नई दिल्ली l सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को मुहर्रम के ताजियों को निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि इस मांग को नहीं माना जा सकता क्योंकि इससे लोगों का स्वास्थ्य और उनकी जिंदगी जोखिम में पड़ सकती है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि मुहर्रम के मौके पर ताजियों का जुलूस निकालने की अनुमति यदि दी जाती है और संक्रमण फैलता है तो इसके लिए समुदाय विशेष को जिम्मेदार माना जाएगा।
न्यायालय ने लखनऊ के याचिकाकर्ता से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपनी याचिका ले जाने को कहा। मुहर्रम पर ताजियों का जुलूस निकालने को लेकर अनुमति मांगने वाली याचिका शिया नेता सैयद कल्बे जवाद ने दायर की थी। इधर हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह शरीफ के प्रमुख कासिफ निजामी ने जाएगा। न्यायालय ने लखनऊ के याचिकाकर्ता से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपनी याचिका ले जाने को कहा। मुहर्रम पर ताजियों का जुलूस निकालने को लेकर अनुमति मांगने वाली याचिका शिया नेता सैयद कल्बे जवाद ने दायर की थी। इधर हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह शरीफ के प्रमुख कासिफ निजामी ने कहा है कि दिल्ली में ताजियों के जुलूस निकालने का सिलसिला मुगलकाल से ही चला आ रहा है। इस बार 700 साल में पहली बार मुहर्रम के मौके पर यह जुलूस नहीं निकाला जाएगा। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना व वी रामासुब्रह्मण्यम इस मामले की सुनवाई कर रहे थे।
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