26 मई वैशाख पूर्णिमा बुधवार को बृश्चिक राशि मे होने जा रहे खग्रास चन्द्रग्रहण का भारत मे धार्मिक सूतक-पातक, मंदिरो के पट बन्द नही, राशियों पर असर व प्राकृतिक ,राजनैतिक घटनाओं तेजी-मंदी पर भी कोई असर नही होगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी देते हुए कहा खग्रास चंद्रग्रहण वैशाख शुक्ला पूर्णिमा बुधवार दिनांक 26 मई 2021 को वृश्चिक राशि में खग्रास चंद्रग्रहण भारत के पूर्वी भाग त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर नागालैंड, मिजोरम, उड़ीसा के पूर्वी भाग में आंशिक ग्रस्त उदित दिखाई देगा भारत में ग्रहण का स्पर्श दिखाई नहीं देगा केवल समाप्त होते हुए ग्रहण को देखा जा सकेगा चंद्रोदय होने पर सायंकाल मात्र 18 मिनट के लिए ही उपरोक्त स्थानों पर देखा जा सकेगा चंद्रग्रहण का सूतक जिन स्थानों पर चंद्र ग्रहण दिखाई देगा वहां धार्मिक दृष्टि से सूतक पातक आदि दोष मान्य होंगे। अन्य स्थानों पर इसके कोई भी प्रभाव मान्य नहीं होंगे।
जैन ने कहा वास्तविक रूप में यह ग्रहण नही है। इस बार इसके अलावा सम्बत 2078 में कोई भी चन्द्रग्रहण या सूर्यग्रहण भारत की भूमि पर नही दिखेगा न ही उनका कोई धार्मिक सूतक पातक नियम रहेगा।आगे 19 नवम्बर 2021 को भी चन्द्रग्रहण है। 10 जून और 04 दिसम्बर को सूर्य ग्रहण है। ए सभी भारत मे दृश्य नही होंगे न ही धार्मिक नियम मान्य होंगे।
कहा कहा दिखेगा 26 मई के चन्द्रग्रहण:-
26 मई को खग्रास चन्द्रग्रहण भूमंडल पर दक्षिण/ पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका के अधिकांश भाग, दक्षिणी अमेरिका, पेसिफिक अटलांटिक- हिंद महासागर अंटार्कटिका ,चीन,रूस,पश्चिम ब्राजील ,मंगोलिया में भी दिखाई देगा।
दिल्ली सहित ग्वालियर संभाग,इंदौर,भोपाल,जबलपुर,उज्जैन उत्तर,पश्चिम,मध्य और दक्षिण भारत मे यह ग्रहण तथा इसके सूतक मान्य नही होंगे।
कैसे लगता है चन्द्रग्रहण:-
जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चन्द्रग्रहण पड़ता है अर्थात तीनो एक सीध में रहने से पृथ्वी की छाया चन्द्रमा को ढक लेती है।जब पूर्ण चन्द्रमा ढक जाता है तो पूर्णमासी का चंद्रमा काला हो जाता है इस बार 26 मई को चंद्रमा का रंग हल्का धूल के कण की तरह मटमैला कुछ भारत के सुदूर पूर्वी स्थानों पर मात्र 18 मिनिट के लिए होगा ।
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