नई दिल्ली l केंद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति मंजूरी दे दी है। अब मानव संसाधन मंत्रालय को शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा l बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। कैबिनेट बैठक के बाद मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से बताया lशुरुआत में इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था लेकिन 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय नाम दिया गया नई शिक्षा नीति के मसौदे में इसे फिर से शिक्षा मंत्रालय नाम देने का सुझाव दिया गया देश की मौजूदा शिक्षा नीति को 1986 तैयार किया गया था। 1992 में उसमें सुधार किया गया थाभाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही नई शिक्षा नीति को अपने चुनाव घोषणा पत्र का हिस्सा बनाया था। शिक्षा नीति के तहत एमफिल पाठ्यक्रमों खत्म किया जा रहा है। इसी तरह विधि चिकित्सा महाविद्यालयों को छोड़कर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों का संचालन एक नियामक के जरिए होगा।
10+2 का प्रारूप होगा समाप्त
नई शिक्षा नीति में 10+2 के प्रारूप को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है। इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा। इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12)। इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं।
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