हैं। केमिकल, इंक आदि सभी सूख चुके होंगे। प्रेसों में लाखों रुपयों का कागज और प्लेटें भी रखी होती हैं। जहां कटा हुआ कागज बर्बाद होने का डर है। प्लेटों के भी खराब होने का डर सता रहा है। प्रिटिंग उद्योग आज की तारीख में इस स्थिति में नहीं है कि व्यापार ठप होने के साथ-साथ इतना बड़ा मेंटीनेंस का खर्च उठा सके। यह समय जितना अधिक बढ़ता जाएगा उतना ही अधिक नुकसान प्रिटिंग व्यवसाय को होगा। लम्बे समय तक उद्योग बंद होने से शॉर्ट-सर्किट का खतरा भी बना रहता है। क्योंकि प्रिटिंग प्रेसों में जाने तक की अनुमति शासन द्वारा अभी तक नहीं दी गई है।


ग्वालियर प्रिंटर्स एसोसिएशन की ओर से कई बार प्रशासन के समक्ष प्रिटिंग उद्योग को चालू करने की मांग अध्यक्ष प्रेम शिवहरे, सचिव राजेश जैन, प्रमोद कुमार जैन, कन्हैयालाल चादवानी, प्रमोद सोगानी, सुरेन्द्र ठाकुर द्वारा की गई। कई बार चेम्बर ऑफ कॉमर्स के माध्यम से भी जिलाधीश को आपको अवगत कराया गया। प्रिटिंग प्रेसों में भीड़-भाड़ जैसी कोई चीज नहीं होती है। एहतियातन अन्य उद्योगों की तरह सुबह 7.00 बजे से 3.00 बजे तक प्रिटिंग प्रेस चालू करने की अनुमति प्रशासन द्वारा दी जाए।


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