दोष पूर्ण छात्रवृति वितरण पर रोक जरूरी ?

रविकांत दुबे AD News 24

 ग्वालियर । शिक्षा विभाग में जब से पेपर लैस का फरमान जारी हुआ है, तब से विभाग की मुश्किलें ज्यादा बढ़ी है।बावजूद कागज पर लिखने की आदत लंबे समय से होने पर अधिकारी से लेकर कर्मचारी असहज महसूस कर रहे । फरमान की परवाह किये बगैर सभी कर्मचारी कागजों पर लिखने का उपयोग बेखोफ कर रहे । इसके चलते किसी भी काम मे गड़बड़ी की संभावना कम होती है 

  अभी हाल ही में शिक्षा विभाग में अनुसूचित जाति ,पिछड़ा वर्ग के छात्रो को दी जाने वाली छात्रवृर्ति् का घोटाला जिला शिवपुरी में सामने आये जाने पर अधिकारियों के कान खड़े हो गए । नतीजन आनन फानन में बिना विचारे अपनी गलत नीतियों को छुपाने को सभी जिले के जिला शिक्षा अधिकारियों ने अपने जिले के सभी सरकारी और गैर सरकरी स्कूल में छात्र वृत्ति वितरण किये जाने की जॉच के आदेश दिए है।जिसके कारण संकुल से लेकर सभी विद्यालयीन स्टाफ परेशान है ।वैसे भी पिछले पन्द्रह सालो से शिक्षा विभाग को अन्य विभागों के काम की जिम्मेदारी का बोझ डाला गया है । इसके अतिरिक्त एक अप्रैल से इस बिभाग को महिला एवं बाल्य विकास का भी काम सौ पा जा रहा है। बेगारी के इस काम से परेशान शिक्षक परीक्षा परिणाम उत्तम देने मे असक्षम है। यही सबसे बड़ा इस विभाग का दर्द है ।

 दोष पूर्ण छात्रवृति का वितरण पिछले  दो सालों से निरंतर चला आ रहा है । डिजिटल तकनीक के चलते समस्याओं के साथ साथ साइबर अपराध में इजाफा जरूर हुआ ।इसे रोकने में अभी तक सभी तकनीक असफल रही ।इसका लाभ मास्टर माइंड अपराधियो ने खूब उठा कर पुलिस की पकड़ से दूर रहे ।

     स्कूली छात्रवृति पिछले दो वर्ष से पेपर लेस के कारण कुछ छात्रों के खातों में पहुची कुछ के नही , पेहले छात्रवृर्ति् उसी छात्र को मिलती थी जो सभी दस्तावेजो के साथ आवेदन कर जमा किया गया हो। जिसकी जाँच उपरांत छात्रवृर्ति् स्वीकृत कर  कि संबंधित बेंक का राशि चेक दिया जाता था । छात्र बेंक जा कर राशि प्राप्त कर लिया करता था । अब तो छात्र को यह भी नही पता रहता कि उसने वजीफा प्राप्त के लिए फार्म भरा है  या नही । जब से नया फरमान लागू हुआ जब से साइबर अपराधियो की बन आई है ।क्या है दोष पूर्ण छात्रवृर्ति् वितरण हमारे ब्यूरो प्रमुख ने एक शिक्षक से जानकारी ली उसने नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि इसमें  स्कूल द्वारा छात्र का ,माता पिता का नाम ,जन्म दिनांक ,कक्षा ,आधार, बेंक एकाउंट नम्बर ,बच्चे की जाति,आय प्रमाण ,आदि की सम्पूर्ण जानकारी कंप्यूटर पर संकुल द्वारा  फीड की जाती है । लेकिन संकुल ने अपना इस काम का बोझ कम करते हुए स्कूलो को   फरमान जारी कर दिया कि अपने विद्यालय में अध्ययन रत छात्रों की जानकारी खुद फीड कर संकुल केंद्र को भेजे । जानकारी संकुल पर मेल द्वारा आने पर सम्बन्धित आपरेटर केवल क्लिक  ओके किये जाने पर छात्र का पहले से अपडेशन प्रोफाइल एक बार पुनः अपडेशन हो गई । इस काम के संकुल ऑपरेटर को तीन रुपये प्रति छात्र मिलते है ।जबकि  पूरी जानकारी एकत्रित करने में स्कूल को काफी मशक्कत करनी होती है ।उसे किसी कभी प्रकार का पारिश्रमिक नही दिया जाता है। छात्र की जानकारी भरते ही स्वीकृत राशि का विवरण दिखाई देने लगता है ।चाहे छात्र छात्रवर्ति्त का फार्म नही भरे । उसके द्वारा दिये गए खाते नंबर में राशि पहुचती है । इस दोष पूर्ण प्रक्रिया में छात्र को यह पता ही नही है कि उसे छात्रवृर्ति् का पैसा उसके खाते में पहुँचा या नही । यदि उसने आवेदन किया होता तो वह सम्बन्धित से जानकारी अवश्य लेता ।

 दूसरी ओर इस प्रक्रिया के बाद संकुल केन्द्र  स्कूलों पर छात्रवृर्ति्  फार्म  भरे हुए जमा कर ने को दवाब बनाते है।स्कूल संचालक के सामने परेशानी जब  आती है कि सम्बन्धित विभाग ने अभी तक कोई नया छात्रवर्ति्त आवेदन पत्र जारी ही नही किये जबकि संकुल पुराने आवेदन को जमा करने पर जोर दे रहा है। विभाग की सबसे बड़ी विसंगति है कि बिना फॉर्म भरे पहले छात्र के खाते में राशि का पहुँच जाना । प्रवेश लेते समय छात्र जो दस्तावेज जमा करे या नही ,राशि उसके खाते में अवश्य पहुचेगी । बाद में संकुल आवेदन जमा करने पर स्कूलों पर दवाब,कारण बताओ  या मान्यता निरस्त आदि की धमकी देता है । 

 इन विसंगति का लाभ उठाते हुए साइबर अपराधी कम्प्यूटर हेंग कर सम्पूर्ण डाटा चुरा कर राशि को अपने  द्वारा खोले गए  खाते में ट्रांसफर कर लेते है । यह खेल पिछले तीन सालों से जारी है ।लेकिन पकड़ाई अब आया परंतु मास्टर माइंड पुलिस की पकड़ से कोसो दूर है ।अपनी कमी को छुपाने को शिक्षा विभाग ने कोई नीति में सुधार नही किया बल्कि स्कूलों की जॉच और बिठा दी ।

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