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सर्वार्थसिद्धि अमृत सिद्धि योग में "जियो और जीने दो" का संदेश देने वाले भगवान महावीर की जयंती आज मनेगी


ग्वालियर। इस वर्ष महावीर जयंती 25 अप्रैल रविवार को सर्वार्थसिद्धि व अमृत सिद्धि योग में  मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने कहा इस बार महावीर जयंती बाले दिन रविवार को हस्त नक्षत्र होने से पूरे दिन सर्वार्थसिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग दोनो ही सूर्योदय से पूरे दिन भर रहेंगे।

मनाने का मुहुर्त चौघड़िया अनुसार 

-  प्रातः 07:25  से 09:03 बजे तक चर की शुभ चौघड़िया

09:03 - 10:41 तक लाभ की शुभ चौघड़िया

10:41 - 12:19 बजे तक अमृत की शुभ चौघड़िया।

शाम को-06:52 से 08:13 बजे तक शुभ की शुभ चौघड़िया।

08:13 से 09:35 रात अमृत की शुभ चौघड़िया रहेंगी।

कैसे मनाए इस बार घरों पर रहकर महावीर जयंती:-  प्रातः काल शुभ चौघड़िया में स्नान के बाद साफ धुले हुए बस्त्र पुरुष सफेद महिलाएं केशरिया सारी पहनकर अपने अपने घरों की छतों पर जैन ध्वज फहराए  उच्चासन पर भगवान महावीर जी का फोटो और जिनवाणी विराजित कर भगवान महावीर के गुण गान करे , महावीर अष्टक, महावीर चालीसा आदि का पाठ कर णमोकार महामंत्र का जप करे।

जैन ने कहा णमोकार महामंत्र 84 लाख मन्त्रो का जन्म दाता कहा गया है अगर हर घर मे  हर सदस्य 5 माला णमोकार महामंत्र की महावीर जयंती बाले दिन जप करे तो करोणों जप इस दिन हो जाएगा। कोरोना जैसी महामारी पूरे विश्वास से कह सकते है कि णमोकार मंत्र के जप से शांत होगी हर रोज जप करते रहे। 

इस दिन चैत्र त्रियोदशी को भगवान महावीर के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इन्हे जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में माना जाता है। भगवान महावीर ने तपस्या से आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी। कहा जाता है कि तीर्थंकर वह  होते हैं जो इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर लेते हैं। इस दिन जैन मंदिरों में भगवान महावीर की पूजा अर्चना की जाती है। कोरोना के कारण भक्तों का प्रवेश वर्जित रहेगा। इसलिए इस बार घर पर रहकर ही पूजा विधि अनुसार करे।

ज्योतिषाचार्य डॉ. हुकुमचंद जैन ने बताया कि वैसे तो भगवान महावीर की जयंती एक उत्सव के रूप में मनाई जाती है लेकिन कोरोना महामारी के कारण भगवान महावीर की जयंती अपने-अपने घरों में मनाई जाएगी। इस मौके पर घरों पर ध्वज फहराकर भगवान महावीर के फोटो के सामने दीप प्रज्वलन किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकरों में 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म लगभग  2600 वर्ष पूर्व हुआ था। भगवान महावीर ने  30 वर्ष की आयु में संसार से विरक्ति लेकर राज-पाट छोडक़र 12 वर्षों की कठिन तपस्या कर ज्ञान प्राप्त किया। 72 वर्ष की आयु में पावापुरी से मोक्ष प्राप्त किया। भगवान महावीर जगत का कल्याण करने के लिए आए थे जिन्होंने चोरी, हिंसा, परिग्रह, झूठ एवं कुसील बातों पर विशेष प्रकाश डाला। भगवान महावीर ने ही सभी को जियो और जीने दो का संदेश दिया। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि  भगवान महावीर के जीवन में चारों ओर शांति ही शांति थी। भगवान महावरी ने जंगल में तप कर धर्म उपदेश दिया।  भगवान महावीर के उपदेश के समय प्राणी के मन में शांति ही शांति थी। गाय और शेर एक ही जगह पर पानी पीते थे। भगवान महावीर ने मनुष्य को जीने के सूत्र बताए जिसमें जियो और जीने दो, सभी जीवों पर दया करों, सभी जीवों में समान आत्मा है।

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