- अंर्तराष्ट्रीय खबरे (71)
- इन्दौर (4)
- खेल (52)
- ग्वालियर (1530)
- टीकमगढ़ (635)
- धर्म/ज्योतिष (2070)
- मध्यप्रदेश (147)
- राज्यवार खबरे (4948)
aapkedwar.page
तानसेन समारोह प्रसंगवश "विशेष लेख"जब तानसेन बोले अब दाहिने हाथ से किसी को जुहार नहीं करूँगा......
ग्वालियर | कलाओं के महान आश्रयदाता बघेलखण्ड के राजा रामचन्द्र की राजसभा में संग्रीत सम्राट तानसेन को खूब सम्मान मिला। तानसेन ने एक तरह से वहाँ सदा के लिए रहने का मन बना लिया था। गान मनीषी तानसेन की मौजूदगी से राजसभा हमेशा संगीत कला से गुंजायमान रहती। इसी बीच जब जलाल खाँ कुर्ची ने तानसेन को ले जाने का शाही फरमान सुनाया तो राजा रामचन्द्र बहुत दु:खी हुए। तानसेन के वियोग की आशंका से उनकी आँखों से बच्चों के समान अश्रुधारा बह उठी। मुगल बादशाह अकबर ने सेना के साथ जलाल खाँ कुर्ची को तानसेन को लेने के लिये भेजा था। जाहिर है राजा रामचन्द्र तानसेन को सौंपने के लिये विवश हो गए।
लोक इतिहासकारों ने राजा रामचन्द्र से तानसेन के वियोग की घटना का वर्णन किया है। डॉ. हरिहर निवास द्विवेदी ने अपनी पुस्तक "तानसेन" में एक अनुश्रुति का हवाला देते हुए तानसेन की मार्मिक विदाई के बारे में विस्तार से उल्लेख किया है। वे लिखते हैं कि तानसेन को सौंपने की बात सुनकर राजा रामचन्द्र बच्चों के समान रो उठे। जैसे-तैसे समझा-बुझाकर तानसेन ने उन्हें शांत किया। राजा रामचन्द्र ने बहुमूल्य वस्त्र तथा मणि-माणिक्यों से जड़ित अलंकार भेंट कर तानसेन को एक चौडोल (विशेष प्रकार की पालकी) में बिठाया और पूरे नगर में विदाई जुलूस निकाला।
नगरवासी तानसेन को विदा करने काफी दूर तक जुलूस के अंदाज में साथ में चले। मार्ग में तानसेन को प्यास लगी और उन्होंने अपनी चौडोल रूकवाई। तानसेन देखते हैं कि स्वयं राजा रामचन्द्र उनके चौडोल की एक बल्ली को कंधा दिए हुए हैं। राजा के तन पर न वस्त्र हैं और न पैरों में जूते। यह दृश्य देखकर तानसेन भाव-विव्हल होकर रोने लगे। विदाई के ये मार्मिक क्षण देखकर साथ में मौजूद सैनिक तक अपनी आँखों के आँसू नहीं रोक सके।
राजा रामचन्द्र ने अपने दिल को कठोर कर तानसेन से कहा कि हमारे यहाँ ऐसी रीति है कि जब किसी स्व-जन की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिजन अस्थि विमान को कंधा देते हैं। मुगल बादशाह ने आपको हमारे लिए मार ही डाला है। बमुश्किल अपनी आँखों से बह रही अश्रुधारा को रोकते हुए तानसेन बोले राजन आपने मेरे लिए क्या - क्या कष्ट नहीं सहे। मैं आपके इन उपकारों का बदला चाहकर भी नहीं चुका सकता। पर मैं आज एक वचन देता हूँ कि जिस दाहिने हाथ से आपको जुहार (प्रणाम) की है, उस दाहिने हाथ से मैं अब दूसरे किसी भी शख्सियत को जुहार नहीं करूंगा। यह सुनकर राजा रामचन्द्र ने तानसेन की ओर से नजरें फेर लीं और दु:खी हृदय से अपनी राजधानी की ओर गमन किया तो तानसेन ने आगरा की राह पकड़ी। अनुश्रुति है कि तानसेन ने अपने वचन को जीवन भर निभाया।
