प्रतिदिन भुगतान का नया चलन कपड़ा मिलों के लिए घातक

लॉकडाउन के बाद अनलॉक प्रक्रिया शुरु की गई है किंतु कपड़ा उद्योग में फिलहाल कोई सुधार नहीं दर्ज होने पर मिल संचालकों की परेशानी बढ़ी है। लॉकडाउन के बाद राहतें मिलने से टेक्सटाइल बाजार खुलीं।


 


टेक्सटाइल इंडस्ट्री के साथ जुड़े लोगों के अनुसार कपड़ा उद्योग बुरे दौर से गुजर रही है। लॉकडाउन खुलने से लोगों को लग रहा था कि अब अच्छे दिन आएंगे लेकिन हालात तो अभी और बिगड़ते जा रहे हैं। दिनों-दिन कोरोना के केस बढऩे से लोग डर में हैं। कपड़ा बाजार में सुधार नहीं दर्ज होने तथा प्रश्नों का समाधान नहीं आने से कपड़ा उद्यमियों की परेशानी बढ़ी है। जिसमें मिल संचालकों की तकलीफें तो और बढ़ी हैं।


 


शहर के अग्रणी टेक्सटाइल प्रोसेर्स ने नाम नहीं देने की शर्त पर कहा कि शहर तथा शहर के चारों ओर 350 प्रोसेसिंग इकाइयां-डाइंग हाउस स्थित है। जिसमें से 70 इकाइयां लॉकडाउन के बाद चरणवार शुरु हुए थे, किंतु एक महीने के समयावधि दौरान इन इकाइयों को काफी परेशानी हुई है। जिसके कारण लगभग 20 इकाइयां फिर बंद हो गई है। जबकि कइयों ने उत्पादन क्षमता घटा दी है।


 


वर्तमान में अंदाज लगाया जा रहा है कि औसत सिर्फ 25 प्रतिशत की क्षमता से मिलें कार्यरत हैं। इस परिस्थिति के लिए मुख्य जवाबदार परिबलों में आर्थिक तथा कारीगरों की कमी की स्थिति को कारणभूत माना जा रहा है।


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