महिला बाल विकास विभाग इस बार पोषण माह मनायेगा, मॉनीटरिंग पर जोर रहेगा: राजीव सिंह


ग्वालियर। मध्यप्रदेश में पोषण माह में अब मॉनीटरिंग पर अधिक जोर दिया जाएगा। इसके लिये अंतिम छोर तक लोगों को पोषण आहार भरपूर होने के बाद भी क्यों नहीं पहुंच पा रहा इसकी समीक्षा कर जरूरत मंदों तक पोषण आहार के पहुंचाने का प्रयास किया जायेगा। साथ ही पोषण आहार के तहत अब बच्चे के साथ ही परिजनों की भी मॉनीटरिंग की जायेगी। 

उक्त जानकारी आज पोषण माह के तहत मीडिया की वर्कशॉप में महिला बाल विकास के जिला कार्यक्रम अधिकारी राजीव कुमार सिंह, सहायक संचालक राहुल पाठक एवं सशक्तिकरण अधिकारी शालिनी शर्मा ने बताया कि 1 से 30 सितंबर तक पोषण आहार कार्यक्रम के तहत अब माता एवं बच्चे की देखभाल के लिये विशेष योजना तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा कुपोषितों के लिये तैयार की गई योजना में उन्हें सहीं पोषण देने का प्रयास सरकारें कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पहले कई ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासियों सहरियाओं के यहां कुपोषण की समस्या दवा आदि नहीं खाने के चलते समस्या बनी रहती थी। अब सहरिया समुदाय में भी समाज के लोग भी तंत्र मंत्र और झाड फूंक को छोड अब स्वास्थ्य कर्मियों की बातों को समझ कर अस्पतालों में प्रसव करा रहे हैं ऐसे में अब मातृ एवं शिशु मृत्य दर में कमी देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि एनएफएचएस -4 के सूचकांक में बालक और बालिकाओं में रक्त की कमी मप्र और ग्वालियर में लगभग 68 प्रतिशत है। वहीं सामान्य ए गर्भवती माताएं भी एनिमिक हैं। गर्भवती माताएं जिन्होंने प्रथम तिमाही में एएनसी जांच कराई हो भी 54 प्रतिशत एनिमिक पाई गई हैं। वीं 12 से 23 माह के बच्चों में पूर्ण टीकाकरण की स्थिति 52 प्रतिशत है। आईएमआर शिशु मृत्यु दर ग्वालियर में राज्य से कम है वहीं एमएमआर मातृ मृत्यु दर भी राज्य से कम है। उन्होंने बताया कि प्रसव पूर्व जांच एएनसी का लक्ष्य अभी 54 प्रतिशत है इसे 20.21 में 70 प्रतिशत तथा 21.22 में 80 प्रतिशत का लक्ष्य रखा गया है। इसमें आ रहीं कमियों की पहचान कर उसे दूर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि संस्थागत प्रसव का प्रतिशत 88 है उसे 95 प्रतिशत करने का लक्ष्य 20.21 में है वहीं 21.22 में 98 प्रतिशत किया जा रहा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी राजीव सिंह ने बताया कि इस बार 716 प्रसव घर पर हुये। इन समूहों में कमियों की पहचान कर उन पर ध्यान देकर अस्पतालों में प्रसव कराये जाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। उन्होने बताया कि अब उच्च जोखिम वाली माताओं का सूचीकरण तथा उन पर कुपोषित बच्चों की भांति नजर रखी जायेगी। वहीं आईसीडीएस तथा स्वास्थ्य अमले के आदर्श मानकों प्रोटोकाल् का पालन करायेंगे। प्रोटोकाल के अनुसार उन्हें उचित दवाएं देनेए संस्थागत प्रसव के लिये भर्ती करानेए प्रसव पश्चात 7 दिन तक भर्ती रखने का भी प्रयास किया जायेगा। इनके गृह भेंट के समय स्वास्थ्य एवं पोषण शिक्षाए पर्यवेक्षण क्षरा भी इन परिवारों मं अनिवार्य रूप से भ्रमण किया जायेगा। एक अन्य सुझाव में बीच की कडी आशा और ऊषा कार्यकर्ताओं की कमी को भी पूरा किया जायेगा।

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