ग्वालियर। भगवान केवल प्रेम के भूखे हैं। केवल भगवान के नाम में ही वो शक्ति है, जो समस्त पापों को नष्ट कर सकती है। भगवान सदा-सर्वदा जीव मात्र का कल्याण ही करते हैं। यह विचार शनिवार को दौलतगंज स्थित गिर्राज धर्मशाला में जारी श्रीमद् भागवत कथा में भागवताचार्य सतीश कुमार शास्त्री ने व्यक्त किए। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि जब उद्धव गोपियों से प्रेम की दीक्षा लेकर प्रेम रंग में रंगकर मथुरा में श्रीकृष्ण से जाकर मिले और ब्रज के समाचार दिए। तो श्रीकृष्ण को उलाहने भी देने लगे। तव श्री कृष्ण ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा कि उद्धव 'मोहे ब्रज बिसरत नाही' भगवान ने कहा कि मुझे भी ब्रज के प्रेम की बहुत याद आती है। पर मुझे अपने कर्तव्यों को भी पूरा करना है। गोपियों के विशुद्ध प्रेम के बदले भगवान सदा-सदा के लिए उनके ऋणी हो गए।
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