चेक-Emi बाउंस पर होनी चाहिए जेल? फाइनेंस मिनिस्‍ट्री ने लोगों से मांगी राय

Coronavirus mahamari के कारण काम-धंधा सब ठप पड़ गया है. इससे लोगों की आमदनी या तो बंद हो गई है या फिर घट गई है. इस संकट में लोगों को राहत देने के लिए सरकार चेक या Emi बाउंस जैसे मामलों को अपराध (Crime) की श्रेणी से हटाने की तैयारी कर रही है. इसके मायने यह हुए कि अब चेक या किस्‍त बाउंस होने पर जेल की सजा नहीं होगी.


 


न्‍यूज एजेंसी Pti के मुताबिक सरकार ने चेक बाउंस, कर्ज की किस्त का भुगतान नहीं हो पाने सहित करीब 19 कानूनों के तहत होने वाले हल्के उल्लंघनों (Economic offence) को लिस्‍ट से हटाने का प्रस्ताव किया है. 


 


फाइनेंस मिनिस्‍ट्री का कहना है कि इससे कारोबार में बढ़ोतरी होगी और लोगों को अनचाही दिक्‍कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा. मंत्रालय ने अपने इस प्रस्ताव पर 23 जून तक लोगों से सुझाव मांगें हैं. 


प्रस्‍ताव के मुताबिक यह सरकार के सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के उद्देश्य के तहत उठाया गया कदम है. मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न पक्षों से के सुझावों के बाद फाइनेंशियल सर्विसेज डिपार्टमेंट इस बारे में फैसला करेगा. 


वैसे सरकार के पास कुछ कानून में बदलाव के सुझाव पहले ही आए हैं. इनमें बीमा कानून, नाबार्ड कानून, राज्य वित्तीय निगम अधिनियम, क्रेडिट इन्फार्मेशन कंपनीज (नियमन) कानून और फैक्टरिंग नियमन कानून को भी शामिल किया गया है. जानकारों का कहना है कि इन कानूनों में कई नियम ऐसे हैं जिनमें छोटे उल्लंघनों को भी क्राइम माना गया है.


 


फाइनेंस मिनिस्‍टर निर्मला सीतारमण (Nirmala sitharaman) ने पिछले महीने इसके बारे में बताया था. उन्‍होंने कहा था कि ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के लिए कारोबार से जुड़े कानून में बदलाव किया जाएगा. 


 


सरकार इससे पहले कंपनी कानून के तहत भी इस तरह के कदम उठा चुकी है. कंपनी कानून के तहत भी कई उल्लंघनों को क्राइम से हटा दिया गया है.


 


 


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