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होनहार और प्रतिभावान छात्रों का भविष्य अंधकार में, सीटें खाली फिर भी मेरिट के छात्रों को एडमिशन नहीं

संवाददाता
ग्वालियर । प्रशासनिक अधिकारियों की हठधर्मी के कारण काॅलेजों में सीटे खाली होने के बाद भी मेरिट के छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। कुछ कालेजों ने सीटें बढ़ाने के लिये शासन के पास प्रस्ताव भेजे है, लेकिन शासन की ओर से सीटे नहीं बढाये जाने और जिन कालेजों में सीटे खाली है वहां भी प्रवेश नहीं मिलने से छात्रों को अपना भविष्य अंधकार में जाते हुये दिखाई देने लगा है। छात्रों ने अपनी समस्याओं को प्रशासनिक स्तर से लेकर मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री तक पहुंचा दी है, पर अभी तक कोई निर्णय न होने के कारण वह मायूस है।


एक तरफ तो मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार होनहार और प्रतिभावान छात्रों का भविष्य उज्जवल करने की हर संभव प्रयास कर रही है,वहीं दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारी रोज नये नियम बनाकर छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे है। बात करे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की, तो वे भी व्यापक सुधार कर प्रतिभाओं को आगे लाना चाहते हैं, लेकिन मप्र में काबिज अफसरान ऐसे प्रतिभावान छात्रों की अनदेखी कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड करने में लगी है। 
एक होनहार छात्र जो एमपीएड (स्पोर्टस शिक्षा), जीवाजी विश्वविद्यालय की मेरिट लिस्ट एवं काउंसलिंग के लिये बनाई लिस्ट में भी मेरिट में है, लेकिन उसे चार राउंड की काउंसलिंग के बाद भी प्रदेश भर में कहीं भी किसी भी कालेज में स्थान नहीं मिला है, जबकि प्रदेश के अधिकांश खेलकूंद शिक्षण संस्थान की सीटें आज भी खाली है। प्रतिभावान छात्र उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव से लेकर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा , उच्च शिक्षा विभाग के डायरेक्टर तक से कई बार गुहार लगा चुका है, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यहां तक कि उसने उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव , मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  से अपने भविष्य की गुहार लगाई है लेकिन उसको आज तक एमपीएड में प्रवेश नहीं दिया गया है। 
बताया जाता  है कि टेबिल टेनिस का होनहार इंटर यूनीवर्सिटी ओपन स्टेट में सिलेक्ट छात्र पार्थ दुबे बीपीएड ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय से कर चुका है, वह अब जीवाजी विवि की मेरिट में आने के बाद भी एमपीएड में प्रवेश के लिये दर-दर भटक रहा है। पार्थ दुबे का प्रवेश एमपीएड के लिये 10 अगस्त , 16 अगस्त, 14 सितंबर, 3 अक्टूबर को सीएलसी राउंड देने के बाद भी प्रवेश नहीं पा सका है, जबकि वह मेरिट में है और ग्वालियर के ही कालेजों में भी एमपीएड की सीटें अभी भी खाली हैं। 
ध्यान देने वाली बात यह है कि पार्थ जैसे दर्जनों प्रतिभाशाली खिलाडी अपने भविष्य के लिये भटक रहे हैं। लेकिन उच्च शिक्षा विभाग में फैली अफसरशाही ने पूरे प्रदेश की एकजाई लिस्ट से च्वाइस फिलिंग करके यह गड़बड़ी कराई है। विशेष बात यह है कि उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जबकि होनहार छात्रों को आगे बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन अफसरशाही पार्थ दुबे जैसे होनहार छात्रों खिलाडियों का भविष्य बर्बाद करने पर तुली है।


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