कोटा. कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था के साथ दुकानदारों को भी बहुत बड़ा झटका दिया है। 23 मार्च से 31 मई तक के 70 दिनों के लॉकडाउन के बाद एक जून से जब बाजार खुले तो कई दुकानें बंद हो गईं। कोरोना के भय से ग्राहक अब भी भीड़ भरे बाजारों में जाने से बच रहे हैं। ऐसे में जिन छोटे व मंझले व्यापारियों को मुख्य बाजारों में महंगे किराए पर दुकान चलाना फायदे का सौदा नजर नहीं आया, उन्होंने दुकानें खाली कर दीं। शहर के डेढ़ दर्जन बाजारों में ही 500 से ज्यादा दुकानें वापस किराए पर उपलब्ध हैं। गुमानपुरा मुख्य बाजार में ही करीब दो दर्जन से ज्यादा दुकानों पर टू-लेट के बोर्ड चस्पा हैं। किराए को लेकर भी चिकचिक लॉकडाउन के दौरान बंद दुकानों के किराए को लेकर भी परेशानी हुई। हालांकि कई दुकान मालिकों ने किराएदार व्यापारियों को यथासंभव रियायत दी, लेकिन तीन महीने बंद रही दुकानों का वो किराया देना भी व्यापारियों को अखरा। अधिकतर मामलों में बिजली-पानी के बिल का सेटलमेंट तो अब तक नहीं हो सका। व्यापार संघ के सूत्रों के मुताबिक, किराए को लेकर करीब 30 फीसदी दुकान मालिक व किराएदार आगामी माह में एक-दूसरे को दुकान खाली करने के लिए बोल चुके हैं। ज्यादा असर रेस्टोरेंट, मैस और सैलून पर रेस्टोरेंट खुल तो गए हैं, लेकिन प्रशासनिक बंदिशें काफी हैं। शुरुआत में पैक एन कैरी की सुविधा थी। फिर कोविड गाइडलाइन के अनुसार ग्राहकों को रेस्टोरेंट में खाने की सुविधा शुरू की, लेकिन रात आठ बजे तक ही। सामान्यत: फैमिली के साथ खाना खाने लोग आठ बजे बाद ही बाहर निकलते हैं। ऐसे में हम उन लोगों को सर्व नहीं कर पा रहे हैं। प्रशासन से रात दस बजे तक रेस्टोरेंट खोलने की अनुमति मांगी है। संजय शर्मा, अध्यक्ष गुमानपुरा व्यापार संघ लॉकडाउन ने सैलून व्यवसाय पर बहुत बुरा असर डाला है। बाजार खुलने के बाद भी गाड़ी पटरी पर नहीं लौटी है। ग्राहक अब भी सैलून पर दो-चार ग्राहक देखकर भी लौट जाते हैं। विनोद सेन, सैलून संचालक, रंगबाड़ी यूं तो हर साल मार्च में कोचिंग के बच्चे घर चले जाते हैं, लेकिन फिर भी काफी बच्चे कोटा में ही रहकर रिवीजन और एक्जाम देते हैं। कोरोना के चलते इस बार 95 फीसदी से ज्यादा बच्चे घर लौट गए। न चाहते हुए भी मैस का काम बंद करना पड़ा। रीकॉलिंग कोटा से लग रहा है कि आगामी कुछ महीनों में स्थिति सुधर सकती है। रमेश शर्मा, मैस संचालक, महावीर नगर द्वितीय लौटेंगे अच्छे दिन कोरोना संकट काल में जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग ने मुस्तैदी दिखाई है, जनता की जागरूकता ने इसमें सोने पर सुहागा वाला काम किया है। इसी की बदौलत कोटा जिले में मरीजों की रिकवरी दर 90 फीसदी से ज्यादा है। शहर में मात्र 16 एक्टिव मरीज हैं। शहर में बाजार खुल चुके हैं, लेकिन कम ग्राहकी से चिंतित हैं। यह समय संयम बनाए रखने का है। यदि थोड़े दिन की और मेहनत से हम शहर को फिर ग्रीन जोन की श्रेणी में ला सके तो रीकॉलिंग कोटा अभियान को पूरा होने में समय नहीं लगेगा। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जिला प्रशासन और जनता को सतर्क और सजग रहना होगा। उसके बाद फिर शिक्षानगरी के कर्णधार लौटेंगे और शहर की अर्थव्यवस्था को थाम लेंगे।
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