4 नवम्बर को करवा चौथ का चन्द्रमा रात्रि 08:16 बजे तक मैदानी इलाकों में और 08:36 बजे तक सभी स्थानों पर दिखेगा

सभी विवाहित (सुहागिन) महिलाओं के लिये करवा चौथ बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया ये एक दिन का त्यौहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। पूरे वर्ष विवाहित महिलाओं को इस दिन का इंतजार रहता है।वे इस दिन की तैयारिया  एक माह पहले से ही बड़े हर्ष के साथ करती रहती है। मुख्यतः उत्तरी भारत की विवाहित (सुहागिन) महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। इस दिन विवाहित (सुहागिन) महिलाएँ पूरे दिन का उपवास रखती हैं जो जल्दी सुबह सूर्योदय के साथ शुरु होता है और देर शाम या कभी कभी देर रात को चन्द्रोदय के बाद खत्म होता है। इस वार 04 नवम्बर को चंद्रोदय रात्रि 08:16 बजे मैदानी इलाकों में दिखाई देगा और 08:36 बजे तक सभी स्थानों पर नजर आने लगेगा।
सुहागिन अपने पति की सुरक्षित और लम्बी उम्र के लिये बिना पानी और बिना भोजन के पूरे दिन बहुत कठिन व्रत रखती हैं।
पहले ये एक पारंपरिक त्यौहार था जो विशेष रूप से भारतीय राज्यों राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश के कुछ भागों, हरियाणा और पंजाब में मनाया जाता था हालांकि, आज कल ये भारत के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में सभी महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। 
 *करवा चौथ के व्रत को कौन करता है?* 
केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया है, वही महिलाएं ये व्रत रख सकती हैं। यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जल रखा जाता है। व्रत रखने वाली कोई भी महिला काला या सफेद वस्त्र नहीं पहनती हैं।लाल वस्त्र सबसे अच्छा है। पीला भी पहना जा सकता है। इस दिन पूर्ण श्रृंगार जरूर करना चाहिए।
 *पूजा की चंद्रमा के दर्शन के लिए ऐसे थाली सजाएं :-* थाली मैं दीपक, सिन्दूर, अक्षत, कुमकुम, रोली तथा चावल की बनी मिठाई या सफेद मिठाई रखें। संपूर्ण श्रृंगार करें और करवे में जल भर लें। मां गौरी और गणेश की पूजा करें। चंद्रमा के निकलने पर छलनी से या जल में चंद्रमा को देखें। अर्घ्य दें, करवा चौथ व्रत की कथा सुनें।  उसके बाद अपने पति की लंबी आयु की कामना करें।  अपनी सास या किसी वयोवृद्ध महिला को श्रृंगार का सामान दें तथा उनसे आशीर्वाद लें।


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