पिछले सालों में देश के अलग-अलग हिस्सों में को-ऑपरेटिव बैंकों में गड़बड़ियों की ख़बरें आती रही हैं. पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी बैंक में घोटाले का मामला हाल में काफी चर्चा में रहा. बैंक के जमाकर्ता ग्राहकों को घोटाले के बाद बैंक के कामकाज पर रोक लग जाने से काफी परेशानी उठानी पड़ी थी, इन जैसे सभी ग्राहकों के लिए अब मोदी सरकार एक बड़ी राहत की खबर लेकर आई है.
केंद्रीय कैबिनेट की आज हुई एक बैठक में मोदी सरकार ने देश के सभी को-ऑपरेटिव बैंकों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधीन लाने का फ़ैसला किया. फ़ैसले पर अमल के लिए कैबिनेट ने बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में तुरंत बदलाव लाते हुए एक अध्यादेश लाने को मंज़ूरी दे दी.अध्यादेश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मुहर लगते ही नया कानून अमल में आ जाएगा. क़ानून में बदलाव के बाद देश के सभी को-ऑपरेटिव बैंक वैसे ही आरबीआई की निगरानी में आ जाएंगे जैसे बाक़ी सरकारी और प्राइवेट बैंक आते हैं. फ़िलहाल इन बैंकों की निगरानी को-ऑपरेटिव सोसाइटी करती है.
देश में फ़िलहाल 1482 शहरी को-ऑपरेटिव बैंक हैं, जबकि 58 मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक हैं. इन बैंकों में क़रीब 8.6 करोड़ जमाकर्ताओं के 4.84 लाख करोड़ रुपए जमा हैं. फ़ैसले का एलान करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस फ़ैसले से जमाकर्ताओं को यक़ीन होगा कि उनका पैसा सुरक्षित है.
पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी बैंक में घोटाले की घटना के सामने आने के बाद फरवरी में ही सरकार ने इन बैंकों को आरबीआई की निगरानी में लाने का एलान किया था. हालांकि कोरोना महामारी के चलते संसद का बजट सत्र अचानक ख़त्म कर दिया गया, जिससे बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव वाला बिल पारित नहीं हो पाया. अब सरकार अध्यादेश के ज़रिए तुरन्त प्रभाव से इन बैंकों को आरबीआई के तहत ले आई है.
एक अन्य फ़ैसले में कैबिनेट ने मुद्रा योजना के तहत 50000 रुपए तक का लोन लेने वालों को राहत देते हुए इस साल ब्याज़ में 2 फ़ीसदी की रियायत देने का फ़ैसला लिया गया. वहीं उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बन रहे हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का दर्जा देने का भी फ़ैसला किया गया.
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