इस बार चार माह की जगह पांच माह का रहेगा चातुर्मास काल

*इस समय में विवाह, गृहप्रवेश,देव प्रतिष्ठा आदि शुभ कार्य भी नही होंगे।*


आषाढ़ शुक्ला एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चार माह का समय देव शयन काल का रहता  है।
 लेकिन इस बार चार माह की जगह पांच माह का यह समय रहेगा ।
ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इस बार आषाढ़ शुक्ल एकादशी देव शयनी एकादशी 01 जुलाई बुधवार को है इसी के साथ विष्णु भगवान चार माह वर्षा काल के समय अल्प निद्रा में शयन  कर जाते हैं इस वजह से विवाह, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा जैसे शुभ कार्यों पर रोक लग जाती हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी तक देव उठान एकादशी तक रहती है ।
जैन ने बताया इस बार दो आश्विन माह होने से देव शयन काल पांच माह का होगा जो 01 जुलाई से 25 नवंबर तक रहेगा विष्णु जी के इस दौरान पाताल लोक में शयन करने के कारण पांच महीने तक तपस्वी साधु-संत जन भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण नहीं करपाएंगे बल्कि एक ही स्थान पर रहकर तप साधना करते रहते हैं। इस समय में सूर्य भी दक्षिणायन रहेंगे। ऐसे समय में देवी देवताओं की तपस्या, आराधना, हवन, पूजन, जप आदि संयम से रहने का हर आदमी के लिए यह समय होता  हैं।
 लेकिन इन पांच माह में कुछ विशेष त्योहार भी मनाए जाएंगे  जिसमें श्रावण माह एक माह शिवजी की पूजा की जाती है *इन पांच माह में कुछ खाने की चीजों का भी त्याग करना चाहिए*:- जैसे कि हरी पत्तेदार सब्जियां, आलू, मूली, बैंगन, गोभी, पालक आदि कुछ लोग श्रवण में साग भादो में दही क्वार में दूध और कार्तिक में दालों का भी याद करते हैं 
*चतुर्मास काल के इस वार पांच माह के समय कुछ प्रमुख त्योहार कब कब रहेंगे* :-
 01 जुलाई देव शयनी एकादशी चातुर्मास व्रत नियम प्रारंभ 05 जुलाई गुरु पूर्णिमा व्यास पूजा।
 06 जुलाई से 03 अगस्त तक श्रवण मास शिव पूजा का समय।
 03 अगस्त  रक्षाबंधन 
12 अगस्त श्री कृष्ण जन्माष्टमी 22 अगस्त गणेश चतुर्थी 
23 अगस्त जैन दश लक्षण पर्व 01 सितंबर तक रहेंगे ।
01 सितंबर को अनंत चतुर्दशी
 02 सितंबर के श्राद्ध पक्ष प्रारम्भ
 17 अक्टूबर को नवरात्र प्रारंभ 
25 अक्टूबर विजयादशमी
 31 अक्टूबर शरद पूर्णिमा 
13 नवंबर धनत्रयोदशी 
14 नवंबर को नरक चौदस और दीपावली महालक्ष्मी पूजन 
15 नवंबर गोवर्धन अन्नकूट 
16 नवंबर को भाई दूज एवं 25 नवंबर को देव उठान एकादशी रहेगी।
इस के बाद ही विवाह,ग्रहप्रवेश,देवप्रतिष्ठा आदि शुभ कार्य होना आरम्भ हो जाएंगे।
 


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