जैन धर्म के दशलक्षण पर्व 23 अगस्त पंचमी से

 मानव जीवन का परम उद्देश्य अपनी आत्मा को उस परम शिखर पर विराजमान करना है, जहां प्रभु व अपनी आत्मा की समस्त दूरियां मिट जाएं तथा परमात्मा के पुनीत चरणों में अपनी आत्मा भी समर्पित होकर परमपद मोक्ष की प्राप्ति कर सकें। ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी में बताया कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि से चतुर्दशी तिथि तक आने वाले ये 'पर्वाधिराज पर्युषण पर्व' जैन धर्म के  आत्मप्रक्षालन तथा पाप विमोचन का परम अवसर है। ये दस दिन जैन धर्म के दस लक्षणों को दर्शाते हैं।
जिनको अपने जीवन में अवतरित कर मानव मुक्ति पथ का पावन मार्ग प्रशक्त कर सकता है।
 जैन के अनुसार 23 अगस्त से प्रारंभ 
 28 अगस्त को सुगंध दशमी।
01 सितम्बर को अनन्त चतुर्दशी पर्युषण पर्व समाप्त।
03 सितम्बर को क्षमावाणी पर्व विशेष रहेंगे।
 धर्म के दस लक्षण निम्न प्रकार हैं:
1-उत्तम क्षमा, 2- उत्तम मार्दव, 3- उत्तम आर्जव,4 - उत्तम शौच, 5-उत्तम सत्य, 6- उत्तम संयम, 7-  उत्तम तप,8- उत्तम त्याग, 9- उत्तम अकिंचन्य, 10- उत्तम ब्रहमचर्य
पर्यूषण पर्व का मूल उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करके आवश्यक विधाओं पर ध्यान केंद्रित करना, पर्यावरण का शोधन करना तथा संत और विद्वानों की वाणी का अनुसरण करना है।
 सुगंध दशमी 28 अगस्त को है
दिगंबर जैन धर्म में सुगंध दशमी का बहुत महत्‍व है। दसलक्षण पर्व के अंतर्गत भाद्रपद शुक्ल पक्ष में आने वाली दशमी के दिन जैन समाज के सभी लोग सुगंध दशमी पर्व मनाते है।बड़े हर्ष उल्लास के साथ सभी शहर के जिन मंदिरों में महिलाएं, पुरूष, बच्चे मंदिरों में धूप खेने जाते है परंतु इस बार कोरोना सक्रमण के कारण अपने अपने घरों पर ही संयम,साधना का यह पर्व बनाकर घरो में ही धूप दशमी मनाएंगे।
 पर्युषण पर्व के इस व्रत को विधिपूर्वक करने से हमारे अशुभ कर्मों का क्षय होकर हमें पुण्‍यबंध, मोक्ष तथा उत्‍तम शरीर प्राप्ति होगी। सुगंध दशमी के दिन पांच पापों यानी हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह का त्‍याग करें।
दशमी के दिन खास तौर पर सभी मंदिरों में विशेष साज सज्जा के साथ आकर्षक मंडल विधान सजाएं जाते हैं तथा धर्म के बारे में समझाते हुए झांकियों का निर्माण किया जाता है। 
अनन्त चतुर्दशी 01 सितम्बर को-  पर्युषण पर्व के अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाता है। और उसके अगले दिन सभी व्यक्ति एक दूसरे से क्षमा माँगते हैं, यह दिन क्षमा दिवस के नाम से जाना जाता हैं। इसमें सभी जाने अनजाने होने वाली गलतियों के लिए सभी मनुष्य, जीव-जन्तुओ, पशु-पक्षियों से क्षमा मांगता हैं। क्षमा मांगना एवम करना यह दोनों ही धर्मो में श्रेष्ठ माने जाते हैं।
 
 
 


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