भक्ति के लिए उम्र कोई बाधा नहीं हो सकती: सुश्री गुजंन वशिष्ठ

 भागवत कथा

ग्वालियर। भगवान की उपासना केवल इस भारत भूमि पर ही है, बाकी तो सारे विश्व में वासना का साम्राज्य है। इसलिए मानव जीवन कृतार्थ करने के लिए भगवान का ध्यान अर्चन सबको करना चाहिए। आप निष्काम हो या बहुत सी कामनाएं आपके मन में भरी हों, मनुष्य मात्र को श्री हरि की उपासना करनी ही चाहिए, क्योंकि यह शरीर उपासना के लिए ही प्रभु ने दिया है। इस भक्तिमय, संगीतमयी कथा का रसपान व्यासपीठ सुश्री गुजंन वशिष्ठ ने आज श्री चलेश्वर महादेव मां शक्ति मंदिर, पत्रकार काॅलेनी, विनय नगर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिवस भक्तों को कराया। सुश्री गुजंन वशिष्ठ ने आज कपिल उपाख्यान, ध्रुव चरित्र, अजामिल कथा एवं भक्त प्रहलाद की कथा सुनाई।
     श्री चलेश्वर महादेव मां शक्ति मंदिर पर आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरेे दिवस व्यासपीठ सुश्री प्रज्ञा भारती जी की परमशिष्या सुश्री गुंजन वशिष्ठ ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान न हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों न हो। कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा।

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