ग्वालियर। जिस कार्य से आपको भय लगता हो, वह कार्य सबसे पहले प्रारंभ करें।जहां बुलंद इरादे हैं, कुछ करने की तमन्ना है, वहां मंजिल सरल हो जाती है और ईश्वरीय मदद भी मिलती है। व्यक्ति को प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कभी हार नहीं मानना चाहिए। किसी क्षेत्र में जब व्यक्ति बार-बार असफल होने लगता है तो वह हार मान लेता है और विमुख होकर दूसरे व्यवसाय की तलाश करता है लेकिन साहसी कभी हारता नहीं। सूझबूझ से सफलता प्राप्त कर लेता है। यह विचार मुनिश्री प्रतीक सागर ने सोनागिर स्थित आचार्यश्री पुष्पदंत सागर सभागृह में संबोधित करते हुए कही!
मुनिश्री ने कहा कि किसी भी कार्य को करने से पहले अपने आपसे कहिए मैं यह कार्य कर सकता हूं और कार्य करके ही रहूंगा। अपनी मनोदशा को सकारात्मक बनाएं। कार्य के प्रति पूर्ण विश्वास होना चाहिए। समर्पण के साथ प्रयत्न करें, सफलता अवश्य मिलेगी। हिम्मत न हारिए, भूलिए न राम को, इस युक्ति को याद रखें। भय हमारी प्रगति का गला घोंट देता है अतः भय से बचें। अपने आपको सकारात्मक सोच के लिए प्रोत्साहित करें। मुनिश्री ने कहा कि अति साहस के उद्वेग से बचें। निराशाजनक विचारों से बचें, क्योंकि जीवन में बाधाएं हीन भावनाओं से ही आती हैं। दृढ़ता साहस एवं पराक्रम से असंभव भी संभव हो जाता है। रास्ते में आने वाली समस्याओं पर नहीं बल्कि उनके समाधान पर ध्यान केन्द्रित करें।
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