श्वांस संबंधी बीमारी हल्के में न लें, जान लेवा हो सकती हैं: डॉ. अनुपम ठाकुर

एक्टिव मेडीकल सोसायटी का सेमीनार भी हुआ

रविकांत दुबे AD News 24


ग्वालियर। श्वांस संबंधी किसी भी बीमारी को हल्के में न ले, बाद में यह गंभीर रूप धारण कर जानलेवा हो सकती है। धुम्रपान और प्रदूषण से गंभीर श्वांस की बीमारी सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसीज) खतरनाक है और इस समय 18 से 20 प्रतिशत लोग इससे पीडि़त हैं। उक्त जानकारी आज प्रसिद्ध चेस्ट फिजीशियन डॉ. अनुपम ठाकुर ने पत्रकारों को चर्चा के दौरान दी। वह एक्टिव मेडीकल सोसायटी ग्वालियर द्वारा सीओपीडी अवेयरनेस पर पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। इस मौके पर सोसायटी के डॉ. वीके कुंदवानी भी मौजूद थे। 

डॉ. अनुपम ठाकुर ने बताया कि सीओपीडी यानि क्रोनिक आवस्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसीज बीमारी के फेंफडों में एक तरह रूकावट डाल रही है और इसके लंबे इलाज की जरूरत भी है। डॉ. ठाकुर ने बताया कि इस बीमारी में फेंफडों के भीतर की नलियां सिकुड जाती है जिसकी वजह से हवा ठीक तरह से फेंफडों के बाहर नहीं निकल पाती । आप इस रोग से कितने प्रभावित हैं इसका पता स्पाइरोमीटरी मशीन द्वारा लगाया जा सकता है। सीपीडीओ माइल्ड तथा मोडरेड तथा सीवियर प्रकार की होती है। डॉ. ठाकुर के अनुसार सीओपीडी काबू पाने के लिये धू्रपान फौरन छोड देना चाहिये, प्रदूषित वातावरण से बचाव रखें, डाक्टर के बताये अनुसार नियमित उपचार करें, पौष्टिक आहार लें, हर तरह के धुएं तथा तेज गंध से दूर रहें , अपने घर के वातावरण एवं साफ सफाई का ध्यान रखना आदि का ध्यान रखना चाहिये। 

डॉ. ठाकुर के अनुसार समय रहते इसका उपचार संभव है। इसका इन्हेलेशन मेडिसन ही इसका सबसे उचित इलाज है और अपनी इन्हेलेशन मेडिसन को डाक्टर द्वारा बताई गई मात्रा अनुसार नियमित रूप से लें। 

इसके नियमित इलाज से खांसी कम होगी, ज्यादा आसानी से सांस ले सकेंगे, ज्यादा नींद ले सकेंगे, ज्यादा लंबी उम्र जी सकेंगे। सीओपीडी के लक्षणों में होंठ या उंगलियों के नाखून नीले पड जाते हैं, चलने तथा बात करने में मुश्किल होना, दिल की धडक़न या नब्ज का बहुत तेज चलना, नियमित लेने वाली दवाओं का असर बहुत कम होना आदि शामिल है। कार्यक्रम में डॉ. वीके कुंदवानी ने डॉ. अनुपम ठाकुर का शॉल श्रीफल  से सम्मान भी किया। 


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