श्री राम कथा: भगवान ने सर्व कल्याण के लिये ही पृथ्वी पर अवतार लिये: राघव ऋषि जी

रविकांत दुबे AD News 24

ग्वालियर। अन्तर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वक्ता श्रीविद्या सिद्ध संत ज्योतिष समा्ट पूज्य राघव ऋषि जी ने कहा है कि पृथ्वी पर जब जब भगवान अवतार लिया उन्होंने केवल सर्व कल्याण ही किया है। उन्होने कहा कि मनुष्य योनि में आने के बाद लोगों को भ्रष्टाचार नहीं जीवन को हरि सेवा के निमित्त लगाना चाहिये। अन्तर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वक्ताश्रीविद्या सिद्ध संत ज्योतिष समा्ट पूज्य राघव ऋषि जी आज इन्द्रमणि नगर में चल रही श्री राम कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। आज कथा में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर , भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद प्रभात झा भी पधारे । उन्होंने व्यास पीठ की आरती उतार कर अन्तर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वक्ताश्रीविद्या सिद्ध संत ज्योतिष समा्ट पूज्य राघव ऋषि जी से आशीर्वाद ग्रहण किया। 

अन्तर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वक्ताश्रीविद्या सिद्ध संत ज्योतिष समा्ट पूज्य राघव ऋषि जी ने कहा कि भक्ति की शुरूआत सकाम से हुई है। उन्होंने कहा कि लोग भगवान से हर बात पर सिर्फ मांगते ही रहते हैं। उन्होंने कहा कि संसार में आकर लोग केवल स्वार्थवश ही काम करते हैं। भगवान की भक्ति करें तो उन्हें भगवान अपना आशीवार्द अजरूर देते हैं। श्री राघव ऋषि ने वृंदावन में एक बूढी मां की कहानी सुनाते हुये कहा कि वह रोजाना दही मक्खन बेचने वृंदावन यमुना नदी पार कर जाती थी। Sandhyadeshएक दिन उसका दही मक्खन जल्दी बिक गया तो वह व़ंदावन में मंदिरों को दर्शन कर घर जाने से पहले एक श्रीमद भागवत कथा को सुनने बैठ गई। वहां पर व्यास पीठ पर बैठे विद्वान ने कहा कि हरि नाम राधेश्याम के नाम से लोग तर जाते हैं बुढी मां ने सुना कि यमुना नदी में भी तैर जाते हैं। वह लौट कर नाव वाले घाट को छोड दूसरे घाट पर गई और राधेश्याम नाम जपते हुये यमुना नदी को पार कर गई। ऐसे उसके पैसे बचे और उसने एक दिन भागवत वाले विद्वान को बुलाकर उन्हें भोजन कराने की ठानी। और उन्हें लेने के लिये वृंदावन पहुंच गई। और उन्हें विती कर अपने घर ले जाने लगी। वह विद्वान को लेकर भी नाव वाले घाट की ओर ना जाकर रोजाना जैसे नदी पार करती थी वैसे करने लगी। वह तो नहीं डूबी लेकिन विद्वान सज्जन डूबने लगे तो बूढी मां ने उनका हाथ पकड कर राधेश्याम नाम से नदी पार कराई। बेचारे विद्वान तो डर गये कि मां अब क्या करेगी यह कोई चुडैल तो नहीं है। विद्वान मां के घर पहुंचे वहां सत्कार से भोजन किया और दक्षिणा भी पाई। इसके बाद जब विद्वान ने बूढी मां से पूछा तो उसने कहा कि आपने ही तो कहा था कि नाम से तैर जाते हैं  सो मै रोजाना राधेश्याम का नाम लेकर नदी पार करती हूं। इसके बाद वह विद्वान समझे कि यह बूढी मां बिना किसी छल कपट से राधेश्याम का नाम ले रही थी और नदी को पार कर रही थी। अन्तर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वक्ताश्रीविद्या सिद्ध संत ज्योतिष समा्ट पूज्य राघव ऋषि जी ने यह भी कहा कि मनुष्य को रोजाना दिन या रात मेें सोते समय व्यक्ति ने क्या कर्म किये दुष्कर्म किये या सत्कर्म किये इस पर विचार करना चाहिये। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म तो जल्दी मनुष्य को घेर लेत हैं जबकि सत्कर्म को आने में काफी समय लगता है। 

