ग्वालियर । किसान पुत्र होने के नाते खेती-किसानी को बेहतर तरीके से जानने वाले मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के किसानों के लिये जो किया है, वह कृषि क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रहा है। एक लंबे समय से उनके द्वारा खेती-किसानी और किसानों की बेहतरी के लिए किए गए प्रयासों और नवाचारों के परिणाम अब न केवल पूरे देश-दुनिया के सामने है बल्कि उन्हें इसका पुरोधा भी माना गया है।
प्रदेश के किसानों के हित में खेती को लाभप्रद बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिये मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अनेक नवाचार भी किये हैं। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भागीदारी है। कृषि उत्पादन को बढ़ाना, उत्पादन की लागत को कम करना, कृषि उपज के उचित दाम दिलाना और प्राकृतिक आपदा या अन्य स्थिति में उपज को हुए नुकसान में किसान को पर्याप्त क्षतिपूर्ति देना, मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रयासों में शामिल हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश के किसानों को जो संबल दिया, उससे किसानों ने प्रमुख रूप से गेहूँ उत्पादन में रिकार्ड कायम किया। मध्यप्रदेश गेहूँ उपार्जन में पूरे देश में अव्वल रहा। किसानों के हित में कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन करते हुए ई-ट्रेडिंग का प्रावधान किया गया और किसानों को उपार्जन केन्द्र के साथ ही मंडी के अधिकृत निजी खरीदी केन्द्र और सौदा-पत्रक व्यवस्था के माध्यम से भी फसल बेचने की सुविधा प्रदान की गई। गेहूँ, धान एवं अन्य फसलों के उपार्जन की 33 हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि किसानों के खातों में अंतरित की गई।
प्रदेश के किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में प्रतिवर्ष 6-6 हजार रूपये तो मिल ही रहे हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश के किसानों के लिये मुख्यमंत्री किसान-कल्याण सम्मान निधि योजना की शुरूआत कर किसानों को मध्यप्रदेश शासन की ओर से प्रतिवर्ष 4 हजार रूपये दो बराबर किश्तों में दिये जाना शुरू किया गया। इस प्रकार किसानों को अब कुल 10 हजार रूपये प्रतिवर्ष किसान सम्मान निधि मिल रही है।
किसानों की परेशानियों को भी मुख्यमंत्री श्री चौहान भलीभांति समझते हैं। उन्होंने प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य परिस्थिति में किसान की उपज को हुए नुकसान में राहत पहुँचाने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लंबित प्रीमियम जमा कर किसानों को राहत पहुँचाई। लॉकडाउन की विकट स्थिति में एक करोड़ 29 लाख टन गेहूँ 16 लाख किसानों से खरीद कर उनके खातों में 27 हजार करोड़ से अधिक की राशि अंतरित किया जाना किसानों के लिये बड़ी राहत थी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण योजना को पुन: चालू करते हुए किसानों को राहत पहुँचाई। इसके लिये सहकारी बैंकों को 800 करोड़ रूपये की राशि भी उपलब्ध करवाई गई। किसानों की आय को बढ़ाने के लिये मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बेहतर प्रबंधन और सिंचाई परियोजनाओं पर प्राथमिकता से कार्य करवाये। इन कार्यों से प्रदेश में अधिक से अधिक क्षेत्र में सिंचाई की उपलब्धता सुनिश्चित की गई। वर्ष 2020 तक लगभग 40 लाख 27 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएँ विकसित की गईं। प्रदेश में 19 वृहद, 97 मध्यम और 5344 लघु सिंचाई योजनाओं का कार्य पूर्ण किया गया। इसके साथ ही 27 वृहद, 47 मध्यम और 287 लघु सिंचाई योजनाएँ प्रगति पर हैं। प्रदेश में अगले 5 वर्षों में 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कोरोना काल में पंचायत एवं ग्रामीण विकास की विभिन्न योजनाओं में 57 हजार 653 जल- संरचनाओं का निर्माण किया गया। इन सभी जल संरचनाओं से जहाँ एक ओर स्थानीय लोगों को कोरोना काल में रोजगार मिला, वहीं भू-जल स्तर में बढ़ोत्तरी के साथ किसानों को खेती में सिंचाई के लिये पानी भी मिल रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा विगत कई वर्षों से सिंचाई बजट में निरंतर वृद्धि भी की जा रही है।
हाल ही में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रि-परिषद की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राजस्व पुस्तक परिपत्र में नये प्रावधान जोड़े हैं। इन प्रावधानो में प्राकृतिक प्रकोप, आग लगने तथा वन्य प्राणियों द्वारा मकान नष्ट किये जाने पर आर्थिक सहायता को शामिल किया। किसानों को कृषि कार्य के लिये फ्लैट दरों पर बिजली दी जा रही है, जिसमें 22 लाख कृषि उपभोक्ता लाभान्वित हुए हैं। किसानों को खेती के लिये बिजली कनेक्शनों पर 14 हजार 244 करोड़ रूपये का अनुदान दिया गया।
प्रदेश कृषि अधोसंरचना विकास फंड के उपयोग में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है। अधोसंरचना विकास के लिये आत्म-निर्भर कृषि मिशन का गठन किया गया है। कृषि विकास एवं किसान-कल्याण के लिये विभिन्न योजनाओं पर 83 हजार करोड़ रूपये से अधिक के हितलाभ दिये गये हैं। किसानों के हित में मंड़ी नियमों में ऐतिहासिक सुधार भी किया गया हैं। मंडी टेक्स 1.50 प्रतिशत से घटाकर 0.50 प्रतिशत किया गया। कृषि की लागत कम करने, उत्पादन बढ़ाने तथा उपज का सही दाम किसानों के दिलाने के लिए कृषि उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) को मजबूत किया जा रहा है। आगामी वर्षों मे एक हजार नये कृषि उत्पादक संगठनों का गठन किया जाएगा।
किसानों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा फसल नुकसानी पर न्यूनतम मुआवजा राशि 5 हजार रूपये की गई है। इस संबंध में राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन भी किया गया है। शिवराज के इन्हीं सब कार्यों का परिणाम है कि मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर निरंतर बढ़ रही है। प्रदेश को लगातार सातवीं बार कृषि कर्मण अवार्ड से नवाजा गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान के सफल प्रयासों ने उन्हें खेती-किसानी और किसानों की बेहतरी के पुरोधा के रूप में मान्यता दिलाई है।
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