रविकांत दुबे AD News 24
ग्वालियर । पर्यटन, संस्कृति और आध्यात्म मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने 'इंडिया स्मार्ट सिटी अवॉर्ड्स कांटेस्ट-2020' में कल्चर श्रेणी में ग्वालियर को डिजिटल म्यूजियम के लिये सम्मानित किए जाने पर बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं। सुश्री ठाकुर ने कहा कि ग्वालियर स्मार्ट सिटी के प्रयासों ने विरासतों का संरक्षण करने के साथ ही महत्वपूर्ण योजनाओं के माध्यम से शहर के विकास को भी गति प्रदान की है। सुश्री ठाकुर ने राष्ट्रीय पटल पर ग्वालियर को अंकित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले समस्त प्रशासनिक अमले और जनता को धन्यवाद दिया है।
उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटीज़ मिशन के 6 वर्ष पूर्ण होने पर भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने वर्चुअल मीट के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में 'इंडिया स्मार्ट सिटी कांटेक्ट-2020' के परिणाम घोषित किए। प्रोजेक्ट अवार्ड अंतर्गत कल्चर थीम में ग्वालियर को डिजिटल म्यूजियम के लिए तृतीय स्थान प्राप्त हुआ है।
ग्वालियर स्मार्ट सिटी की सी.ई.ओ. श्रीमती जयति सिंह ने बताया कि डिजिटल म्यूजियम, प्राचीन एवं नूतन के समागम का एक अनूठा उदाहरण है। ग्वालियर के गौरवशाली इतिहास को इस संग्रहालय के माध्यम से अत्याधुनिक उपकरणों और तकनीक के ज़रिये आगन्तुकों के साथ साझा किया जा रहा है। हमें हर्ष है कि ग्वालियर स्मार्ट सिटी के इस प्रयास को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। यह अवॉर्ड हमें आने वाले वर्षों में और बेहतर करने के लिये प्रेरित करेगा।
संग्रहालय में डिजिटल उपकरणों की सहायता से ग्वालियर की स्थापत्य कला, चित्रकला, खेल व मनोरंजन, सहरिया जीवन-शैली, परिधान, त्यौहार व जीवन-यापन और संगीत आदि को डिजिटल गैलरी के माध्यम से दर्शाया गया है। डिजिटल म्यूजियम के विभिन्न कक्षों में बनी गैलरी में ग्वालियर की क्षेत्रीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं का अनुभव आगन्तुकों द्वारा किया जा सकता है। ग्वालियर टाइमलाइन नामक कक्ष में ग्वालियर के इतिहास से सम्बन्धित जानकारी वीडिओ वॉल के माध्यम से दर्शकों से साझा की जा रही है। साथ ही इस कक्ष में ग्वालियर दुर्ग से जुड़ी जानकारी और दुर्ग पर स्थित धरोहरों को छायाचित्रों द्वारा प्रदर्शित किया गया है, जो जीवंत रूप से उनकी गरिमा की अनुभूति कराते हैं।
ग्वालियर की वास्तुकला नाम के कक्ष में छायाचित्रों द्वारा ग्वालियर की ऐतिहासिक इमारतों को दिखाया गया है। ये इमारतें अलग-अलग काल खण्डों में बनाई गईं तथा इनकी स्थापत्य शैली भी भिन्न है। इसी तरह संगीत व नाट्य कला कक्ष में ग्वालियर का संगीत से सम्बन्ध दर्शाया गया है। संगीत की परिभाषा, उसके प्रकार व स्वर, ठाट, सरगम, आदि संगीत से जुड़े विषयों को डिजिटल माध्यम से साझा किया जा रहा है।
ग्वालियर की प्रसिद्ध चितेरा कला को चित्रकला कक्ष में दीवार पर बखूबी दर्शाया गया है। यह मुग़ल, राजपूत, पहाडगढ़, बाघ पेंटिंग के माध्यम से ग्वालियर चम्बल संभाग में प्रचलित कलाओं से अवगत कराती हैं। इसी तरह अन्य कक्षों में ग्वालियर की स्थानीय संस्कृति के संबंधित परिधान, आदिवासी जीवन-शैली, खेल व मनोरंजन आदि को डिजिटल तकनीक की मदद से रोचक और जीवंत रूप में दिखाया गया है।
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