शिक्षा विभाग के नये फरमान से बच्चे और टीचर परेशान

रविकांत दुबे AD News 24

ग्वालियर। शिक्षा विभाग द्वारा हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल का टाइम सुबह 900 से 5रू00 कर दिया गया

 और छुट्टियों के दिन रविवार को विद्यार्थियों और शिक्षकों को स्कूल बुलाया जाना एक प्रताड़ित करने वाला आदेश है 

कोरोना काल के आरंभ से अप्रैल से ऑनलाइन कक्षाएं तो विद्यार्थियों को व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के बाद प्रारंभ कर दी गई थी उसके बाद गर्मियों में शिक्षकों से मूल्यांकन कार्य भी किया जाना उसके बाद पूरे समय मई और जून में जबकि ग्रीष्मकालीन अवकाश रहता है उस समय भी मूल्यांकन कार्य शिक्षकों को संपन्न कराया गया। रोजाना 5 से 10 विद्यार्थियों को फोन करके पढ़ाई की जानकारी देना ऑनलाइन मटेरियल के माध्यम से समस्या निवारण तीन प्रकार के प्रपत्र ऑनलाइन भरकर भेजने कार्य में शिक्षक लगा रहा

 ऑनलाइन पढ़ाई को विपरीत परिस्थितियों में शिक्षकों ने सफल बनाया जुलाई के मध्य से स्कूल खोलने वाली ग्रुप से समस्या निवारण की कक्षाएं संचालित करने के आदेश दिए गए।

 उसे भी शिक्षकों द्वारा गंभीरता से लिया गया वार्षिक परीक्षा का समय मई में निर्धारित करके इस सत्र के ग्रीष्मकालीन अवकाश पर भी लगभग रोक लगा दी गई है इन सब के बावजूद विभाग द्वारा रिजल्ट के लिए दबाव बनाया जाना लक्ष्य पूरा ना होने पर कार्रवाई की चेतावनी लिखित रूप में देना जारी करना बिल्कुल भी उचित नहीं है ।

सरकार खुद यह जानती कि कोरोना महामारी से सारी व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई है इससे बच्चों का नुकसान हो रहा है इस विकट परिस्थिति में भी शिक्षक को टारगेट बनाना और कार्यवाही की बात करना उचित नहीं है और अभी हाल ही में शाला का समय सुबह 9रू00 बजे से शाम 5रू00 बजे तक करने का आदेश देना यह पूरी तरह से ठीक नहीं है ।

व्यवहारिक दृष्टि से देखें तो 8 घंटे कक्षा में बैठना छात्रों का संभव नहीं है इससे तो बच्चों को लाभ के स्थान पर नुकसान ही होगा।

सरकार ने अगस्त के शुरुआत से ही समस्या निवारण निवारण की कक्षाएं लगाने के लिए कहा था उसे भी शिक्षकों ने गंभीरता से लिया सितंबर से अल्टरनेट कक्षाएं लगाने के लिए कहा और नवी से और उसके बाद रिवीजन टेस्ट उनका मूल्यांकन उनका रिजल्ट का विश्लेषण रिकार्ड संधारण करना आगे की कार्य योजना  और नियमित कक्षाएं संचालित होना 

 अर्द्ध वार्षिक परीक्षाएं उसका मूल्यांकन और कार्य योजना पर भी शिक्षक लगातार कार्य कर रहे है।शासन को इस बारे में फिर से विचार करना चाहिए

 और स्कूल टाइम पूर्ववत रखना चाहिए अवकाश के दिनों में शिक्षक और विद्यार्थी को परेशान न करके बल्कि सप्ताह भर की थकान दूर कर के नहीं ऊर्जा नई ताकत के साथ अध्ययन अध्यापन हेतु माहौल बनाना चाहिए।

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