बुन्देलखंड एक्सप्रेस की संचालन से लेकर सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी थी महिलाओं के कंधे पर, 7 मिनट पहले पहुंची ट्रेन

रविकांत दुबे AD News 24

ग्वालियर । सोमवार की सुबह आंखें गढ़ाकर महिलाओं को घूर घूर देख रहे थे यात्री और प्लेटफार्म पर घूमने वाले और कुछ लोगों ने आश्चर्य भरी नजरों को देखा तो नजारा था ग्वालियर के प्लेटफॉर्म नम्बर 4 पर सुबह 8.23 बजे झांसी से 2 महिला लोको पायलट अंर्तराष्ट्रªय महिला दिवस पर बुन्देलखंड एक्सप्रेस लेकर पहुंची थी। और महिलाओं के लिये गर्व का माहौल था।

सेमवार को अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रेलवे ने बुन्देलखंड एक्सप्रेस की कमान 2 महिला लोको पायलट को सौंपी थी और यह झांसी से ट्रेन को लेकर ग्वालियर पहुंची । ट्रेन में लोको पायलट से लेकर सुरक्षा तक की जिम्मेदारी महिलाओं ने संभाल रखी थी। ग्वालियर के रेलवे प्लेटफॉर्म बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस के पहुंचने पर महिलाओं को जोरदार स्वागत किया गया। इस मौके पर लोको पायलट कौशल्या और सहायक लोको पायलट आकांश गुप्ता ने कहा है कि ट्रेन चलाना एक एंटी नेचर जॉब है और जब लोग सो रहे होते हैं तब हम ट्रेन चला रहे होते यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।

बुन्देलखंड एक्सप्रेस को स्कॉट किया आरपीएफ की टीम ने

जब बुन्देलखंड एक्सप्रेस झांसी से चली तो आरपीएफ (रेलवे प्रॉक्टशन फोर्स) की टीम ने ट्रेन अपने कब्जे में लिया, ट्रेन में 3 महिला सुरक्षा कान्स्टेबल आगे और 3 पीछे के कोच में तैनात थी और यात्रियों को पूरी तरह सुरक्षा प्रदान की। अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर बुन्देलखंड एक्सप्रेस का संचालन से लेकर सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधे पर थी। आरपीएफ टीम को लीड कर रही थी एसआई उमा यादव।

ट्रेन चलाने में लोको पायलट कौशल्या की मदद करने वाली सहायक लोको पायलट आकांक्षा गुप्ता का कहना है कि वह साल 2015 से ट्रेन चला रही हैं। इस ​ जॉब में हर दिन एक नया चैलेंज होता है। हम महिलाएं ही हैं जो घर के साथ-साथ ट्रेनों को भी आसानी से चला लेते हैं। रेलवे में महिलाओं की अच्छी स्थिति है। अब तो हर फील्ड में महिलाएं परचम लहरा रही हैं।

चुनौतियों से भरा है एक पायलट का जॉब

महिला दिवस पर बुंदेलखंड एक्सप्रेस ट्रेन को झांसी से ग्वालियर चलाकर लाईं लोको पायलट कौशल्या का कहना है कि वह 2013 से ट्रेन चला रही हैं। 2019 से यात्री ट्रेन चला रही हैं। ट्रेन चलाना एक चुनौतियों से भरा जॉब है। एंटी नेचर जॉब होता है। जब लोग सो रहे होते हैं तब हम ट्रेन चला रहे होते हैं। कई तरह की समस्याएं आती हैं, लेकिन खुशी भी मिलती है कि महिलाएं किसी से कम नहीं हैं। रेलवे महिलाओं को बहुत सपोर्ट करता है।



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