रविकांत दुबे AD News 24
ग्वालियर। विजय रोंघे निवास व जाति प्रमाण-पत्र को लेकर कई दिनों से परेशान थे। तहसीलदार ने प्रमाण-पत्र बना भी दिया, पर उससे उनका काम नहीं चला। सो अपनी फरियाद लेकर कलेक्ट्रेट की जन-सुनवाई में पहुँच गए। कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने विजय मोघे एवं उनकी धर्मपत्नी की व्यथा ध्यानपूर्वक सुनी और अपने दस्तखत कर जनसुनवाई में ही विजय रोंघे का निवास व जाति प्रमाण-पत्र बना दिया।
दीनदयालनगर ग्वालियर निवासी विजय रोंघे सामान्य वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने झाँसी (उत्तरप्रदेश) निवासी अनुसूचित जाति की महिला श्रीमती ज्योति वर्मा से प्रेम विवाह किया है। सामान्य वर्ग के व्यक्ति द्वारा अनुसूचित जाति की महिला से विवाह करने पर उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा दो लाख रूपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। पर इसके लिये जिला अधिकारी, कलेक्टर अथवा मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर से जारी निवास व जाति प्रमाण-पत्र होना जरूरी है। ज्योति का तो झाँसी में जिला अधिकारी के हस्ताक्षर से यह प्रमाण-पत्र बन गया। मध्यप्रदेश में निवास प्रमाण-पत्र जारी करने का अधिकार तहसीलदार को है, सो विजय का प्रमाण-पत्र तहसीलदार मुरार द्वारा बना दिया गया। तहसीलदार के हस्ताक्षरयुक्त प्रमाण-पत्र को उत्तरप्रदेश में मान्य नहीं किया गया। जाहिर है विजय-ज्योति दम्पत्ति को दो लाख रूपए की आर्थिक सहायता नहीं मिल पा रही थी।
अपनी इस परेशानी को लेकर विजय – ज्योति दम्पत्ति विभिन्न दफ्तरों के चक्कर लगा रहे थे। तभी उन्हें किसी ने बताया कि प्रदेश सरकार के निर्देश पर हर मंगलवार को कलेक्ट्रेट में जन-सुनवाई होती है। सो विजय अपनी धर्मपत्नी के साथ कलेक्ट्रेट की जन-सुनवाई में पहुँचे। कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने जब उनके सामने ही हस्ताक्षर कर प्रमाण-पत्र बना दिया तो विजय एक बारगी भरोसा नहीं कर पाए। जब कलेक्टर श्री सिंह ने विजय को यह प्रमाण-पत्र सौंपा तो वे खुशी से झूम उठे और पति-पत्नी प्रदेश सरकार व कलेक्टर श्री सिंह को दुआएँ देते खुशी-खुशी अपने घर लौटे।
हितेन्द्र सिंह भदौरिया
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