ऋषि सेवा समिति ग्वालियर के तत्वाधान में चल रही मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ज़ी के पावन चरित्र पर आधारित संगीतमय श्रीराम कथा मंदाकिनी के तृतीय दिवस स्थानीय इन्द्र मणि नगर सन सिटी के पीछे प्रांगण में कथा का श्रवण पान कराते हुए अन्तर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वक्ताश्रीविद्या सिद्ध संत ज्योतिष समा्ट पूज्य राघव ऋषि जी ने राम जन्म के दिव्य रहस्य के पश्चात के प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि दिए गए वचन का मान रखने के लिए राजा दशरथ के पुत्र रूप में अवतार लिया ।आज पूरी अयोध्या उत्साह से उत्सव मना रहे हैं। कथा क्रम को आगे बढ़ाते हुए पूज्य श्री ने बताया प्रभु श्री राम भाइयों सहित धीरे धीरे बड़े हो रहे हैं बाल लीलाओं को देख दशरथ कौशल्या खुशी से फूले नहीं समाते। ऋषियों मुनियों के यज्ञ में बाधा उत्पन्न कर रहे सुर समूह से सताए जा रहे ऐसी दशा जान गाधितनय विश्वामित्र जी ने मन मे अनुमान कर कि जिस हेतु भगवान का अवतार हुआ है उसका अब समय आ गया है। क्योंकि भगवान ने सन्तों हेतु विप्रोएगौ हेतु ही इस धराधाम में अवतार लिया।राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को यज्ञ रक्षणार्थ अपने साथ ले चले। मार्ग पर चलते हुए अनेकों राक्षसों का संहार कर सन्तों को भय मुक्त किया। गुरु की सन्निधि में रह अनेकों विद्याओं में पारंगत हुए संस्कार सम्पन्नता से ही जीवन सफल होता है।आगे मार्ग में चलते हुए पाषाण शिला को देख कर श्री राम जी ने गुरुदेव से पूछा कि यह पाषाण शिला में कौन है गुरुदेव ने बताया कि गौतम नारी अहिल्या जिन्हें स्वयं गौतम ऋषि के श्राप से पाषाण शिला हो गई।यह आपके चरण रज चाहती है जिससे यह श्राप से मुक्त हो जाएगी। भगवान ने विप्र और क्षत्रिय की तुलना बताई क्या हम विप्रो को अपने चरण स्पर्श कराऐ गुरुदेव के कथनानुसार भगवान ने   पाषाणअहिल्या को चरणों से स्पर्श कराया तुरंत ही सुन्दर नारी के रूप में प्रकट हो गई हांथ जोड़ भगवान के सामने खड़ी हो गई व श्री राम जी से मैं नारी अपावन और आप जग पावन हैं। मैं तो सौभाग्य मानती हूं कि मेरे पति ने श्राप दे मेरे ऊपर बड़ा ही अनुग्रह किया है भगवान को बार.बार प्रणाम कर आनन्द पूर्वक पति लोक को विदा हुई। भगवान के प्रति विश्वास ही आज अहिल्या का उद्धार कर सका अत: भगवान से नित्य सानिध्य बनाए रखना चाहिए।आरती में मुख्य यजमान श्री यशवीर शर्मा -सुमन शर्मा , श्री विनय अग्रवाल, श्री उदय अग्रवाल, जीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह गुर्जर , श्री महेश अग्रवाल श्री अम्बरीष गुप्ता श्री देवेन्द्र तिवारी श्रीहरि ओम मिश्रा श्री आनन्द मोहन अग्रवाल श्री संजय शर्मा श्री सन्तोष अग्रवाल श्री रामप्रसाद शाक्य श्री बद्री प्रसाद गुप्ता व समस्त साधकों पदाधिकारियों के साथ गणमान्य भक्त श्रद्धालुओं ने भव्य आरती सम्पन्न की।


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