धर्म का फूल हमेशा निर्भय की भूमि पर खिलता है: मुनिश्री


 ग्वालियर। जीवन अहो भाव से भरकर जिये, अहम भाव से भरकर नहीं। अहम भाव से भरकर जीवन जीने से व्यक्ति दुखी होता है, उसकी परेशानी कभी खत्म नहीं होगीसुख और दुख मन की भाव दशा पर निर्भर है, जो हमें अच्छा लगता है वह सुख है और जो बुरा लगता है वह दुख है। धर्म भय और डर के कारण नहीं करना चाहिए। धर्म का फूल हमेशा निर्भय की भूमि पर खिलता है। यह बात राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने हरिशंकर पुरम में महेश जैन गुरुभक्त के निवास पर धर्मचर्चा में कही! इस मौके पर मुनिश्री वियजेश सागर महाराज मोजूद थे।


मुनिश्री ने कहाकि भय की बंजर भूमि पर नहीं। मगर आज कल लोग परभव ना बिगड़ जाए इस बात के डर के कारण या लोग मुझे नास्तिक न समझे इसलिए धर्म पाठ पूजा करते हैं। इसलिए उनको धर्म का फल प्राप्त नहीं होता है। धर्म के अनुसार जीवन जिए ना कि धर्म को अपने अनुसार चलाए।


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