कहा जाता है कि अमावस्या के दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। जिन की कुंडली मे शनि की साढ़ेसाती, ढैया,पितृदोष,कालसर्प दोष है वह भी इस दिन इनकी शांति करके इस,सुख, प्राप्त कर सकते है।
धर्मशास्त्रों में मोनी अमावस्या का खास स्थान है। इसे माघ अमावस्या भी कहते हैं ।
ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि इस बार मौनी अमावस्या 11 फरवरी 2021 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। पुराणों में मान्यता है कि देवतागण इस पवित्र दिन को संगम में निवास करते हैं, इसलिए मौनी अमावस्या को गंगा स्नान का खास महत्व है।
इस बार हरिद्वार में भी कुंभ महा पर्व की बजह से स्न्नान दान का विशेष पर्व का दिन रहेगा।
क्योकि जिस बर्ष गुरु कुंभ राशि मे प्रवेश करते है उसके दो तीन माह पूर्व से कुंभ मेला का महापर्व हरिद्वार में प्रारम्भ हो जाता हैं।
इस बार सूर्य भी माघ माह में मकर राशि गत है अतः इस वार की मोनी अमावश्या खास होगी।
कहा है इस दिन मौन रहने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है।
इस दिन गंगा स्नान के बाद मौन व्रत का संकल्प लें और उसके बाद भगवान विष्णु का पीले फूल, केसर, चंदन, घी का दीपक और प्रसाद के साथ पूजा करें।
ऐसे कर सकते है व्रत स्नान-
सुबह नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहें. गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन जरूर कराएं. वस्त्र, अनाज, आंवला, तिल, पलंग, कंबल, घी और गौशाला में गाय के लिए भोजन दान करें।
हर अमावस्या की तरह मौनी अमावस्या पर भी पितरों को याद करें। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष भी मिलता और वह प्रशन्न होकर आशीर्वाद देते है जिससे जींवन में सुख समृद्धि आती है।
मौन रहने का महत्व-
मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करने का महत्व भी है मौन धारण करने के बाद व्रत समापन करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन व्रत रखने का मतलब मन को संयमित रखने से है।
इससे आपका आत्मबल ,ज्ञान,ध्यान बढ़ता है पवित्र विचार आते है पुण्य का अर्जन होता है तो निश्चित ही पाप नष्ट होकर सुख सम्रद्धि आती हैं।
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