शनिचरी अमावस्या आज: रंक से राजा बनाते हैं शनि देव -ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन

आम आदमी को भले ही किसी ग्रह  की जानकारी हो या ना हो परंतु शनि ग्रह का नाम जरूर हर कोई जानता है इसका नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं परंतु यह न्याय प्रिय ग्रह हैं और अपनी दशा में व्यक्ति को रंक से राजा बना जाता है। ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि 13 मार्च को शनिचरी अमावस्या है अगली 6 जून को और 4 नवंबर 2021 में भी शनिचरी अमावस्या पड़ेगी।

 जैन के अनुसार शनि व्यक्ति को रंक से राजा बना देता है यह ग्रह सभी ग्रहों में धीमी गति से चलने के कारण इसका नाम शनिश्चर पड़ा किसी यदि किसी व्यक्ति की 100 वर्षों की आयु हो तो उसके जींवन में शनि की साढ़ेसाती हर 30 वर्षों बाद आती है तो 3 बार ही आ सकती है। यह एक राशि में ढाई वर्ष रहता है जब राशि से बारहवें शनि होते हैं तो शनि की साढ़ेसाती शिर से शुरू होती है और जब राशि पर आते है तो ह्रदय पर फिर राशि से दूसरे तब उतरती पैरों पर इस प्रकार ढाई, ढाई, ढाई वर्ष मिलाकर साढ़े सात वर्ष शनि की साढ़ेसाती कहलाती हैं और जब राशि से शनि चार,आठ,बारहवें गोचर में होते हैं तो ढईया रहती है।शनि की  महादशा 19 वर्षों की होती है शनि न्यायप्रिय ग्रह है व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का न्याय शनी करता है उसे अच्छे और बुरे फल देता है। अगर कुंडली में या हाथ की रेखाओं में शनि की स्थिति अच्छी है तो गोचर में या अपनी महादशा के वर्षों में यह ग्रह व्यक्ति को रंग से राजा बना जाता है और यदि अशुभ स्थिति है तो कर्मों का हिसाब किताब बंधन, जेल, मुकदमा, कष्ट, रोग ,धन हानि, क्लेश कराकर व्यक्ति को देता रहता है । जितने व्यक्ति महान बने उच्च पदों पर अशीन हुए है और धन सम्पन्न बने है इतिहास गवाह है वह सब शनि की साढ़ेसाती वर्षो में या महा दशा के काल मे बने है।

इस समय मिथुन व तुला राशियों पर शनि की ढैया चल रही है और धनु, मकर व  कुंभ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। इससे बचने के लिए  शास्त्रों में अनेक उपाय हैं उन्हें करने से शांति मिलती है। उपाय-  शनि मंत्र का जाप करें या करावे। शनि चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें। काले घोड़े की नाल या नाव की कील का छल्ला धारण करें।  सरसों का तेल, तिल, काली उड़द ,काला वस्त्र आदि दान करते रहें। नीलम रत्न भी टेस्ट करके धारण कर सकते हैं।

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