ग्वालियर। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने एक बार फिर भाजपा के राज्य सभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पर जमीन के घोटालों का दस्तावेजी आरोप लगाते हुये कहा है कि उन्होंने अपने वफादार कुत्ते तक की समाधि को भी अवैध रूप से बेच डाला। कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि गत दिवस एक चैनल पर सिंधिया ने कहा कि वह ३५० वर्षों से शासक थे, इसके जबाब में नेताओं ने कहा कि जब १९४७ में देश आजाद हुआ उस समय रियासतों का भी विलय किया गया। उसमें जो सूची निजी संपत्ति की थी उसे छोडकर वह कैसे शासकीय दर्ज भूमि को अपना बनाकर अवैध रूप से बेच रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुरारीलाल दुबे ने सिंधिया को चेतावनी देते हुये कहा कि यदि उनमें या उनके किसी भी व्यक्ति में जिसे रियासत की जानकारी हो या वकील में हिम्मत है तो वह उनसे खुले में बहस कर लें और सिद्ध करें कि यह जमीनें १९४७ के बाद से उनकी हैं।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुरारीलाल दुबे ने आज पत्रकारों के समक्ष फिर वफादार कुत्ता समाधि की जमीन का अवैध रूप से विक्रय करने वाले दस्तावेजी सबूत पेश करते हुये कहा कि महलगांव क्षेत्र सर्वे क्रमांक ९१६ रकवा .२९३ (एक बीघा ८ बिस्वा) भूमि सन १९९६ तक राजस्व अभिलेखों में राजस्व विभाग कदीम आबादी पटोर नजूल के तौर पर दर्ज थी। सन १९९६ के बाद कूट रचित दस्तावेजों के माध्यम से अवैधानिक तरीकों से तहसीलदार ग्वालियर द्वारा बिना किसी वैधानिक आवेदन बिना किसी प्रकरण दायर किये और बिना शासन का पक्ष सुने स्व. माधवराव सिंधिया के नाम पर नामांन्तरित कर दी गई। इस अवैध कार्य मं तत्कालीन तहसीलदार ने उच्च न्यायालय ग्वालियर की याचिका क्रमांक ६१.६२.६३.६४/१९६९ के आदेश क्रमांक ८ सितंबर १९८१ के एक आदेश की अनुचित /अवैधानिक व्याख्या का दुरूपयोग करते हुये इस काम को अंजाम दिया जो एक गंभीर अपराध है, क्योंकि तहसीलदार न्यायालय को यह अधिकार न होकर प्रकरण लैंड रेवेन्यू कोड की धारा -५७ (२)के तहत अधिकार उपखंड अधिकारी एसडीओ को प्रदत्त हैं । इस नामांतरण के बाद श्रीमति माधवीराजे सिंधिया ने अपने पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया व पुत्री चित्रांगदा राजे की सहमति के साथ इस भूमि को विक्रय कर दिया। उल्लेखनीय है कि महाराजा ग्वालियर की ओर से उक्त सर्वे नंबर के संबंध में यह बताया गया है कि यह भूमि उनकी व्यक्तिगत संपत्ति है। हकीकत यह है कि भारत सरकार से हुये समझौते के अनुसार महाराजा ग्वालियर की जो व्यक्तिगत पूर्ण स्वामित्व व उपयोग की संपत्ति थी जिसकी चार सूचिशं प्रकाशित हुई थी उसके अनुसार सूची क्रमांक ४ के अनुक्रम २८ पर इस भूमि का विवरण समाधि ऑफ रिमेन ऑफ एचएलएच माधौराव महाराजा एक हैस डॉग पद द गार्डन ऑफ सरदार पाटनकर साहब के रूप में दर्ज और महलगांव के सर्वे क्रमांक ९१६ में स्थित है। वर्ष १९९२-९३ में सर्वे क्रमांक ९१६ शासकीय भूमि के रूप में दर्ज है तथा खाता नंबर १२ कैफियत में कुत्ता समाधि दर्ज है इसका कब्जा पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण यंत्री के आदेश पर कार्यपालक अभियंता पीडब्ल्यूडी ने ले लिया था। माधवी राजे सिंधिया ने उच्च न्यायालय ग्वालियर द्वारा पारित जिस उक्त प्रकरण क्रमांक का उल्लेख विक्रय पत्र में किया है जिसमें यह बताया गया है कि इसी आदेश के आधार पर सर्वे क्रमांक ९१६ हमें प्राप्त हुआ है, जो पूर्णत: गलत है क्योंकि उच्च न्यायालय ने अपने प्रकरण में इस सर्वे नंबर का कोई उल्लेख ही नहीं किया है। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर किस्म की धोखाधडी भी है यही नहीं यह स्पष्ट भी किया जाता है कि माधवराव सिंधिया के स्वर्गवासी होने के बाद उनके वारिसान का नामांतरण भी वैधानिक रूप से नहीं किया गया है। पत्रकार वार्ता में विधायक जबलपुर विनय सक्सैना , पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी, जिला प्रवक्ता धर्मेन्द्र शर्मा आदि मौजूद थे।
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