गुरु नही तो जीवन शुरू नही:गुरु पूर्णिमा पर चन्द्र ग्रहण का नही होगा कोई असर


गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई रविवार को है इसी दिन मांद्य चंद्रग्रहण भी है लेकिन गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण का कोई भी असर दिखाई नहीं देगा यह जानकारी ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने देते हुए कहा कि 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण पड़ेगा जो मांद्य चंद्रग्रहण कहलाएगा यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा यह ग्रहण दक्षिणी- पश्चिमी यूरोप, अफ्रीका के अधिकांश भाग, दक्षिणी अमेरिका उत्तरी अमेरिका के अधिकांश भाग, पेसिफिक महासागर, अटलांटिक महासागर तथा हिंद महासागर में दिखाई देगा भारत में ग्रहण का दिखाई नहीं देने से सूतक पातक और धार्मिक मान्यता आदि मान्य नहीं की जाएगी 
ज्योतिषाचार्य ने  कहा कि वैसे भी गुरु चंद्रमा के समान है चारों तरफ बादलों का डेरा अंधेरी रात अंधकार में ज्ञान के प्रकाश की किरण गुरु होते हैं गुरु चन्द्र स्वरूप है तब भी चंद्र ग्रहण का गुरु पूर्णिमा के दिन कोई भी असर नहीं होता आषाढ़ माह की पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा के रूप में पूरे भारत में बड़े आदर के साथ मनाई जाती है इस बार 5 जुलाई रविवार को है।
लोकडॉन होने से इस वार बहुत से भक्त अपने -अपने गुरुओं के पास नही पहुँच पाएंगे ऐसे में अपने गुरुओं के फोटो की पूजन उनका स्मरण वैसे ही करेंगे जैसे करते थे। गुरुजी सच्चे पथ प्रदर्शक होते हैं मनुष्य के जीवन में यूं तो समय-समय पर अनेक गुरु मिलते हैं।
 जन्म से प्रथम गुरु मां फिर पिता, बड़े भाई ,बहन जो किसी काम में सहयोग करते हैं वह भी परंतु इन सबसे ऊपर जो गुरु होते हैं वह अध्यात्मिक गुरु हैं जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाते हैं जो मोक्ष की यात्रा कराते हैं मनुष्य जन्म का उद्देश्य आत्मा से परमात्मा का मिलन अर्थात फिर बार-बार के जन्म जन्मांतर के चक्र से मुक्त होना  उसके लिए जीवन में गुरु जरूरी है जीवन में गुरु नहीं तो जीवन शुरू नहीं गुरु की महिमा इतनी है कि इस का बखान करना असंभव कहा है किसी ने कहा है। 
 सात समुद्र की मसि करूं लेखन सब बन राय,
 धरती सब कागज करूं गुरु गुण लिखा ना जाए।
 अर्थात गुरु के उपकार को गुणों को लिखा और वर्णन नहीं किया जा सकता चाहे पूरी धरती कागज बना ली जाए सारे समुद्रों की स्याही बना ली है और सारे बनो की कलम बना ली जाए फिर भी नही लिखा जा सकेगा।
 कबीर दास जी ने  भी कहा है- गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपकी सो  गोविंद दियो बताए ।
अर्थात- गुरु वह है जो प्रभु से मिलने का   मार्ग बताते हैं उनका ही आशीर्वाद से प्रभु प्राप्त हो सकते हैं गुरु के प्रति आदर, सम्मान और समर्पण होना चाहिए ऐसा नहीं कि गुरु के सामने केवल दिखावा हो आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। महर्षि वेदव्यास जी ने चारों वेद और महाभारत की रचना की थी इसलिए इस पूर्णिमा को वेद व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है इस समय से वर्षा ऋतु में वर्षा दिनों दिन तेज होने लगती है और संत, गुरु, महात्मा भी एक ही स्थान पर रुक जाते हैं। 4 महीने एक स्थान पर रुके रहकर जप तप ध्यान संयम के साथ साधना करते हैं और अपने भक्तों को ज्ञान देते हुए उन्हें आत्म कल्याण का मार्ग बताते हैं इस दिन हर कोई अपने अपने गुरु की पूजा विनय पूर्वक उन्हें उच्च आसन पर विराजमान करके चरण पद प्रक्षाल करके केशर ,चंदन, पुष्प आदि से पूजन करते हुए उनके चरण वंदना करते हैं वह आशीर्वाद लेते हैं गुरु हमेशा सरल और सहज शुभावी होते हैं। गुरु के सामने हमेशा विनम्रता  पूर्वक जाना चाहिए।  अपने जीवन में एक गुरु अवश्य बनाएं जिसके जीवन में गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं।



 
 
 


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