राजा रामचन्द्र का पड़ाव रूखसत हुआ, तब तानसेन ने राग "बागेश्री" चौताला में एक ध्रुपद रचना का गायन किया। जिसके बोल थे "आज तो सखी री रामचन्द्र छत्रधारी, गज की सवारी लिए चले जात बाट हैं। कित्ते असवार सो हैं, कित्ते सवार जो हैं, कित्ते सौ हैं बरकदार अवर कित्ते आनंद के ठाठ" ।
ग्वालियर के महान कला पारखी एवं संगीत मर्मज्ञ राजा मानसिंह की मृत्यु होने और उनके उत्तराधिकारी विक्रमादित्य से ग्वालियर का राज्याधिकार छिन जाने के कारण वहाँ के संगीतज्ञों की मंडली बिखरने लगी। उस परिस्थिति में तानसेन ग्वालियर से बृंदावन चले गए और स्वामी हरीदास से संगीत की उच्च शिक्षा प्राप्त की। आगरा के शासक इब्राहीम ने तानसेन को दरबार में आने का निमंत्रण भेजा। मगर तानसेन ने उस निमंत्रण को ठुकरा दिया। वे बैराग्य जैसा जीवन व्यतीत करने लगे। पर किसी अज्ञात कारण से तानसेन राजा रामचन्द्र की सभा की ओर आकर्षित हुए। राजा रामचन्द्र की राजसभा से वे पूरे हिंदुस्तान में विख्यात हो गए। उनकी ख्याति सुनकर मुगल बादशाह ने तानसेन को अपने दरबार में बुलाकर प्रतिष्ठित स्थान दिया। तानसेन जीवन पर्यन्त सम्राट अकबर के नवरत्नों में शामिल रहे।
ग्वालियर के अमर गायक संगीत सम्राट तानसेन के सम्मान में पिछले 95 वर्षों से ग्वालियर में शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन समारोह” आयोजित हो रहा है।
हितेन्द्र सिंह भदौरिया
Featured Post
25 अक्टूबर 2024, शुक्रवार का पंचांग
*सूर्योदय :-* 06:29 बजे *सूर्यास्त :-* 17:40 बजे *विक्रम संवत-2081* शाके-1946 *वी.नि.संवत- 2550* *सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन, उत्तर गोल ...
-
पति की लम्बी उम्र के लिए रखा था करवा चौथ का व्रत लेकिन खुद का जीवन हुआ खत्म aapkedwar news अजय अहिरवार चंदेरा–महिला ने पति की लम्बी उम्र के ...
-
अवैध पटाखो का कीमती जखीरा लगभग ग्यारह लाख नौ हजार सात सौ रुपए का किया जब्त aapkedwar news अजय अहिरवार टीकमगढ़//पुलिस अधीक्षक टीकमगढ़ मनोह...
-
दीपावली महालक्ष्मी पूजन को लेकर पूरे देश में विद्वानों की अलग-अलग राय चल रही है इस बार अधिकतर त्यौहार तिथियों के फेर में बने रहे। आइए जाने ...
-
तहसीलदार की गैर मौजूदगी में पटवारी ने लिया ज्ञापन भाजपा और कांग्रेस जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुर्दाबाद के लगाए नारे Aapkedwar news–अजय अहिरवा...
-
ताज की नगरी आगरा में अखिल भारतीय जैन ज्योतिषाचार्य परिषद के चतुर्थ स्थापनादिवस का आयोजन परम पूज्य उपाध्याय मेडिटेशन गुरु श्री विहसंत सागर ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें