मप्र के मुख्यमंत्री- शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री- नरेन्द्र सिंह तोमर, पूर्व केन्द्री मंत्री-ज्योतिरादित्य सिंधिया, ऊर्जा मंत्री- प्रद्युम्न सिंह तोमर व सांसद- विवेक नारायण शेजवलकर को लिखा पत्र
ग्वालियर | म.प्र. चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (एमपीसीसीआई) द्बारा कोरोना कर्फ्यू के दौरान बंद व्यापारिक प्रतिष्ठानों से फिक्स चार्ज व न्यूनतम प्रभार न वसूले जाने के संबंध में मप्र के मुख्यमंत्री-श्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, पूर्व केन्द्री मंत्री-ज्योतिरादित्य सिंधिया, ऊर्जा मंत्री- प्रद्युम्न सिंह तोमर व सांसद विवेक नारायण शेजवलकर को लिखा पत्र को पत्र प्रेषित किया गया है|
एमपीसीसीआई अध्यक्ष-विजय गोयल, संयुक्त अध्यक्ष-प्रशांत गंगवाल, उपाध्यक्ष-पारस जैन, मानसेवी सचिव-डॉ. प्रवीण अग्रवाल, मानसेवी संयुक्त सचिव-ब्रजेश गोयल एवं कोषाध्यक्ष-वसंत अग्रवाल द्बारा प्रेस को जारी विज्ञप्ति में अवगत कराया गया है कि कोरोना महामारी की यह द्बितीय लहर है और यह बहुत खतरनाक है| ग्वालियर जैसे शहर में जहां पिछली लहर में एक दिन में अधिकतम २६९ पॉजिटिव मरीज आते थे और अब एक दिन में १४०० मरीज तक पॉजिटिव निकल रहे हैं| इसके साथ ही, बहुत से व्यापार-उद्योग, सामाजिक क्षेत्र, राजनैतिक क्षेत्र, सांस्कृति क्षेत्र की महान विभूतियों को हमने खोया है|
एमपीसीसीआई ने पत्र में उल्लेख किया है कि कोरोना महामारी से बचने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपील की है कि संक्रमण की चैन को तोड़ने के लिए संपर्क को तोड़ना होगा और इसके लिए कोरोना कर्फ्यू ही एकमात्र विकल्प है| माननीय मुख्यमंत्री जी की अपील पर संक्रमण की चैन को तोड़ने के लिए व्यापारियों ने इसको माना और इसके लिए सकारात्मक सहयोग व्यापारियों द्बारा दिया जा रहा है| ऐसे में उसको अपनी आजीविका चलाने के साथ हीे दुकान का किराया, बैंक का ब्याज, ईमआई, जीएसटी, बिजली का बिल, कार्यरत कर्मचारियों का वेतन का आर्थिक बोझ तो है ही, उसके बाद भी वह कोरोना संक्रमण में शासन का सहयोग कर रहा है, लेकिन इस सकारात्मक सहयोग के बाद भी कोरोना कर्फ्यू में अपने प्रतिष्ठान/मॉल के बंद होने के बाद उस समय का न्यूनतम प्रभार, फिक्स चार्ज और प्रतिष्ठान बंद होने से समय पर बिल जमा नहीं कर पाने पर सरचार्ज का सामना करना पड़ रहा है|
जबकि विद्युत अधिनियम 2003 के मुताबिक एक निर्धारित अवधि के बाद किसी भी व्यापार को शासकीय/प्रशासकीय आदेश के अंतर्गत चलाने की अनुमति नहीं होती है तब उस स्थिति में उस अवधि का फिक्स चार्ज, न्यूनतम प्रभार नहीं वसूला जा सकता है|
पिछले कोरोना काल में लगभग 78 दिनों के लॉकडाउन में भी फिक्स चार्ज, न्यूनतम प्रभार वसूला गया जिससे व्यापार जगत में सरकार की नकारात्मक छवि निर्मित हुई है और यदि इस वर्ष भी इसको मानवीय, संवेदनशीलता व विधि सम्मत होने के आधार पर इस वर्ष भी समय रहते हटाने की घोषणा न की तो बहुत सारे व्यापार, मॉल, दुकानें इस कारण से बंद हो सकते हैं या बीमारू की श्रेणी में आ सकते हैं| जबकि व्यापारी यह आपसे कोई अनुदान या आर्थिक पैकेज के रूप में मांग नहीं कर रहे हैं, वह केवल जिस अवधि में प्रशासनिक आदेशों के अंतर्गत व्यापार नहीं करने दिया जा रहा है उस अवधि के फिक्स चार्ज, न्यूनतम प्रभार व दुकानें बंद होने से वह समय पर बिल जमा नहीं कर पा रहे हैं तो सरचार्ज माफ करने की बात कर रहे हैं| यह विधि सम्मत भी है और यदि शासन व्यापारियों से इस अवधि की राशि वसूलता है तब वह विधि का उल्लंघन तथा तानाशाही पूर्वक अवसर का लाभ उठाने की कार्यवाही के रूप में जाना जायेगा|
एमपीसीसीआई ने पत्र के माध्यम से मांग की है कि जितनी अवधि के लिए प्रशासनिक आदेश के अंतर्गत जिन-जिन व्यापारियों के व्यापार को प्रतिबंधित किया गया है, उन्हें इस अवधि के फिक्स चार्ज, न्यूनतम प्रभार से मुक्ति की घोषणा की जाना चाहिए, जो कि समय रहते होना चाहिए| व्यापारी की मानसिक एवं आर्थिक दृष्टि से सरकार का यह निर्णय सरकार की संवेदनशीलता को प्रदर्शित करेगा व व्यापार जगत में अच्छा संदेश जायेगा|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें