भागवत कथा से बड़ा कोई सत्य नहीं - सुश्री गुजंन वशिष्ठ

भगवान श्री कृष्ण की नटखट बाल लीलाओं एवं माखन चोरी की कथा ने श्रद्वालुओं को भावविभोर किया


रविकांत दुबे AD News 24

ग्वालियर। श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिवस भगवान श्री कृष्ण की नटखट बाल लीलाओं एवं माखन चोरी की कथा ने श्रद्वालुओं को भावविभोर कर दिया। भक्तिमय, संगीतमयी कथा का रसपान कराते हुए व्यासपीठ सुश्री गुजंन वशिष्ठ ने श्रीमद भागवत कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भागवत कथा अमृत है। इसके श्रवण करने से मनुष्य अमृत हो जाता है। यह एक ऐसी औषधि है जिससे जन्म-मरण का रोग मिट जाता है। इस मौके पर भगवान श्री कृष्ण की जीवंत झाकियां सजाई गई, जिसे देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो उठे। 

     श्री चलेश्वर महादेव मां शक्ति मंदिर, पत्रकार काॅलोनी विनय नगर पर आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवे दिवस व्यासपीठ सुश्री प्रज्ञा भारती जी की परमशिष्या सुश्री गुंजन वशिष्ठ ने कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लेते ही कर्म का चयन किया। नन्हें कृष्ण द्वारा जन्म के छठे दिन ही शकटासुर का वध कर दिया, सातवें दिन पूतना को मौत की नींद सुला दिया। तीन महीने के थे तो कान्हा ने व्योमासुर को मार गिराया। प्रभु ने बाल्यकाल में ही कालिया वध किया और सात वर्ष की आयु में गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र के अभिमान को चूर-चूर किया। सुश्री गुजंन वशिष्ठ ने गौ माता की महिमा बताते हुए कहा कि गौमाता के स्पर्श मात्र से ही अनजाने में किए गए सारे पाप से हम मुक्त हो जाते हैं। हम सभी को गौ सेवा की आदत अपने जीवन में डालनी चाहिए। 

     व्यासपीठ सुश्री गुजंन वशिष्ठ ने कहा कि भागवत कथा से कल्याणकारी और कोई भी साधन नहीं है इसलिए व्यस्त जीवन से समय निकालकर कथा को आवश्यक महत्व देना चाहिए। भागवत कथा से बड़ा कोई सत्य नहीं है। भागवत कथा को पांचवां वेद कहा गया है, जिसे पढ़ सकते हैं और सुन सकते हैं। कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु किसी किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण के ही माने जाते हैं। 

        गोवर्धन पूजन का वर्णन करते हुए सुश्री गुजंन वशिष्ठ ने बताया कि गोवर्धन पर्वतराज द्रोण के पुत्र है। एक समय दुर्वासा मुनि पर्वत द्रोणगिरी गए। वहां उन्होंने गोवर्धन को उनसे मांग लिया। तब गोवर्धन ने कहा कि अगर रास्ते में आपने मुझे रख दिया तो मैं वहीं स्थापित हो जाऊंगा। दुर्वासा मुनि ने गोवर्धन की बात मान ली और लेकर चल पड़े। बताया जाता है कि ब्रज मंडल पहुंचते ही दुर्वासा मुनि को लघुशंका हुई। जिसकी वजह से उन्होंने गोवर्धन को वहीं रख दिया। जिसके बाद गोवर्धन वहीं पर स्थापित हो गए। कथा व्यास ने बताया कि रामायण काल में भी जब लंका जाने के लिए पुल बनाने की बात हो रही थी तो वीर हनुमान गोवर्धन को उठाकर चले ही थे कि समाचार आया कि पुल बनाने का काम पूरा हो गया है। तब हनुमान जी ने श्रीराम से कहा कि मैने गोवर्धन को आपके दर्शन करवाने का वचन दिया था। तब भगवान बोले कि गोवर्धन से कहो कि मैं उसे कृष्ण अवतार में दर्शन दूंगा। भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन को सात दिन तक अपनी छोटी ऊंगली पर धारण करके अपना ही रूप गोवर्धन को दिया था। तभी से भक्त गोवर्धन की पूजा करके अपनी मनोकामना पूर्ण करते है। 

       आज की कथा समापन पर उपस्थित रमेश चंद्र झा, बृजेश शर्मा, राकेश परिहार, वीरेन्द्र राजपूत, श्याम सिंह, शैलेन्द्र यादव, विक्की शर्मा, रवि दंडोतिया, बबलेश शर्मा सहित सभी श्रद्वालुओं ने श्रीमद भागवत ग्रंथ की आरती उतारी और भक्तों को प्रसाद का वितरण किया गया।

        श्री चलेश्वर महादेव मां शक्ति मंदिर पर आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवे दिवस आज कलाकारों द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं एवं गोवर्धन पूजा की आकर्षक व जीवंत झांकियों ने सभी भक्तगणों को भाव विभोर कर दिया।


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