इस बार नवरात्र एक माह लेट, श्राद्ध पक्ष 2 सितम्बर से 


श्राद्ध पक्ष 2 सितम्बर से  इस वार शारदीय नवरात्र एक माह बाद शुरू होंगी।
अक्सर गणेश उतसव समापन के साथ श्राद्ध पक्ष प्रारम्भ होजाते है उसके बाद शारदीय नवरात्र प्रारम्भ हो जाते है लेकिन इस बार ऐसा नही हो रहा इस बार शारदीय नवरात्र श्राद्ध पक्ष समापन  के एक माह बाद प्रारम्भ होंगे।
ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि 2 सितम्बर को प्रतिपदा का श्राद्ध होगा जो 17 सितम्बर तक है । एक माह बाद 17 अक्टूबर को शारदीय नवरात्र घट स्थापना एक माह बाद है ।
ऐसा इसलिए कि दो अश्वनी माह इस वार है।
जैन ने कहा  श्राद्ध पक्ष भाद्रमास की पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में पितरों को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। कहते हैं कि श्राद्ध के इन दिनों में पितृ अपने घर आते हैं। इसलिए उनकी परिजनों को उनका तर्पण इनकी मृत्यु की तिथि के दिन चाहे शुक्लपक्ष या कृष्ण पक्ष की मृत्यु तिथि हो श्राद्ध पक्ष में  करना चाहिए। 
पितृों के समर्पित इन दिनों में हर दिन उनके लिए खाना निकाला जाता है। इसके साथ ही उनकी तिथि पर बह्मणों को भोज कराया जाता है। जैन के अनुसार इन 15 दिनों में कोई शुभ कार्य जैसे, गृह प्रवेश, कानछेदन, मुंडन, शादी, विवाह नहीं कराए जाते। इसके साथ ही इन दिनों में न कोई नया कपड़ा खरीदा जाता और न ही पहना जाता है। पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों के तर्पण के लिए पिंडदान, हवन भी कराते हैं।
किस दिन कोनसा श्राद्ध है?  इस बार तिथियों का प्रारम्भ श्राद्ध पक्ष में अक्सर दोपहर समय हो रहा है इसलिए 4 सितम्बर को श्राद्ध की तिथि खाली रहेगी जबकि कुछ लोग इस दिन द्वितीया या तृतिया का भी बनाकर भ्रम में पड़ेंगे।
श्राद्ध बनाने के दिन इस प्रकार है-  सितम्बर- 02- प्रतिपदा का श्राद्ध जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि में हुई हो। दोपहर- 01-32 से 04-02 बजे तक।
03सितम्बर- - द्वितीया का श्राद्ध दोपहर- 01-31 से 04-01 बजे तक।
05 सितम्बर-  तृतिया का श्राद्ध 01-30 से 04-00 तक।
06 सितम्बर- चतुर्थी का श्राद्ध।
07 सितम्बर- पंचमी का श्राद्ध इस दिन इस बार भरणी नक्षत्र रहेगा इसे महाभरणी श्राद्ध नाम से जाना जाता है इस नक्षत्र भरणी के स्वमी यम है जो मृत्यु के देवता है इसलिए पितृ पक्ष में भरणी नक्षत्र को अति महत्वपूर्ण माना है।
08 सितम्बर- षष्ठी का श्राद्ध।
09 सितम्बर- सप्तमी का श्राद्ध।
10 सितम्बर- अष्टमी का श्राद्ध।
11 सितम्बर- नवमी के श्राद्ध- नवमी तिथि को मातृनवमी  के रूप में भी जाना जाता है यह तिथि माता का श्राद्ध करने उपयुक्त है इस दिन के श्राद्ध से परिवार की सभी मृतक  महिलाओं सदस्यों की आत्मा प्रसन्न होती है।
12 सितम्बर- दशमी का श्राद्ध।
13 सितम्बर- एकादशी का श्राद्ध।
14 सितम्बर- द्वादशी का श्राद्ध।
15 सितम्बर- त्रियोदशी का श्राद्ध- इस दिन त्रियोदशी में मृतिको के अलावा इस तिथि को बच्चों के लिए भी श्राद्ध उपयुक्त है।
16- चतुर्दशी का श्राद्ध- उन मृतिको के लिए जो किसी विशेष कारण से मृत्यु को प्राप्त हुए हो।
17 सितम्बर- सर्वपितृ अमावास्या श्राद्ध।
 
 


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