इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या 10 जून गरुवार को है
डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि 9 जून बुधवार को अमावस्या तिथि दोपहर 1रू58 से प्रारंभ होगी जो 10 जून गुरुवार को शाम 4रू22 बजे तक रहेगी।
शनि जयंती जेष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन शनि जयंती मनाई जाती है । इसी दिन ज्येष्ठ कृष्ण अमावश्या देव पितृ अमावश्या के रूप में भी मनाई जाती है।
इसलिए देव पितृ की शांति शनि की शांति इस शनि जयंती बाले दिन बहुत ही महत्वपूर्ण व आसानी से हो जाती है।
अभी मिथुन,तुला राशियों पर शनि की ढैया चल रही है।धनु,मकर,कुंभ राशियो पर शनि की साढ़ेसाती वर्तमान में चल रही है। इनका शनि अगर खराव है तो इन्हें काम मे रुकावट,व्यापार में घाटा, घर मे रोग ,अशांति,मुकदमा,व्यर्थ धन की कमी से अनेक प्रकार के शंकट देता है और जिनका शनि अच्छा है कुंडली में तो शनि की ढैया, साढेसाती, महादशा या अंतर्दशा कुंडली
उन्हें रंक से राजा बनादेते है शनि। जिनको बुरे फल मिल रहे हो तो उन्हें अपने काम को बड़ी ही मेहनत ईमानदारी से करना चाहिए साथ ही किसी का धन बेईमानी से,चोरी,हेराफेरी से नही रखना चाहिए । जेष्ठ अमावस्या शनि जयंती के दिन शनि को प्रसन्न करके उसके अशुभ फलों से इस समय मिथुन राशि तुला राशि धनु राशि मकर राशि और कुंभ राशि वालों के लिए शनि की ढैया और साढ़ेसाती की शांति के लिए शनि मंत्र जाप,शनि स्त्रोत का पाठ,काले उड़द,सरसों का तैल, लोहा,काला वस्त्र दान अवश्य करना चाहिए।
जैन ने कहा शनि एक राशि में 30 माह रहता है पूरे राशि मंडल का चक्र 30 वर्ष में पूरा करता है किसी भी व्यक्ति की अगर 90 वर्ष की उम्र होगी तब शनि की साढ़ेसाती उसके जीवन में केवल तीन बार आ सकेगी ।
शनि अगर व्यक्ति अच्छा कार्य करता है तो रंक से राजा बना देता है और यदि व्यक्ति बुरे कर्म करता है तो उसे शनि अपनी ढैया, साढ़ेसाती अथवा महादशा अंतर्दशा में राजा से रंक भी बना देते हैं और बुरे कर्मों का हिसाब करने के लिए उनके पास यही समय रहता है। क्योकि शनि को न्याय कारक व कर्मो का हिसाब-किताब बाला ग्रह माना है।
जैसा व्यक्ति ने अच्छा व ईमानदारी से कार्य किया है तो उनका अच्छा फल देगा और बुरा किया है तो कष्ट इसलिए ईमानदारी से कार्य के लिए प्रेरित करता है।
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