मन की बातः मोदी बोले- एक साथ बहुत सी आपदाएं आई हैं, पड़ोसियों से भी मिल रही है चुनौती


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का आज 66वां प्रसारण करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोग कह रहे हैं कि साल 2020 खराब है। लोग 2020 के जल्द बीतने की बात कर रहे हैं।एक साथ इतनी आपदाएं कम ही देखने को मिलती हैं। कोरोना संकट के साथ और भी चुनौतियां हैं।
हमारे वीर सैनिकों ने दिखा दिया है कि वे कभी भी मां भारती पर आंच नहीं आने देंगे। लद्दाख में जो 20 सैनिक शहीद हुए हैं, उन्होंने दिखा दिया है कि जो भी मां भारती की तरफ आंख उठाकर देखेगा, उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। लद्दाख में सैनिकों ने अपना पराक्रम दिखाया है। शहीदों के बलिदान पर देश को गर्व हो। संप्रभुता और देश की रक्षा करना देश जानता है।
 प्रधानमंत्री  ने कहा कि लॉकडाउन से ज्यादा सतर्कता हमें अनलॉक के दौरान बरतनी है. इस बात को हमेशा याद रखिए कि अगर आप मास्क नहीं पहनते हैं, दो गज की दूरी का पालन नहीं करते हैं, या फिर, दूसरी जरूरी सावधानियां नहीं बरतते हैं, तो, आप अपने साथ-साथ दूसरों को भी जोखिम में डाल रहे हैं.
पीएम ने कहा कि कोई भी मिशन जन-भागीदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता है. इसीलिए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक नागरिक के तौर पर हम सबका संकल्प, समर्पण और सहयोग बहुत जरूरी है. आप लोकल खरीदेंगे, लोकल के लिए वोकल होंगे. ये भी एक तरह से देश की सेवा ही है. भारत का संकल्प है - भारत के स्वाभिमान और संप्रभुता की रक्षा. भारत का लक्ष्य है – आत्मनिर्भर भारत. भारत की परंपरा है-भरोसा, मित्रता. भारत का भाव है-बंधुता. हम इन्हीं आदर्शों के साथ आगे बढ़ते रहेंगे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार के रहने वाले शहीद कुंदन कुमार के पिताजी के शब्द तो कानों में गूंज रहे हैं. वो कह रहे थे, अपने पोतों को भी, देश की रक्षा के लिए, सेना में भेजूंगा. यही हौंसला हर शहीद के परिवार का है. वास्तव में, इन परिजनों का त्याग पूजनीय है. भारत-माता की रक्षा के जिस संकल्प से हमारे जवानों ने बलिदान दिया है, उसी संकल्प को हमें भी जीवन का ध्येय बनाना है, हर देश-वासी को बनाना है. हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे, सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने - यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी.
पीएम मोदी ने कहा कि लद्दाख में भारत की भूमि पर, आंख उठाकर देखने वालों को, करारा जवाब मिला है. भारत, मित्रता निभाना जानता है, तो, आंख-में-आंख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है. लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है. पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मस्तक है. इन साथियों के परिवारों की तरह ही, हर भारतीय, इन्हें खोने का दर्द भी अनुभव कर रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने जिस तरह मुश्किल समय में दुनिया की मदद की, उसने आज शांति और विकास में भारत की भूमिका को और मज़बूत किया है. दुनिया ने भारत की विश्व बंधुत्व की भावना को भी महसूस किया है. अपनी संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने के लिए भारत की ताकत और भारत के कमिटमेंट को देखा है.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में जहां एक तरफ़ बड़े-बड़े संकट आते गए, वहीं सभी बाधाओं को दूर करते हुए अनेकों-अनेक सृजन भी हुए. नए साहित्य रचे गए, नए अनुसंधान हुए, नए सिद्धांत गड़े गए, यानि संकट के दौरान भी हर क्षेत्र में सृजन की प्रक्रिया जारी रही और हमारी संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही. इसी साल में, देश नये लक्ष्य प्राप्त करेगा, नयी उड़ान भरेगा, नयी ऊंचाइयों को छुएगा। मुझे, पूरा विश्वास, 130 करोड़ देशवासियों की शक्ति पर है, आप सब पर है, इस देश की महान परम्परा है.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में जहां एक तरफ़ बड़े-बड़े संकट आते गए, वहीं सभी बाधाओं को दूर करते हुए अनेकों-अनेक सृजन भी हुए. नए साहित्य रचे गए, नए अनुसंधान हुए, नए सिद्धांत गड़े गए,यानि संकट के दौरान भी हर क्षेत्र में सृजन की प्रक्रिया जारी रही और हमारी संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही.
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक साल में एक चुनौती आए या पचास, नंबर कम-ज्यादा होने से, वो साल, ख़राब नहीं हो जाता। भारत का इतिहास ही आपदाओं और चुनौतियों पर जीत हासिल कर, और ज़्यादा निखरकर निकलने का रहा है. सैकड़ों वर्षों तक अलग-अलग आक्रांताओं ने भारत पर हमला किया, लोगों को लगता था कि भारत की संरचना ही नष्ट हो जाएगी, लेकिन इन संकटों से भारत और भी भव्य होकर सामने आया.
मोदी ने कहा कि इन सबके बीच, हमारे कुछ पड़ोसियों द्वारा जो हो रहा है, देश उन चुनौतियों से भी निपट रहा है I वाकई, एक-साथ इनती आपदाएं, इस स्तर की आपदाएं, बहुत कम ही देखने-सुनने को मिलती हैं.


 


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